
लॉकडाउन के दौरान विटामिन डी की कमी का मुकाबला कैसे करें
यह आपके डब्बे में ही है
यदि आप इस ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान घर से ही अपने काम की डेडलाइन्स पूरी करने में जुटे हैं, तो अपने बेड का एक वर्कस्टेशन में तब्दील हो जाना या ख़राब वाईफाई कनेक्शन से जूझना, यह तो सिर्फ कुछ मामूली संघर्ष है जिनका आप सामना कर रहे होंगे। लॉकडाउन के इस माहौल में, शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाना, अपने आप में एक बहुत बड़ी रिस्क है। खासतौर से शहरों में, माचिस के डिब्बोंनुमा अपार्टमेंट्स में रहने वाले उन लोगों के लिए, जिनका धूप में निकलना, ना के बराबर हो गया है।
यह सिर्फ आज की बात नहीं है, वैसे भी पिछले कई सालों से, हर सुबह एक नए दर्द के साथ उठना और हर वक़्त थकान महसूस करने जैसी तकलीफों को शरीर में विटामिन डी के घटते स्तर से जोड़ा जाता रहा है। यह चर्चा का एक आम विषय है, खासकर तब, जब 70-90% भारतीय विटामिन डी की कमी से ग्रसित हैं।
हालांकि सप्लीमेंट्स और शॉट्स से इस कमी की पूर्ति की जा सकती है, लेकिन फिर भी, हर रोज़ सुबह की धूप के संपर्क में कुछ देर तक रहना, इस समस्या का यूनिवर्सल प्रिस्क्रिप्शन है।
कोलकाता स्थित एक फोटोग्राफर, देवांग भंडारी बताते हैं, “मैं हर सुबह भयंकर पीठ एवं जोड़ों के दर्द और थकान के साथ उठता था। ऐसा महसूस होता था जैसे शरीर में एनर्जी ही नहीं है। काफी समय तक, मैं इसका दोष काम करते समय अपने खराब पोस्चर और लम्बे समय तक स्क्रीन के संपर्क में बने रहने को देता रहा। बाद में जाकर पता चला कि मेरा विटामिन डी लेवल गिरकर सिर्फ 5 रह गया है।”
शहरों में धूप से सीमित संपर्क, स्मॉग, एयर पॉल्युशन और ऊपर से ख़राब डाइट ही, भारत में प्रचलित विटामिन डी की कमी के मुख्य कारण माने जाते हैं।

विटामिन डी की कमी के साइड इफेक्ट्स:
विटामिन डी की नॉर्मल रेंज 20 से 50 ng/ml के बीच होती है। लेकिन, अगर यह नंबर घटने लगता है तो क्रॉनिक बीमारियां होने की रिस्क बढ़ने लगती है जैसे डॉयबिटीज़, डिप्रेशन और कमज़ोर हड्डियां।
बोन हेल्थ: आमतौर पर, विटामिन डी की कमी के कारण, आपके जॉइंट्स में सुस्ती और मसल्स में दर्द होना शुरू हो जाता है, खासकर पीठ के निचले भाग में। इसकी वजह से बोन मास और बोन डेंसिटी के स्तर में गिरावट आती है, जो ओस्टियोमलेशिया, ऑस्टियोपीनिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को बढ़ावा देता है।
मेंटल हेल्थ: खुद को अपनी फेवरेट हर्बल चाय या कॉफ़ी के 5 कप में डुबो लेने के बाद भी, आप थके रहते हैं। दिन का कोई भी वक़्त हो, आप शिथिल महसूस करते हैं। यदि ऐसा है तो आगे जाकर, यह थकान आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है। कुछ मामलों में, विटामिन डी की कमी को डिप्रेशन से जोड़ा गया है, पर क्योंकि यह डॉयग्नोसिस कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, इसलिए इसका सीधा संबंध स्थापित करना अभी बाकी है।
हेयर लॉस: विटामिन डी पुराने हेयर फॉलिकल्स को स्टिम्युलेट करता है और नए फॉलिकल्स बनाने में मदद करता है। इसकी कमी के कारण, अकसर बालों का विकास धीमा हो जाता है, जो ऐलोपेशिया नामक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर को बढ़ावा देता है। यही हमारे स्कैल्प और शरीर के दूसरे भागों में बाल्ड पैचेज (गंजेपन) का कारण बनता है।
डॉयबिटीज़: यह विटामिन, जिसे बहुत कम आंका जाता है, इंसुलिन के प्रति हमारे शरीर की सेंसिटिविटी को बढ़ाकर, इंसुलिन रेसिस्टेंस की रिस्क को कम करता है, जो अक्सर टाइप 2 डॉयबिटीज़ का मुख्य कारण होता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, विटामिन डी हमारे पैंक्रियास में इंसुलिन प्रोडक्शन को नियमित करता है।
पर लॉकडाउन के इस कठिन समय में भी आशा की एक किरण मौजूद है। मसिना हॉस्पिटल से, इंफेक्शियस डिसीसेज़ की फिजिशियन, डॉ तृप्ति गिलाडा बताती हैं कि किस तरह आपको अपनी धूप का डेली डोज़ मिल सकता है और विटामिन डी से भरपूर भोजन को अपनी डाइट में शामिल कर, आप उसे कैसे बेहतर बना सकते हैं।
उनके अनुसार, “सुबह 7 बजे से 10 बजे तक की धूप, सबसे ज़्यादा फायदेमंद होती हैं। प्रतिदिन, इस समय में छत पर 45 मिनट का मॉर्निंग वॉक, आपके लिए काफी है। अगर आपकी बालकनी में अच्छी धूप आती हो, तो आप वहां खड़े होकर भी धूप सेक सकते हैं।”
अपने विटामिन डी की भरपाई के लिए:
अकेले ही सैर पर निकल पड़ें: “टाइम ही नहीं मिलता ” वाला बहाना अब नहीं चलेगा। सुबह जल्दी उठें और अपनी छत पर ही जाकर वॉक करें या दौड़ लगाएं। सुबह की सुनहरी धूप का फायदा उठाएं।

अपना डब्बा गेम शुरू करें: वैसे तो, सूरज की रोशनी विटामिन डी का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है, लेकिन आप चाहे तो कुछ एक्स्ट्रा डी क्रेडिट्स के लिए एक सम्पूर्ण भोजन की थाली का भी रुख कर सकते हैं। शुक्र है, हमारी भारतीय भोजन की थालियों को ऐसे डिज़ाइन किया जाता है कि वह हमारी सभी आवश्यक पोषक तत्वों की ज़रूरतों को पूरा करें।
दूध, चाहे किसी भी रूप में हो, विटामिन डी का अच्छा स्त्रोत है। अपने ब्रेकफास्ट सीरियल्स न भूलें। सिर्फ इस एक समय पर, आप चाहे तो ओट्स की ओवरईटिंग कर सकते हैं। और हां, हमेशा अपने खाने के साथ फ्रेश ऑरेंज जूस का इस्तेमाल करें।
नॉन-वेजीटेरियन लोग, अपनी डाइट में अंडे और मीट शामिल करें।
डॉ गिलाडा के अनुसार, सप्लीमेंट्स विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं, पर इन्हें अपने जनरल फिजिशियन से कंसल्ट करने के बाद ही लेना चाहिए।