
विटामिन C के सही उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त स्किनकेयर गाइड
चेहरे पर बिना किसी जलन के, स्किनकेयर के इस सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी के सारे फ़ायदे पाइए
यदि पूरी दुनिया एक स्टेज है और हम सब मात्र खिलाड़ी, तो विटामिन C सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। आम जनता और एक्स्पर्ट्स की पसंद की बात हो, तो शायद रेटिनॉइड्स/रेटिनॉल के बाद यह दूसरे नंबर पर आए और अब तो कई रिसर्च और स्टडीज़ भी इस बात का समर्थन करती हैं। लेकिन आपने सुना ही होगा, जो बहुत पावरफुल होते हैं, उनसे उतनी ही उम्मीदें लगाई जाती हैं और यह जरूरी नहीं की वे हमेशा आपकी उम्मीदों पर खरे उतरें। विटामिन C का सबसे शुद्ध फ़ॉर्म, अस्कॉर्बिक ऐसिड (AA) या एल-अस्कॉर्बिक ऐसिड (L-AA), क्लास के उस सबसे होशियार बच्चे की तरह है जिसके पास हर सवाल का हल है, जिसे सब अपने ग्रुप प्रोजेक्ट्स में शामिल करना चाहते हैं। बेशक, उनमें वह टैलेंट और स्किल होता है जो उन्हें हर टीचर का फेवरेट बनाता है, लेकिन ऐसे बच्चों का अत्यधिक अपेक्षाओं के दबाव में टूटने का रिस्क भी काफी ज्यादा होता है। उन पर पूरी तरह निर्भर करना मुश्किल होता है, उनके साथ काम करना थोड़ा कठिन होता है और ऐसे में कभी-कभी उनके कारण बनता हुआ काम बिगड़ भी सकता है।
जैसे कोई नौसिखया शेफ़ अपनी हर डिश में गरम मसाला डालता है, आप देखेंगे कि आजकल बाज़ार में आने वाले हर तीसरे ब्यूटी प्रोडक्ट में विटामिन C मौजूद होता है। हमारे उभरते बिलियन डालर ब्यूटी मार्केट में विटामिन C केवल एक ट्रेंड नहीं रह गया है, बल्कि वह प्रमुख स्थान लेता जा रहा है। ख़ासतौर पर ऐसे कल्चर में, जहां लोग त्वचा को गोरा और चमकदार बनाने के लिए मेलेनिन से छुटकारा पाने के लिए भी तैयार हैं।

लेकिन बाज़ार में उपलब्ध ढेर सारे ऑप्शन्स, सोशल मीडिया पर इसके डेरिवेटिव्स और प्रोडक्ट्स की रेकमेंडेशन्स, और गुणगान गाते DIY वीडियोज़ के चलते यह पता लगाना बड़ा मुश्क़िल है कि आपकी त्वचा के लिए कौन-सा प्रोडक्ट सही रहेगा।
जब बात स्किनकेयर की हो तो विटामिन C का हर प्रकार एक जैसे नतीजे नहीं देता इसलिए एक्स्पर्ट्स की मदद से हमने आपके लिए यह गाइड बनाई है, जिसमें आपको इसके फ़ायदों और इस्तेमाल के प्रभावी तरीक़े के बारे में हर महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।
विटामिन C स्किनकेयर को जानें
कोलैजन प्रोडक्शन
डॉक्टर कैरन बुर्के, डर्मैटोलॉजिस्ट और रिसर्च साइंटिस्ट, कहती हैं कि कोलैजन के निर्माण के लिए विटामिन C बहुत ज़रूरी है। इंटरनेट की फेवरेट कॉस्मेटिक केमिस्ट मिशेल वॉन्ग जिन्हें लैब मफ़िन ब्यूटी साइन्स के नाम से भी जाना जाता है, इसके पीछे के पूरे साइंस के बारे में बताती हैं। वो कहती हैं, ‘‘यह कोलैजन को बनाने और इसकी क्रॉसलिंकिंग में काम आता है, ताकि यह अच्छा, कसा हुआ नेटवर्क बना सके। इस प्रोसेस में शामिल कुछ एन्ज़ाइम्स, लाइसिल हाइड्रॉक्सिलेज़ और प्रोलिल हाइड्रॉक्सिलेज़, को काम करने के लिए विटामिन C की ज़रूरत होती है। विटामिन C, मैट्रिक्स मेटालोप्रोटीनेज़-1 नामक एन्ज़ाइम को भी रोकता है, जो त्वचा में कोलैजन को तोड़ने का काम करता है।’’
उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोलैजन का उत्पादन धीमा होता है और इलास्टिन टूटने लगता है, ऐसे में विटामिन C को रूटीन में शामिल करना फ़ायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह स्किन की एजिंग को धीमा करता है।
हाइपरपिग्मेंटेशन से बचाव
आपने विटामिन C युक्त प्रोडक्ट्स के ऐसे कई विज्ञापन देखे होंगे जिनमें महिला के चेहरे से डार्क स्पॉट्स जादुई तरीक़े से ग़ायब हो जाते हैं। अस्कॉर्बिक ऐसिड, टायरोसिनेज़ नामक एन्ज़ाइम के काम में बाधा डालता है, जो मेलेनिन के प्रोडक्शन के लिए ज़िम्मेदार होता है और हमारी त्वचा को उसका सुन्दर रंग देता है। मेलेनिन के ज़्यादा प्रोडक्शन से हाइपरपिग्मेंटेशन होता है, जो हमारी त्वचा की रंगत से मेल नहीं खाता। ।
तो चाहे आप मुहांसों के दाग़, सन स्पॉट्स, यूवी डैमेज या मेलाज़्मा से परेशान हों, डर्मैटोलॉजिस्ट डॉक्टर जयेश शास्त्री का कहना है, ‘‘जितनी जल्दी आप अपने रूटीन में विटामिन C युक्त प्रोडक्ट शामिल करेंगे, उतनी ही जल्दी पिग्मेंटेशन से बचाव शुरू किया जा सकता है।’’

अतिरिक्त सन प्रोटेक्शन
विटामिन C युक्त प्रोडक्ट किसी भी तरह से सन प्रोटेक्शन – सनस्क्रीन, हैट्स, या यूवी सनग्लासेस – का रिप्लेसमेंट नहीं है। हां, जैसा कि मिशेल कहती हैं, “यह एक ऐन्टिऑक्सिडेंट की तरह आपकी त्वचा पर हुए यूवी डैमेज को मिटाने में मदद करता है।’’
‘‘यूवी किरणें त्वचा के लिए नुक़सानदेह होती हैं, क्योंकि ये फ्री रैडिकल्स का उत्पादन करती हैं। फ्री रैडिकल्स बहुत रिऐक्टिव पदार्थ होते हैं, जो त्वचा के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच कर उसे नुक़सान पहुंचाते हैं।’’ अस्कॉबिक ऐसिड जैसे ऐन्टिऑक्सिडेंट्स इस डैमेज को अब्सॉर्ब कर लेते हैं और त्वचा को कम नुक़सान पहुंचता है।
इसे रूटीन में इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीक़ा
विटामिन C के कई प्रकार हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा स्टडी अस्कॉर्बिक ऐसिड के बारे में हुई है। यह त्वचा पर सबसे ज़्यादा जलन पैदा करता है, क्योंकि आपकी स्किन पर फायदा करने के लिए इसका पीएच बैलेंस कम होना चाहिए। इसलिए स्किन पर लगाने पर, इसके एसिडिक नेचर के कारण, त्वचा संवेदनशील हो सकती है और जलन का एहसास हो सकता है।
साथ ही, हवा और सनलाइट के संपर्क में आने पर यह बहुत जल्दी ऑक्सीडाइज़ हो जाता है। आपको इसकी गंध बदलती हुई महसूस होगी और इसका रंग भी पारदर्शी से पीला, नारंगी और फिर भूरा होता हुआ दिखाई देगा।
अस्कॉर्बिक ऐसिड डीहाइड्रोअस्कॉर्बिक ऐसिड में बदल जाता है और इनऐक्टिव हो जाता है। जब सीरम का रंग बदल रहा हो तो इसे इस्तेमाल करने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होने लगेगा और हो सकता है कि ज़्यादा ऑक्सीडाइज़ होने पर यह आपकी त्वचा पर दाग छोड़ने लगे।
इसलिए ऐसे अस्कॉर्बिक ऐसिड वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें, जो क्लियर ग्लास बॉटल की बजाय डार्क बॉटल में हों और जिनमें ड्रॉपर की जगह पम्प हो। इससे यह सनलाइट और ऑक्सिजन के सीधे संपर्क में नहीं आएगा।
पूरा फ़ायदा उठाना हो तो ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जिनमें अस्कॉर्बिक ऐसिड का कॉन्संट्रेशन 10% से 20% के बीच हो।
डॉक्टर शास्त्री का कहना है, ‘‘8% या 5% की मात्रा में भी यह आपकी त्वचा को उजला और चमकदार बनाएगा। यदि आपकी त्वचा ऐक्टिव इन्ग्रीडिएंट्स की आदी नहीं है, कम कॉन्संट्रेशन के साथ ही शुरुआत करना बेहतर होगा। अधिक मात्रा में होने का यह अर्थ नहीं है कि यह जल्दी या ज़्यादा असर डालेगा। यह मिथक है। बल्कि अधिक मात्रा वाला प्रोडक्ट आपकी त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है, नुक़सान पहुंचा सकता है।’’

इसे अप्लाइ करने के सही समय पर अभी भी विवाद जारी है। कुछ एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि दिन की शुरुआत में विटामिन C वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि सनस्क्रीन के साथ मिल कर यह त्वचा को यूवी डैमेज से बचा सके। पर कुछ मानते हैं कि यह धीरे-धीरे असर करता है, और यह त्वचा पर 24 घंटे से ज़्यादा रहता है, इसलिए यदि आप इसे रात में भी लगाएं तो अगले दिनभर यह त्वचा की सुरक्षा करता है।
डॉक्टर शास्त्री की सलाह है कि ज़्यादा कॉन्संट्रेशन वाले अस्कॉर्बिक ऐसिड का इस्तेमाल रात के वक़्त करना चाहिए, जिससे आपको ऐंटि-एजिंग के फ़ायदे मिलेंगे, और इसे लगाने के बाद त्वचा पर होने वाली जलन से आपको रात भर में आराम भी मिलेगा।
रूटीन के दूसरे प्रोडक्ट्स के साथ यह कैसे काम करेगा
स्किनकेयर का दूसरा बेहतरीन प्रोडक्ट है – निआसिनेमाइड, लेकिन इसका और विटामिन C का एकसाथ उपयोग बिलकुल निषेध माना जाता है। आपने चेतावनी देते कई वीडियो देखे होंगे, लेकिन इनका तालमेल इतना नुकसानदायक भी नहीं है।
निआसिनेमाइड एक बेहतरीन एंटी-इंफ्लेमेटरी इन्ग्रीडिएंट है जो, विटामिन C की तरह, हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करता है। यह माना जाता था कि यदि दोनों का इस्तेमाल एक साथ किया जाए तो ये एक-दूसरे के प्रभाव को ख़त्म कर देते हैं। लेकिन हालिया रिसर्च ने इस दावे को खारिज किया और कहा कि इन दोनों को साथ में इस्तेमाल करने के कारण जो जलन महसूस होती है, वह एसिडिक विटामिन C की वजह से ही होती है।
स्टीफ़न एलियन को, कॉस्मेटिक और स्किनकेयर फ़ॉर्मूलेटर, ने इसके बारे में काफ़ी कुछ लिखा है और कहते हैं, ‘‘निआसिनेमाइड और अस्कॉर्बिक ऐसिड को मिलाने पर इनका रंग पीला हो जाता है, लेकिन यह वह पीला रंग नहीं होता, जो अस्कॉर्बिक ऐसिड के ऑक्सिडाइज़ हो कर डीहाइड्रोअस्कॉर्बिक ऐसिड में बदलने पर होता है।’’

एक्स्पर्ट्स मानते हैं कि विटामिन C अधिकतर सभी इन्ग्रीडिएंट्स के साथ अच्छी तरह काम करता है। वे इसे स्किनकेयर रूटीन में सबसे पहले अप्लाइ करने की सलाह देते हैं, ताकि अन्य प्रोडक्ट्स इसके और त्वचा के बीच में ना आएं। हां, बेन्ज़ोइल परॉक्साइड और कॉपर आयन्स वाले प्रोडक्ट्स (ब्लू कॉपर प्रोडक्ट्स) को विटामिन C के साथ लगाने से जरूर बचें।
डॉक्टर शास्त्री बताते हैं, ‘‘बिगिनर्स को मेरी सलाह होगी कि अपने रूटीन में विटामिन C को ऐक्टिव बनाए रखें। यदि आप ग्लाइकोलिक ऐसिड, लैक्टिक ऐसिड और सैलिसिलिक ऐसिड जैसे एक्स्फ़ॉलिएटिंग इन्ग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल भी करती हैं तो इन्हें एक ही साथ में ना लगाएं, इन्हें दिन और रात में या फिर अलग-अलग दिनों में बांट लें, ताकि आपकी त्वचा पर एक साथ बहुत ज़्यादा भार न आने पाए।’’
विटामिन C डेरिवेटिव्स की वास्तविकता को समझिए
जब बात विटामिन C की हो तो इसका सबसे अच्छा फ़ॉर्मूला है विटामिन C को विटामिन E और फ़ेरुलिक ऐसिड के साथ मिलाना। ऐन्टिऑक्सिडेन्ट्स के इस ग्रुप के त्वचा पर प्रभाव का डॉक्टर शेल्डन पिनेल ने अच्छी तरह अध्ययन किया है। उन्होंने इन तीनों के फ़ॉर्मुलेशन को पेटेंट कराया, जिसे बाद में उनके बेटे ने अपनी कंपनी स्किनस्यूटिकल्स के माध्यम से कन्ज़्यूमर्स तक पहुंचाया। अब यह स्किनस्यूटिकल्स C E फ़ेरुलिक सीरम के रूप में उपलब्ध है, लेकिन हमारे देश में यह काफ़ी महंगा है।
विटामिन C अस्कॉर्बिक ऐसिड के रूप में सबसे ज्यादा प्रभावी है, लेकिन यह बेहद अस्थिर भी है।

विटामिन C की अस्थिरता को देखते हुए, कॉस्मेटिक फ़ॉर्मुलेटर्स ने विटामिन C डेरिवेटिव्स के साथ काम करना शुरू किया है। ये डेरिवेटिव्स ज़्यादा स्थिर हैं और अपने फ़ॉर्मुलेशन के आधार पर ये अस्कॉर्बिक ऐसिड की प्रभावशीलता बनाए रखते हैं। मानव त्वचा पर इनके फायदों संबंधित स्टडीज़ कुछ ख़ास निर्णायक नहीं हैं। जैसा कि डर्मैटोलॉजिस्ट डॉक्टर जेनी लियू लिखती हैं, ‘‘कोई स्टडी किसी डेरिवेटिव के फ़ायदे के बारे में बात करती है, जबकि दूसरी उसी को अप्रभावी बताती है। यह दरअसल एल-अस्कॉर्बिक ऐसिड की मैन्युफैक्चरिंग की चुनौतियों को दिखाता है, क्योंकि इसका सही फ़ॉर्मुलेशन ही सबकुछ है।’’
डॉक्टर जेनिफ़र हरमन कहती हैं, ‘‘ये डेरिवेटिव्स शुद्ध विटामिन C नहीं हैं, बल्कि उन्हें अन्य इन्ग्रीडिएंट्स के साथ मिलाया जाता है, जो विटामिन C को स्थिर रख सके। जब ये डेरिवेटिव्स त्वचा के संपर्क में आते हैं, वे शुद्ध विटामिन C को त्वचा में रिलीज़ कर देते हैं।’’
यदि किसी प्रोडक्ट में विटामिन C डेरिवेटिव की मात्रा 15% बताई गई है, उसमें से शायद केवल 10% विटामिन C त्वचा में पहुंचेगा। उस प्रोडक्ट को त्वचा पर अस्कॉर्बिक ऐसिड में बदलने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
डर्मैटोलॉजिस्ट और हेयर ट्रान्स्प्लांट सर्जन, डॉक्टर रतिशा कुमार कहती हैं कि हालांकि अस्कॉर्बिक ऐसिड सबसे ज्यादा फायदेमंद है, लेकिन उसके डेरिवेटिव्स उतने ही समय में और उतनी ही तेज़ी से सभी फ़ायदे नहीं दे सकते। हां, थोड़ा धीरज रखें तो आपको अस्कॉर्बिक ऐसिड के फ़ायदे मिल सकते हैं, वो भी बिना जलन के और बिना हर तीन महीने में प्रोडक्ट के भूरे रंग में बदले। आपको अपनी स्किन टाइप के आधार पर अपने लिए डेरिवेटिव चुनना होगा।
वे सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले डेरिवेटिव्स के बारे में हमें जानकारी दे रही हैं:
सोडियम और/या मैग्नीशियम अस्कॉर्बिल फ़ॉस्फ़ेट (SAP और MAP)- यह मुहांसों के प्रति संवेदनशील त्वचा के लिए अच्छा है, क्योंकि कुछ स्टडीज़ में यह साबित हुआ है कि यह मुहांसों के इलाज में मदद करता है। यह चेहरे को उजला बनाता है, त्वचा पर सौम्य और प्रभावी है। शुरुआत के लिए यह अच्छा ऑप्शन है।

टेट्राहेक्सिलडेसिल अस्कॉर्बेट (THD)- यह ज़्यादा फ़ैट युक्त होता है, इसे आप क्रीमी या ऑइल-बेस्ड फ़ॉर्मुलेशन्स में पाएंगे अत: यह ड्राइस्किन वाले लोगों के लिए अच्छा है। यह हाइड्रेटिंग और मॉइस्चराइज़िंग है और हाइपरपिग्मेंटेशन स्पॉट ट्रीटमेंट के लिए उपयुक्त है।

अस्कॉर्बिल ग्लूकोसाइड- स्किन ब्राइटनिंग में इसके नतीजे कुछ ख़ास नहीं हैं, लेकिन इसमें अस्कॉर्बिक ऐसिड जैसी कोलैजन बूस्टिंग क्षमता है। इसे मैच्योर त्वचा के रूटीन में शामिल करना फायदेमंद साबित होगा।

एथिल अस्कॉर्बिक ऐसिड (EAA)- यह विटामिन C पानी और तेल दोनों में ही स्थिर होता है और आजकल सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह त्वचा पर जलन नहीं होने देता। दूसरे डेरिवेटिव्स की तुलना में, यह स्किन में ज्यादा अच्छे से अब्सॉर्ब होता है। यदि आपको स्किन ब्राइटनिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी लाभ दोनों चाहिए, तो इसे चुनें।

यह केवल ऊपरी देखभाल की ही बात नहीं है
डॉक्टर शास्त्री के अनुसार, जब बात कोलैजन प्रोडक्शन की आती है तो सतही एप्लीकेशन से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण न्यूट्रिशन है। खट्टे फलों से भरपूर डाइट जैसे- संतरे, नींबू, ऐन्टिऑक्सिडेंट्स से भरपूर बेरीज़ जैसे- आंवला और सब्जियां जैसे- टमाटर, शिमला मिर्च और खरबूजा आपके शरीर में विटामिन C का स्तर बढ़ाते हैं। बॉलिवुड के पसंदीदा हेल्थ एक्स्पर्ट डॉक्टर ज्वेल गमादिया कहते हैं कि विटामिन C की कमी से आपके मसूड़ों से ख़ून आता है, इम्यूनिटी कम होती है, स्कर्वी हो सकता है या खाने में मौजूद आयरन शरीर में अब्सॉर्ब नहीं होता है।
विटामिन C की कमी से त्वचा की समस्याएं जैसे- ऐटॉपिक डर्मैटाइटिस, केराटोसिस पिलारिस हो सकती हैं और त्वचा बेजान हो सकती है। ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की वजह से त्वचा को नुक़सान पहुंच सकता है।
जहां साइंस हमारी ख़राब लाइफ़स्टाइल के नतीजों को ठीक करने के लिए प्रोडक्ट्स बनाने में कड़ी मेहनत कर रहा है, हमें भी तो अपने अंदरूनी विटामिन C के स्तर को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि सारी मेहनत हमारी स्किनकेयर को ही ना करनी पड़े।