
तो क्या हुआ, अगर मुझे कभी बच्चे नहीं चाहिए?
बच्चा पैदा करूं या ना करूं
जब आप 20 की उम्र के आखिरी पड़ाव तक पहुंचने लगती हैं, तो न आप पूरी तरह से खुद को वयस्क के रूप में महसूस करती हैं और न ही कोई और इस बात को मानता है। इसके बावजूद सच्चाई यह है, कि घर बसाने और लाइफ में सेटल हो जाने के विचार आपको घेरने लगते हैं, और आप अचानक अगले पांच साल के प्लान के बारे में सोचना शुरू कर देती हैं। कालोनी के बच्चे आपको दीदी की बजाय आंटी कहने लगते हैं।
पर हम खुद को समझाते हैं कि हर कोई इस दौर से गुज़रता है और यह बिल्कुल सही है, लेकिन क्या यह वाकई में सही है?
गलत। क्योंकि जैसे ही हमें यह महसूस होने लगता है कि हम अपनी लाइफ में सेटल होने लगे हैं और जिंदगी पर पकड़ बना रहे हैं, तो मानो पूरा ब्रह्मांड एक नये ही अजेंडे पर ज़ोर देना शुरू कर देता है और वह है, एक नए जीव की संरचना- एक बच्चा।
हमारी मां के ज़माने में, वयस्क होने पर शादी के बाद, अगला स्टैप बच्चे पैदा करना होता था। उस वक़्त, आपके लिए पति का चुनाव उसकी योग्यता के आधार पर किया जाता था, फिर चाहे अनुकूलता हो या न हो। इसलिए बच्चे पैदा करने या न करने की चाह, शायद ही कभी चर्चा का विषय रही होगी। यही वजह है कि अब मांओं, मौसियों या पड़ोस की आंटियों का यह समझना बहुत मुश्किल है कि आज की आत्मनिर्भर युवा महिलाओं के लिये, मां बनना अनिवार्य और अटल नहीं है।
मेरे हमउम्र ऐसे बहुत कम दोस्त हैं, जिनमें मां बनने का कोई भाव हो। कुछ के लिये, बच्चे पैदा करना उनकी संपूर्णता का हिस्सा नहीं है। तो कुछ मिलेनियल्स को, फिर चाहे बात भारत की हो या दुनिया की, एक की इनकम पर बच्चे को बड़ा करना एक चुनौती के समान प्रतीत होता है। जाहिर है, आज के ज़माने में, आवश्यकता … किसी भी चीज़ की जननी नहीं है।
अब देखा जाये तो, ज़्यादातर महिलायें उन पुराने सांस्कृतिक ख्यालों से दूर हो रही हैं, जहां यह माना जाता था कि उन्हें दिव्य रूप से मातृत्व के लिए ही बनाया गया है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक वर्ल्ड फर्टिलिटी रिपोर्ट के अनुसार एक ग्लोबल ट्रेंड दिख रहा है, जिसमें महिलाएं कम से कम 30 साल की उम्र तक बच्चे पैदा करना नहीं चाहती। अब ग्लोबल प्रेडिक्टर नेटफ्लिक्स के माध्यम से यह पता चलता है कि सोच बदल रही है। खासतौर से उनके कई शो प्रेगेंनसी और बच्चे के जन्म की प्रक्रिया जैसी कई बातों को एक नई समझ के साथ पेश करते हैं। बीबीसी का मशहूर ड्रामा कॉल द मिडवाइफ लंदन के दरिद्र ईस्ट एंड में मेटरनटी नर्सेस के बारे में है, जो वहां की गरीब प्रेगेंट महिलाओं के लिये काम करती हैं।
एक और शो, वर्किंग मॉम्स आज की मार्डन वर्किंग मांओं के बारे में है, जिन्हें कोई मुश्किल नहीं रोक सकती। जो घर बैठने की बजाय ऑफिस आकर काम करने, ऑफिस की पोलिटिक्स से डील करने के साथ-साथ बाथरूम में ब्रेस्ट पंप का भी इस्तेमाल करती हैं। नेटफ्लिक्स पर कॉमेडियन अली वोंग अपने दो स्पेशल शो, बेबी कोबरा और हार्ड नॉक वाइफ में, अपने भारी भरकम प्रेगनेंट शरीर के साथ परफार्म करती हैं और इस बारे में बताती हैं कि कैसे हम हांड-मांस के नये जीव को जन्म देती हैं।
तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मातृत्व के बारे में मेरी सुखद और उत्साहित कर देने वाली धारणा अब बदल गई है। अगर आपको याद हो, तो साल 2018 में फिल्म अ क्वाइट प्लेस आई थी, जिसमें एलियन राक्षस आवाज़ों से आकर्षित होते थे, इसी कारण फिल्म की मुख्य पात्र को बिलकुल बिना आवाज़ किए बॉथटब में बच्चें को जन्म देना पड़ता है। यह एक सनसनीखेज सीन बन गया था, जिससे संभवतः हवा मिली उन अनगिनत महिलाओं को जिन्हें बच्चे को जन्म देना किसी भूत-प्रेत के डर से ज़्यादा डरावना लगता है।
यहां भारत में भी, कई सेलेब्रटी मांएं जैसे नेहा धूपिया और फरहा खान हैं, जिन्होंने बच्चे के जन्म के लिये इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और पोस्टपार्टम डिप्रेशन जैसे मुद्दों पर खुलकर चर्चा की है। इस तरह की बातें हम जैसी दुविधा की कगार पर खड़ी महिलाओं को सोचने पर मज़बूर करती हैं: क्या सच में हम इस मानसिक और शारीरिक बदलाव से गुज़रकर एक बच्चे को ऐसी दुनिया में लाना चाहते हैं, जो पहले से बढ़ती जनसंख्या की समस्या से जूझ रही है? क्या हम बच्चे को जन्म देते समय का दर्द सहन कर सकते हैं, और क्या हम इस दौर से गुज़रने के लिये अपने पार्टनर पर निर्भर कर सकते हैं? क्या बच्चे को इस दुनिया में लाकर हम अगले 20 साल तक उसके खर्चे उठा सकते हैं, जबकि हमारे लिये घर का किराया देना तक भारी हो जाता है?
इस तरह के गंभीर तथ्यों को जानते-बूझते, आज की शहरी महिला जिसे अपने लिये चयन करने का हक है, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बच्चे पैदा करने का विचार भी उनकी समझ से बाहर है।
कौन जानता है? हो सकता है कि कल को, मैं भी यह आत्मत्याग करने को तैयार हो जाऊं, जो मेरी पड़ोस की आंटियों ने मेरे लिये सोच कर रखा है। पर तब तक, मैं एक और खुदगर्ज़ मिलेनिअल बनकर खुश हूं, जो सिर्फ नेटफ्लिक्स के शो देखना ही पसंद करती है नाकि वंशवृद्धि करने की रेस जैसे एडवेंचर में भाग लेना।