
भारत में 8 प्रकार के सामान्य विटामिन की कमी और उनके उपचार
विटामिन ए से ओमेगा 3 की सकारात्मक स्वास्थ्य योजना
“देखो, बाहर कितनी अच्छी धूप निकली है, जाओ बाहर जाकर खेलो।” ऐसा शायद ही किसी देसी माँ ने अपने बच्चों को कभी बोला होगा। ज़्यादातर भारतीय धूप से बचते, त्वचा के टैन को रगड़-रगड़ कर दूर करते और गोरेपन और खूबसूरती को अहम् मानते हुए ही बड़े हुए हैं। यही विडंबना है कि हमारी अस्सी प्रतिशत शहरी जनसंख्या ‘विटामिन डी’ जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व की कमी से जूझ रही है, जो सिर्फ सूर्य की रोशनी से ही हमारे शरीर में बनता है। विटामिन की कमी का जलेबी-रबड़ी संयोजन, एक तरह से इस मायावी विटामिन डी और आयरन की गंभीर कमी का साथ है, जो ज़्यादातर महिलाओं में पाया जा सकता है।
इस बढ़ती महामारी का कारण यह है कि हम में से अधिकतर लोग इन कमियों को तब तक नहीं समझ पाते, जब तक स्थिति बहुत ज़्यादा गंभीर न हो जाये क्योंकि – गहरा घाव या घुटनों के कैप टूटने जैसे लक्षणों से विपरीत – इसके लक्षण गुप्त एवं ज़्यादातर जटिल होते हैं। यहाँ हमारा तात्पर्य चिंता, सुस्ती और रूखी त्वचा से लेकर जटिल इम्यून सिस्टम, एनीमिया और दिल की बीमारियों से है।
एक बार इन विटामिन की कमियों की पहचान हो जाये, तो इन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है। सही डाइट और सप्लीमेंट्स पर सलाह के लिये हमने बॉलीवुड की फेवरेट हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. ज्वैल गामडिया से मदद ली।
सामान्य विटामिन की कमी जिन्हें ध्यान में रखें

विटामिन ए
गामडिया के अनुसार, “एक लो-फैट डाइट जिसमें आवश्यक मिनरल्स की कमी होती है, अक्सर इसकी कमी का मुख्य कारण होती है। इससे आंखों की रोशनी कम होना, जल्द झुर्रियां व मुहांसे होना और कमज़ोर इम्यून सिस्टम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।” ये आपके लिये संकेत है, कि डाइट फ़ूड पर फ़ालतू खर्चा न करें बल्कि हरी सब्जियों को अपनाएं जो भले ही दिखने में इतनी अच्छी नहीं लगती हैं। गाजर, पीले फल, गहरी हरी सब्ज़ियां जैसे ब्रोकली और अंडे विटामिन ए से भरपूर होते हैं। गामडिया सलाह देती हैं, “बीटा कैरोटीन से युक्त सप्लीमेंट लें लेकिन यह ध्यान रखें कि पुरूषों का डोज़ 5000 आईयू और महिलाओं का 4000 आईयू से ज़्यादा नहीं होना चाहिये।”

विटामिन सी
विटामिन सी त्वचा की देखभाल में सबसे बड़ा इंग्रीडिएंट है। यह कोलेजन बनाता है और समय से पहले उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोकने में मदद करता है। अपने आहार में विटामिन सी युक्त खट्टे फल जैसे संतरे, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर बेरीज़ और खरबूजा, सब्ज़ियां जैसे टमाटर और शिमला मिर्च शामिल करें। इसी के साथ गामडिया चेतावनी देती हैं, “ब्लीडिंग गम्स, कमजोर इम्यून सिस्टम, स्कर्वी या कम आयरन वाले भोजन से बचें। विटामिन सी सप्लीमेंट को दिन में 60 एमजी तक सीमित किया जा सकता है।” हालाँकि, अगर रोज़ाना अत्याधिक काम या अशुद्ध हवा की वजह से आपके तनाव का स्तर बढ़ रहा हो तो ऐसे में 100 एमजी डोज़ भी भी लिया जा सकता है।

विटामिन डी
यदि आप भारत के किसी महानगर में, स्मोग से घिरे वातावरण में जी रहे हों, जहां वैसे ही सूरज की रोशनी सही समय पर प्रचुर मात्रा में नहीं मिल पाती और ऊपर से आप त्वचा को सनस्क्रीन की परत से ढ़क कर रखते हों, तो यह संभव है कि आप विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। थकान, कमज़ोर इम्युनिटी, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के अनचाहे लक्षण नज़र आने लगते है। इसलिये साल में एक बार ब्लड टेस्ट अवश्य करवायें और डॉक्टर से पूछकर अपनी जरूरत के अनुसार एक डोज़ लें। गामडिया कहती हैं, “अगर आप नॉन वेजीटेरियन हैं, तो मछली का लिवर ऑइल, सेलमॉन और टूना जैसे आहार को अपनी डाइट में शामिल करें।”

आयरन
अच्छी बात यह है, कि आयरन हिमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है और ऑक्सीजन को दिमाग की कोशिकाओं तक पहुंचाता है। लेकिन बुरी बात यह है, कि हम जो भोजन खाते हैं उसमें से हमारा शरीर सिर्फ आठ प्रतिशत आयरन अवशोषित करता है। इससे सूखी, पपड़ीदार त्वचा, बालों का झड़ना और दिमागी असक्रियता जैसी समस्याएं होने लगती हैं। गामडिया बताती हैं, “माहवारी के कारण महिलाओं को आयरन की कमी (एनीमिया) होने का खतरा ज़्यादा रहता है।” रेड मीट, अंडे की जर्दी, बीन्स, मेवे, शतावरी और ओट्स जैसे आहार इस समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह डाइट बहुत ही बेहतर बन जाती है, अगर इसे ऑर्गेनिक आयरन सप्लीमेंट्स के साथ लिया जाये। बस इस बात का ध्यान रखें कि इसके साथ जिंक और विटामिन ई की मात्रा ज़्यादा न लें, अन्यथा शरीर को इसे अवशोषित करने में तकलीफ हो सकती है और इसका अभाव बदतर हो सकता है।

मैग्नीशियम
मैग्नीशियम की कमी से होने वाले लक्षण उन दुष्ट क्रिटर्स के समान हैं, जो आपकी गलत जीवनशैली पर घात लगाए बैठे हैं। इनसे आपका शरीर अनिद्रा, दिल की तकलीफों, मांसपेशियों में दर्द, मानसिक सेहत से जुड़े मुद्दे और ‘पीएमएस’ दर्द और ब्लोटिंग जैसी बीमारियों का घर बन जाता है। इससे बचने के लिये बिना पोलिश किया हुआ अनाज, अंजीर, बादाम, हरी सब्ज़ियां और केला ले सकते हैं। गामडिया परामर्श देती हैं कि मैग्नीशियम सप्लीमेंट का डोज़ कैल्शियम के डोज़ से आधा होना चाहिये और इसे खाना खाने के बाद ही लेना चाहिये।

पोटैशियम
शरीर में वॉटर रिटेंशन या ब्लोटिंग का दोष पोटैशियम की कमी को दें, नाकि अपनी टाइट जीन्स को। खट्टे फल, केला, आलू, पत्तेदार सब्ज़ियां, टमाटर और पुदीना इस कमी से लड़ने के लिए एकदम उपयुक्त हैं। इन सब के साथ, एक दिन का सप्लीमेंट डोज़ 1000 एमजी लिया जा सकता है।

कैल्शियम
कमज़ोर हड्डियां और दांत, अनिद्रा, कमज़ोर नर्वस सिस्टम और फैट का बहुत धीमे कम होना कैल्शियम की कमी दर्शाता है। यह कमी अत्यधिक एसिड और विटामिन डी 3 की कमी के कारण होती है। चॉकलेट में पाए जाने वाले फैट्स और ऑक्सेलिक एसिड इस परेशानी को अधिक गंभीर बना देते हैं। गामडिया कहती हैं, “डेयरी उत्पाद, चीज़, सोया बीन्स, मूंगफली, अखरोट और ब्रोकली से भरपूर भोजन, कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित रखते हैं। अगर आपको फिर भी सप्लीमेंट्स की जरुरत महसूस हो, तो 500-1000 एमजी कैल्शियम साइट्रेट ले सकते हैं।”

ओमेगा 3
जो महत्व एक इनसाइक्लोपीडिया का भारतीय घर में होता है, ठीक वही महत्व ओमेगा 3 का ह्रदय को स्वस्थ रखने में होता है। सहज पर बहुत महत्वपूर्ण। यह हानिकारक कोलेस्ट्रोल को कम करता है, दिल की धड़कन को नियमित और इसे खुश रखता है। गामडिया कहती हैं, “इस पोषक तत्व की कमी से बाल रूखे और टूटने लगते हैं, सूखी त्वचा, मूड में बार-बार बदलाव और ऊर्जा का स्तर बहुत कम हो जाता है।” उन्होंने बताया कि आजकल कई नये अति आधुनिक ब्यूटी प्रोडेक्ट्स में भी ओमेगा 3 को शामिल किया जाता है। अपनी डाइट में मछली, अलसी के बीज और कद्दू के बीज शामिल करें और साथ में मछली के तेल की टैब्लेट (1000 एमजी प्रतिदिन तक) भी लें।
*सभी विटामिन्स और मिनरल्स की उपयुक्त खुराक व समय डॉक्टर द्वारा ही निर्धारित किया जाना चाहिये। इस लेख में औसतन वैल्यू ही दी गई है।
स्टाइलिस्ट: दिव्या गुरसाहनी; हेयर: क्रिसन फ़िगरेडो; मेक-अप: रिद्धिमा शर्मा; मॉडल: सोनाली हिरानी
ड्रेस, नॉरब्लैक नॉरवाइट