
नौ प्रकार के सिरदर्द, जो आपकी खुशियों को ग्रहण लगा सकते हैं
50 एम जी क्रोसिन और गिलोटिन के बीच में, अपने दर्द से छुटकारा पाने के लिए मैं गिलोटिन को चुनूँगी
आपका सिरदर्द नहीं कर रहा है। ऐसा लग रहा है, मानो गॉडज़िला आपके सेरेब्रल कॉर्टेक्स पर, अपने मनोरंजन के लिए नाच रहा है। कभी-कभी यह आपकी, मिस्टर जैक डेनियल और कैप्टन मॉर्गन के साथ बनाई हुई तिकड़ी का नतीजा होता है, जिन्हें अगली सुबह आपके सिर पर लगातार हथौड़े पीटना बड़ा अच्छा लगता है। अन्य दिनों में, यह सिर्फ आपका सिर है जो आपको एक कप कॉफी में डूबने के लिए लुभाता है। ई एल जेम्स की कल्पनाओं में जितने ग्रे-कलर के शेड होंगे, उस से कहीं अधिक प्रकार के सिरदर्द होते हैं, और ये अक्सर अपने अलग-अलग रूप धारण कर के आते हैं, जैसे – उल्टी, जी ख़राब होना, मसल्स का अकड़ जाना और दृष्टि का धुंधला जाना।
डॉक्टर निधि सिंह, मेडिकल ऑफ़िसर, एयर इंडिया लिमिटेड के अनुसार, “बदलते समय और निरंतर विभिन्न किरणों तथा कई स्क्रीनों के संपर्क में आने के कारण, सिरदर्द के प्रकार, हमारी मेडिकल टेक्स्ट बुक्स में दिए हुए प्रकारों से कहीं अधिक बढ़ गए है।”

विस्तृत रूप से सिरदर्द के मुख्यतः दो प्रकार हैं— प्राइमरी सिरदर्द: जिन से जुड़ा कोई ख़ास कारण नहीं होता और सेकेंडरी सिरदर्द: जिन के लक्षण स्पष्ट होते हैं, या यह अन्य बीमारियों का परिणाम होते हैं। सेकेंडरी सिरदर्द, में डॉक्टर की मदद लेने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी तरह की जानलेवा बीमारी जैसे ब्रेन-ट्यूमर, मेनिनजाइटिस, इंटरनल ब्लीडिंग या स्ट्रोक की सम्भावना को ख़ारिज किया जा सके।
तो, इससे पूर्व कि आप एक क्रोसिन गटकें या यूकेलिप्टस ऑइल में स्वयं को डुबो लें, बेहतर होगा कि आप यह पता लगाएं कि आपकी खुशी को ग्रहण लगाने वाला सिरदर्द किस प्रकार का है।
प्राइमरी सिरदर्द
माइग्रेन: ऐसा बहुत तेज सिरदर्द जो घंटों (…या दिनों) तक चलता रहकर, आपको पूरी तरह निष्क्रिय कर दे, वह ‘माइग्रेन’ के नाम से कुख्यात है। उल्टी होना, प्रकाश, तेज़ आवाज़ या तीव्र गंधों का सहन न हो पाना — ये सारी बातें माइग्रेन के साथ-साथ बिन बुलाए मेहमानों की तरह चली आती हैं। आप आंखों के सामने, प्रकाश की चमक सहित विकृत दृश्यों का भी अनुभव कर सकते हैं। अधिकतर मामलों में, शरीर में हार्मोनल बदलाव तथा तनाव, माइग्रेन को ट्रिगर करने का कारण हो सकते हैं।
ऐसा अनुभव हो सकता है, जैसे आपका दिमाग तो एक ऊँचे सुर-ताल में चल रहे कॉन्सर्ट में शामिल है, लेकिन आपका बाकी शरीर उस में आमंत्रित नहीं है। चूँकि अभी तक माइग्रेन का कोई स्थाई उपचार नहीं है, अतः आप लगातार सिर पीटने जैसी आंतरिक भयानक यातना को सहन करना सीख लें। इसके दो ही जाने-पहचाने इलाज हैं – अपने आप को इस कॉन्सर्ट के समाप्त होने तक एक अंधेरे कमरे में बंद कर लें, या थोड़ी देर के लिए अपनी इन्द्रियों से डिसकनेक्ट हो जाएं।
आयुर्वेदिक इलाज : एक-एक टीस्पून भर कर धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और काली इलायची का पाउडर एक कप पानी में मिला कर सारी रात रख दें, और सुबह खाली पेट पी लें।
टेंशन से सिरदर्द: टेंशन से उत्पन्न सिरदर्द इतना आम है, कि प्रत्येक के जीवन में एक न एक बार तो हुआ ही होगा, भले ही आपको लगे की ऐसा कभी नहीं हुआ। अत्यधिक तनाव अथवा गर्दन और चेहरे की मांसपेशियों के ठीक प्रकार से काम न कर पाने के कारण, सिर बहुत भारी लगता है। बिना प्रिसक्रिप्शन के मिल जाने वाली पेरासिटामोल आमतौर पर आपका बचाव का उपाय हो सकती हैं, लेकिन यदि यह आपके दैनिक जीवन का स्थायी अंग बन जाए, तो चिकित्सक की सलाह लेने का वक़्त आ गया है।
आयुर्वेदिक इलाज : नाक के दोनों छिद्रों में गर्म घी की बूंदें डालिए।

क्लस्टर सिरदर्द: इस को आप सबसे खतरनाक सिरदर्द कह सकते हैं। इससे पीड़ित कुछ महिलाओं ने अक्सर इसे प्रसव से भी अधिक दर्दनाक बताया है। डॉक्टर सिंह के अनुसार, “क्लस्टर सिरदर्द के लिए दवा की खोज अभी तक ज़ारी है। कभी-कभी यह साल में दो बार आता है, और कभी यह हर महीने भी दस्तक दे सकता है। हम स्कैन और टैस्ट के द्वारा इसको पहचान तो सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इससे बचने का कोई उपाय अभी तक नहीं मिल पाया है।” कमाल है!
आयुर्वेदिक इलाज : क्लस्टर सिरदर्द को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित रूप से अदरक की चाय का सेवन करें।
साइनस: कभी-कभी आपकी आंखों में दर्द होता है, और गालों में कंपकंपी-सी होती है। धीरे-धीरे माथा भी इसकी पकड़ में आ जाता है, और फिर जब यह तीनों सिर को भी अपनी जकड़ में ले लें तो समझ लीजिए कि आपका साइनस चांदनी चौक से भी अधिक जाम है। ध्यान रखिए, साइनस से उत्पन्न सिरदर्द आगे की तरफ झुकने से बहुत बुरी तरह बढ़ जाता है। इसमें सामान्यतः ज़ुखाम होता है, उल्टी अथवा जी खराब नहीं होता। सिंह कहती हैं, “इस सिरदर्द को सबसे सरलता से समझा जा सकता है। इसमें आइब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) सामान्यतः लाभकारी होती है। अपने शरीर में जल की मात्रा उचित बनाए रखें, हर प्रकार के सिरदर्द से बचाव के लिए यह सबसे प्रमुख उपाय है।”
आयुर्वेदिक इलाज : एक बर्तन में लौंग/ यूकेलिप्टस/ पचोली तेल की कुछ बूंदें और 10-12 पुदीने की कुचली हुई पत्तियां डालकर पानी गर्म करें। उसमें 10-15 मिनट तक भाप लें।
हिपनिक सिरदर्द: एक तरह का ऐसा विरला सिरदर्द है, जिसे डॉक्टर भी अलार्म क्लॉक के नाम से संबोधित करते हैं। यह सामान्यतः जब आप सो रहे होते हैं तब शुरू होता है, और कुछ घंटों तक चलता रहता है। डॉक्टर सिंह कहती हैं, “यदि आप आधी रात को अपने सिर के दोनों तरफ़ हो रहे तीव्र दर्द के कारण उठ जाएं, तो समझ लीजिए कि आपको हिपनिक सिरदर्द हो रहा है। एक प्राइमरी सिरदर्द होने के कारण इसे समझना सरल है। अधिकतर मामलों में इनके होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है।”
आयुर्वेदिक इलाज : सोने से पूर्व जायफल मिश्रित दूध का सेवन करें।
सेकेंडरी सिरदर्द

हैंगोवर: यदि इसकी शुरुआत हमेशा काम के बाद, कुछ ड्रिंक्स पीने के उपरान्त हो और ख़त्म अगले दिन सुबह बिना पूर्व-सूचना के बीमारी की छुट्टी लेने के साथ हो, तो जान जाइये कि यह हैंगोवर का एक गंभीर मामला है। रात में नशा करने के बाद अगली सुबह सिर घूमना, प्यास लगना, नींद आना — या यह सब कुछ एक साथ होना, साबित करते हैं कि आप हैंगोवर के शिकार हैं। ऐसी स्थिति में, आप अपने कुक द्वारा बनाए गए नींबू पानी अथवा फ्रिज में रखे 3 हफ़्ते पुराने जूस पर ही निर्भर कर सकते हैं। आमतौर पर 50mg क्रोसिन से इसे आप शुरुआत में ही रोक सकते हैं।
आयुर्वेदिक इलाज : एक चुटकी काली मिर्च डालकर छाछ का सेवन करें।
कैफ़ीन विथड्रॉअल: अपनी कैफ़ीन की मात्रा को कम करने का प्रयास उतना ही दुष्कर है, जितना मुंबई में एक उचित किराए का घर ढूँढना। पर बहुत से लोग यह नहीं समझ पातें, कि इस प्रयास में आपको बार-बार सिरदर्द के दौरे पड़ेंगे, जो इस विथड्रॉअल का एक अहम हिस्सा है। एस्प्रेसो का एक नन्हा-सा घूंट इसे अवश्य ही ठीक कर देगा, लेकिन क्या आप इस लत से मुक्ति पाने के अपने प्रयास की अभी से हत्या कर देंगे? इसके बजाय अच्छा होगा कि अपने फर्स्ट एड बॉक्स में से एस्प्रिन लेकर खा लें।
आयुर्वेदिक इलाज : अश्वगंधा की एक गोली रात में गुनगुने पानी के साथ लें।

मेनिनजाइटिस: मेनिनजाइटिस आपकी रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के चारों ओर आ जाने वाली सूजन का परिणाम है। यह सिरदर्द सामान्यतः तेज़ बुख़ार और गर्दन में दर्द के साथ होता है। इस अवस्था में उचित मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ मामलों में व्यक्ति की जान जाने का भय भी रहता है।
ब्रेन ट्यूमर: शुरू के कुछ दिनों के लिए आप अपने आप में वेब एम डी (Web MD) हो सकते हैं, लेकिन सदैव अपनी बीमारी के लक्षणों को गूगल पर ही ढूंढने में समय न गवाएं। यदि दर्द आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी के कार्यकलापों पर असर डालने लगे, तो समझ जाइए कि डॉक्टर के पास जाने का समय आ गया है। डॉ सिंह के अनुसार, “आप सिरदर्द के बार-बार होने पर, माइग्रेन का एक और झटका समझकर इसकी अवहेलना न करें, क्योंकि यद्यपि दोनों में एक जैसा ही दर्द होता है, लेकिन यदि आप की सामान्य दवाएं अपना असर दिखाने में असमर्थ सिद्ध हों, तो ज़रूरी है कि आप इसकी जांच करवाएं।” प्रारंभिक लक्षणों में टीस देने वाला सिरदर्द होता है, और घबराने की बात यह है कि यह बिल्कुल माइग्रेन की ही तरह होता है। लेकिन धीरे-धीरे ब्रेन ट्यूमर के कारण होने वाले सिरदर्द में – दौरे पड़ना, उल्टी होना, जी ख़राब होना, दृष्टि धुंधली होना और बोलने में तकलीफ़ होने लग जाती है। दरअसल सिरदर्द होते रहने के अनेक कारण हो सकते हैं। यदि आपका सिरदर्द लंबे समय तक आपको तकलीफ़ दे रहा है, तो उचित होगा कि आगे होने वाले गंभीर परिणामों को समझने के लिए, डॉक्टर की सलाह से, अधिक गहरी जांच करवाएं।
बिना दवा खाए अपने सिरदर्द का उपचार कैसे करें?
निश्चय ही, आपके पर्स में डिस्प्रिन और आइब्यूप्रोफेन की गोली के मिल पाने का संयोग पर्स में चिल्लर मिलने से कहीं अधिक है। लेकिन शायद, अब इन जानलेवा सिरदर्दों का मुकाबला इन गोलियों से कर पाने के आपके प्रयास असफल सिद्ध हो रहे हों, क्योंकि आपका इम्यून सिस्टम अब इन बायो केमिकल कॉम्बिनेशन का आदी हो चुका है।
अब समय आ चुका है कि आप इन दवा की दुकानों से पल्ला झाड़ कर, अति-आवश्यक योगा मैट खरीद लें। योग-निर्देशक और कलारीपयट्टू चैंपियन प्रदीश राज का विश्वास है, कि कुछ मुट्ठी भर योगासनों में महारत हासिल कर, आप इन सदैव के तकलीफ़देह सिरदर्दों से छुटकारा पा सकते हैं।

प्राणायाम: यह दीर्घ श्वास लेने की प्रक्रिया चिंता और तनाव से उत्पन्न सिरदर्द के उपचार के लिए जानी जाती है। अपने सिर के नीचे एक छोटा तकिया लगाकर पीठ के बल लेट जाएं और कम से कम 15 मिनट प्राणायाम करें।
शीर्षासन: यह एक तरह से पहले से सावधानी या बचाव की उत्कृष्ट मुद्रा है। शीर्षासन को नियमित रूप से करना सिरदर्द को नियंत्रण में रखता है; फिर भी, जब आप माइग्रेन से ग्रसित हों, तब शीर्षासन न करें।
सर्वांगासन: इसे अक्सर ‘आसनों की रानी’ भी कहा जाता है। यह सभी प्रकार के सिरदर्दों के साथ-साथ, अन्य अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करने हेतु, एक अत्यधिक प्रभाव-कारी मुद्रा है। चाहे कॉन्स्टिपेशन हो या आम सर्दी-जुखाम या फिर सिरदर्द, सर्वांगासन में महारत हासिल करना एक सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
हलासन: हलासन पीठ के बल लेट कर किया जाने वाला आसन है, जिसमें आपकी रीढ़ और कंधों में खिंचाव होने से आपकी नसों को आराम मिलता है। सामान्यतः सर्वांगासन के बाद इसे करीब 5 मिनट के लिए किया जाता है। हलासन आपके स्लीपिंग पैटर्न को बेहतर करने में भी सहायक होता है।
(आयुर्वेदाचार्य डॉ इप्सिता चटर्जी के सहयोग से )