हमने भारत की सबसे अच्छी जलेबियों को चखा, और एक निर्विवाद विजेता पाया
शेफ़ शिप्रा खन्ना और स्टैंड-अप कॉमेडियन सुप्रिया जोशी ने सिर्फ आपके लिए एक ‘शुगर कोमा’ का जोखिम उठाया
जिस किसी ने भी जलेबी का आविष्कार किया है, जी चाहता है उसके हाथ चूम लूं। अजी, इसका गलत मतलब न निकालें, यहां मेरा आशय भक्ति-भाव वाला है, जो उस व्यक्ति के प्रति है जिसने हमें ऐसी चाशनी से सराबोर, एक श्रेष्ठ मिठाई से रूबरू कराया है। इस भूल-भुलैया जैसी गोल-मोल जलेबी का समस्त भारतीयों के दिलों में एक मनपसंद मिठाई के रूप में विशिष्ट स्थान है। भले ही आप एक बरसाती शाम को सड़क के किनारे खड़े-खड़े इन्हें सटासट निगल रहे हों, या अपने गर्म कपड़ों में लिपटे, स्वेटर की बाहों से चाशनी टपकाते हुए खा रहे हों।
हर किसी का जलेबी खाने का अपना-अपना तरीका है। बर्फ की तरह ठंडी; गर्मा-गर्म चाशनी टपकाती हुई; शीरा और रबड़ी के साथ; यहां तक कि आइसक्रीम की टॉपिंग के साथ। कोई भी तरीका ग़लत नहीं है। चलो, ठीक है, शायद यह आख़िरी वाला थोड़ा ठीक न लगता हो।
अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर कौन सी जलेबी सबसे बढ़िया है? क्या परंपरागत जलेबी की तुलना में छैना जलेबी एक सुयोग्य प्रतिस्पर्धी है? क्या मावा जलेबी इस सर्वोत्तम जलेबी का ताज पाने की दौड़ में जीत जाएगी या यह सभी जलेबियां, इस बड़े से चेहरे के आकार के जलेबा की छाया तले, निरी साधारण-सी मिठाई बन कर रह जाएंगी?
इस बारे में, हमने कुछ विशेषज्ञों को हमारी मदद करने के लिए बुलाया। शेफ़ शिप्रा खन्ना और स्टैंड-अप कॉमेडियन सुप्रिया जोशी ने विविध प्रकार की उपलब्ध जलेबियों को चख-चख कर देखा। इस परम ‘फूड-फ़ाइट’ में, मास्टर शेफ़ इंडिया (सीजन 2) की विजेता तथा सिनफुली यूअर्स और द स्पाइस रूट जैसी पुस्तकों की लेखिका खन्ना अपनी विशेषज्ञता सिद्ध कर रही हैं और जोशी, जो उनके ऑनलाइन उपनाम सुपरवूमन के नाम से भी जानी जाती हैं, अपने सर्वोत्कृष्ट हास्य और वास्तविक जीवन के अनुभवों को, हमारे सम्मुख प्रस्तुत कर रही हैं।