
पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट टिप्स
बच्चे के साथ-साथ अपनी सेहत का ख्याल रखना ना भूलें
आमतौर पर बच्चे होने के बाद आदमियों को “थोड़ा बहुत मोटा” होना चलता है, और उनसे परफेक्ट फिट लुक की कोई आशा नहीं की जाती। लेकिन यह लक्ज़री एक माँ के हिस्से में नहीं आती, जो एक ह्यूमन इनक्यूबेटर की तरह नौ महीने तक बच्चे को अपनी कोख में पालती है और फिर उसे पैदा करने में सबसे भयंकर दर्द भी सहती है। नई मांओं से लगाई गयी यह अवास्तविक उम्मीदें, उन्हें ना चाहते हुए भी जल्दी से जल्दी पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट शुरू करने के लिए मजबूर कर देती हैं, जो फायदे से ज्यादा नुक्सान पहुंचा सकता है। लेकिन कभी सोचा है- ब्रेस्ट पंप्स, गंदे डायपर्स और रोते-चिल्लाते बच्चों के बीच वह वर्कआउट के लिये समय कहां से निकालेंगी?

फिटनेस एंट्रेप्रेन्योर और जुड़वा लड़कियों की मां, मल्लिका तारकस पारेख जानती हैं कि माँ की जिम्मेदारियां निभाने और अपनी फिटनेस पाने की चाह में तालमेल बैठना कितना कठिन होता है। वह एएमपी फिटनेस की संस्थापक और डायरेक्टर हैं, वह कंपनी जो बार्रे वर्कआउट फिसीक 57 को भारत में लेकर आयी थी। उन्होंने ट्वीक इंडिया के साथ उनकी पोस्ट-प्रेगनेंसी फिटनेस का सफर शेयर किया और कुछ ऐसे तरीके बताए जिसे हर नई मां इस्तेमाल कर सकती है।
पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट शुरू करने का सबसे अच्छा समय कब है?

पारेख कहती हैं, “यह वास्तव में व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है।” वर्कआउट शुरू करने से पहले सबसे ज़रूरी काम है अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करना। उनके अनुसार, “किसी भी एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, फिर चाहे वह ‘ब्रिस्क वॉक’ जैसी मामूली एक्सरसाइज ही क्यों न हो।” अपनी शारीरिक जरूरतों को समझिये और अगर आपको बहुत थकावट या तनाव लगे, तो तुरंत बंद कर दीजिये।
पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट स्टेप 1 – अपने शरीर को मज़बूत बनाना
कई औरतें बिना सोचे-समझे सीधे ही लम्बे-चौड़े फिटनेस प्रोग्राम में कूद पड़ती हैं, लेकिन आपके पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट की शुरूआत अपनी मसल्स को मज़बूत बनाने पर केंद्रित होनी चाहिए। प्रेगनेंसी और बच्चे के जन्म के बाद एक माँ का शरीर काफी कमज़ोर हो जाता है, जिससे कई समस्याएं जैसे पोस्चर से जुड़े दर्द, पेट की कमज़ोर मसल्स, कमर दर्द, अस्थिर पेल्विक गर्डल, जोड़ों में दर्द और भी कई तरह की तकलीफें होती हैं। पारेख कहती हैं, “वर्कआउट करना नेचुरल तरीके से खुद को फिर से पहले जैसा बनाने में मदद करता है। यह प्रभावित मसल्स को मज़बूती देकर दर्द को कम करने में मदद करता है।”
चाहे आपका शरीर कुछ भी कहें, लेकिन साधारण एक्सरसाइज से शुरूआत करना ज़रूरी है। वह कहती हैं, “डिलीवरी का दर्द सहन करने के लिये, शरीर मसल्स में रिलैक्सिन नाम का हार्मोंन रिलीज़ करता है जिससे मसल्स फ्लेक्सिबल होती है और शरीर को ताकत मिलती है। इसलिए खुद पर अपनी सहनशक्ति से ज़्यादा जोर नहीं डालना चाहिए, इससे बहुत नुकसान भी हो सकता है।” भले ही आप पहले से ही हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करती हों और डिलीवरी के बाद भी रिलैक्सिन के प्रभाव में खुद को सुपरवूमन समझ रही हों, याद रखें कि धीमी शुरूआत और फिर धीरे-धीरे खुद को नियमित वर्कआउट में ढ़ालना ही सबसे अच्छा तरीका है।
मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी शारीरिक मज़बूती

पारेख कहती हैं, “पोस्टपार्टम डिप्रेशन और एंग्जाइटी एक सच्चाई है। पोस्टपार्टम रिकवरी में बहुत कुछ शामिल होता है लेकिन बदकिस्मती से इसमें वज़न कम करने पर सबसे ज़्यादा ज़ोर डाला जाता है। फिटनेस ब्रांड की मालिक होते हुए, मैं समझती हूं कि शारीरिक सुंदरता पर फोकस करने के साथ आपको यह समझने की भी ज़रूरत है कि मानसिक सेहत भी उतनी ही ज़रूरी है।”
करीब 22 परसेंट भारतीय औरतें प्रेगनेंसी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजरती हैं। किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि हमारे शरीर में एंडोर्फिन नाम का खुशनुमा केमिकल रिलीज़ करती है, जिससे डिप्रेशन कम करने में मदद मिलती है। इसलिये नेगेटिविटी को दूर करने के लिए एक्सरसाइज को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करिये। पारेख का कहना है, “मानसिक सेहत, शारीरिक मज़बूती और खुद पर संयम रखना, पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट का सबसे ज़रूरी हिस्सा है।”
अपने लिए अवास्तविक लक्ष्य न रखें
इस बात को समझिए कि आपने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया है। पारेख कहती हैं, “पहले जैसा महसूस न कर पाना, थोड़ा बुरा लगता है पर कोई बात नहीं। प्रेगनेंसी से आपके शरीर के कुछ भाग जैसे रिबकेज और हिप्स फ़ैल जाते हैं। ज़रूरी नहीं कि वह फिर से बिलकुल पहले जैसे हो जाएं। देखा जाए तो आपने एक नई अनमोल ज़िंदगी को जन्म दिया है और यह भी अपने आप में बहुत कूल बात है जो शायद हर किसी के बस की बात नहीं।”
पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट की शुरुआत घर से करें
पारेख कुछ आसान एक्सरसाइज बता रही हैं, जो आप बैड पर लेटकर भी कर सकती हैं। पारेख ने बताया, “ये बहुत ही आसान हैं, अपने हाथ-पैर चलाते रहने से शरीर में खून का बहाव बना रहेगा। साधारण पेल्विक रेज़ेस, हिप रेज़ेस और स्ट्रेचेस करने चाहिये। साथ ही प्रेगनेंसी के बाद अपने परिवार के साथ समय बिताना और खुश रहना, उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पोस्ट-प्रेगनेंसी वर्कआउट करना। यह बहुत आवश्यक है, मेरी इस बात पर जरूर ध्यान दें।”
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