तनाव और चिंता को काबू में रखने के सात आसान तरीके, एक एक्सपर्ट के अनुसार
साथ में, ओपरा विनफ़्रे का वह सीक्रेट जो उन्हें शांत रखता है
आपको बॉस का एक ई-मेल मिला, जिसमें उन्होंने लिखा कि वो आपसे मिल कर बात करना चाहती हैं। बस, ये एक नोटिफ़िकेशन आपको तनाव और चिंता में डुबाने के लिए काफ़ी था।
ऐसे में, आपको सिर्फ अपनी गलतियां याद आने लगती हैं, पिछले हफ़्ते आपने ऐसा क्या गलत कहा या किया (…या शायद पिछले महीने, पिछले साल, आपका अब तक का पूरा जीवन ही आपकी नज़रों के सामने आ जाता है)।
और जब तक आप वास्तव में अपने बॉस से मिलने पहुंचती हैं, उससे पहले ही, आप अपने लिए दूसरे जॉब की तैयारी कर चुकी होती हैं, कहीं घर न बदलना पड़ जाए इसलिए घर की लीज़ को रिव्यु कर चुकी होती हैं और ये भी प्लान कर चुकी होती हैं कि अपने पैरेंट्स पर इस बात का खुलासा कैसे करेंगी कि आपको नौकरी से निकाल दिया गया है।
इस तरह की चिंता आजकल बहुत आम है, या फिर शायद जागरूकता बढ़ने के कारण, पहले के लोगों की तुलना में, आजकल हम अपनी फीलिंग्स को दूसरों के साथ ज़्यादा कम्फ़र्टेबली शेयर कर पाते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट व थेरैपिस्ट, अंकिता गांधी का कहना है, “ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पुरानी पीढ़ी के लोगों को तनाव और चिंता नहीं होती थी, लेकिन अब जबकि बहुत सी जानकारी आसानी से उपलब्ध हैं, इन भावनाओं को पहचानना और नाम देना आसान हो गया है।”
अपनी फीलिंग्स को पहचानने और ऐसे समय में जब आपका दिल उसैन बोल्ट से भी ज़्यादा तेज़ गति से धड़क रहा हो तो ख़ुद को शांत रखने के लिए, वे हमारे साथ कुछ तरीके शेयर कर रही हैं।
तनाव और चिंता से निपटने के लिए मददगार तरीके
1. तनाव और चिंता के बीच में अंतर करना सीखें
हम अक्सर तनाव (स्ट्रेस) और चिंता (एंग्ज़ाइटी) दोनों ही शब्दों को अदल-बदल कर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये दोनों ही टर्म्स, दिमाग़ की अलग-अलग अवस्थाओं को दर्शाती हैं। अंकिता समझाती हैं, “जहां तनाव अस्थाई, थोड़ी देर के लिए होता है, वहीं चिंता लंबे समय तक चलती है। चिंता लगातार बनी रहने वाली एक कंडिशन है, जिसमें भविष्य में हो सकने वाली चीज़ों और उन्हें कंट्रोल न कर पाने की आशंकाओं का लगातार डर बना रहता है।”
2. ख़ुद को शांत करने के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें
जब आपका मन अत्यधिक तनावयुक्त विचारों से भरा हो, तो लम्बी, गहरी सांसे लेते हुए अपनी ब्रीदिंग पर फोकस करना बेहद कारगर साबित होता है।
डीप ब्रीदिंग (एब्डॉमिनल या डायफ्रमेटिक ब्रीदिंग) करें – इसे करने का सही तरीका ये है कि जब आप सांस लें, अपने निचले पेट को अंदर की ओर खींचें, सांस को लगभग चार सेकेंड तक रोके रखें और फिर धीरे-धीरे अपने निचले पेट को रिलैक्स करते हुए और कंधों को ढीला छोड़ते हुए सांस छोड़ें।
अंकिता समझाती हैं कि यह तकनीक कैसे मदद करती है, “जब आप नॉर्मली सांस लेते हैं तो आप इस एक्शन को अपनी छाती में महसूस करते है। जब आप चिंतित होते हैं, तो तेज़ धड़कन के कारण आपकी छाती पर पहले से ही बहुत दबाव होता है। ऐसे में नार्मल ब्रीदिंग से इस पर और अधिक दबाव पड़ता है, जिससे स्ट्रेस और भी ज़्यादा बढ़ जाता है।”
यह तकनीक आपके ब्रीदिंग पैटर्न को फिर से नार्मल करती है, जिससे आपको तुरंत ही शांति महसूस होती है।
उनके अनुसार हमें नियिमत रूप से डीप ब्रीदिंग की प्रैक्टिस करते रहना चाहिए क्योंकि “अक्सर लोग भूल जाते हैं कि जब वास्तव में एंग्ज़ाइटी अटैक आए तो उन्हें किस तरह से ब्रीदिंग करनी है। तो बेहतर है डीप ब्रीदिंग की रेग्युलर प्रैक्टिस करते रहने से, क्यों न इसे आने से पहले ही रोक दिया जाए।”
3. सीमाएं तय करें और अपनी बात खुलकर कहें
रिश्तों को संभालने का यह एक बढ़िया तरीका है, जो सभी के साथ सही साबित होता है, फिर चाहे वह ज़रूरत से ज़्यादा दबाव बनाने वाला बॉस हो, एक कंट्रोलिंग पार्टनर या फिर ज़रूरत से ज़्यादा अधिकार जताने वाला दोस्त। हर रिश्ते की एक सीमा तय करें कि उसके आगे आप सहन नहीं करेंगी।
जब आपको ऐसा लगे कि कोई उस सीमा को पार कर रहा है, तो उससे खुलकर बात करें और यह जता दें कि उनका व्यवहार सही नहीं है।
अंकिता कहती हैं, “हम सोचते हैं, खुलकर अपनी बात कहेंगे तो अशिष्ट लगेंगे। लेकिन इसका मतलब है, अपनी बात खुले दिल से, पूरी सच्चाई के साथ किसी के सामने साफ़-साफ़ रखना। विनम्रता के साथ, असरदार तरीके से अपनी बात कह देना।”
4. ओपरा विन्फ्रे के 17-सेकेंड-रूल का इस्तेमाल करें
अब्राहम-हिक्स के अनुसार, यदि कोई विचार आपके मन में 17 सेकेंड्स तक रुक जाए तो वो साकार होने की दिशा में बढ़ जाता है।
ओपरा ने हिक्स के इस 17 सेकेंड वाले नियम से प्रेरणा तो ली, लेकिन उन्होंने इसे उल्टा कर दिया। वो कहती हैं कि जब भी आपको ऐसा लगे कि कोई स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो रही है और आप उसे हैंडल नहीं कर पाएंगे, तो थोड़ा रुकें और 17 से लेकर शून्य तक उल्टी गिनती गिनें, और इन 17 सेकेंड तक मन में कोई भी नेगेटिव ख़्याल नहीं आने दें।
और हां, इसे प्रैक्टिस करते हुए, आप यह सोच कर खुश हो सकते हैं कि आपके और ओपरा के बीच कुछ तो कॉमन है।
5. वर्तमान में फोकस करें
“हमेशा सचेत रहने से आप ज़रुरत से ज़्यादा सोच-विचार पर नियंत्रण कर सकते हैं। जैसे ही लगे कि आप एक ही बात के बारे में बहुत ज़्यादा सोच रही हैं, तो अपना ध्यान फिर से अपनी आसपास की चीजों पर फोकस करें।”
ख़ुद से ऐसे सवाल पूछें, जैसे- ‘मैं फ़िलहाल कहां हूं?’, ‘इस पल, मैं क्या कर रही हूं?’, वगैरह।
अंकिता सलाह देती हैं, “यह आपके ध्यान को वर्तमान में ही रहने में मदद करता है और नेगेटिव विचारों को आपके मन में जगह बनाने से रोकता है।”
भविष्य की चिंता के बोझ में दबकर, वर्तमान में जीवन बिताना बहुत मुश्किल हो जाता है, लेकिन यदि आप थोड़ा सा अपने मन पर काबू पाना सीख लें, तो यह बहुत मददगार साबित होगा।
6. अपनी ख़ूबियों को सराहें
अंकिता कहती हैं, “हम हमेशा यह सोचते रहते हैं कि हमारे आसपास के लोग हमसे कितने अच्छे हैं। पर ये भी बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी अच्छाइयों को जानें और उनकी सराहना करना सीखें।”
पॉजिटिव ऐफ़र्मेशन एक बेहतरीन जरिया है, खुद को यह याद दिलाते रहने के लिए की आप में कितनी खूबियां हैं।
वह कहती हैं, “आपका अवचेतन मन (सबकॉन्शस माइंड) हर उस जानकारी को पकड़ लेता है, जो आप इसे देते हैं। यदि आप बार-बार अपने मन में नेगेटिव विचार लाएंगी, तो वो इन्हें पकड़ लेगा और इन्हें सही मानकर, इन पर काम करना शुरू कर देगा।”
7. प्रोफ़ेशनल की मदद लें
यदि आपको लग रहा है कि आप खुद अपने तनाव और चिंता पर लगाम नहीं कस पा रही हैं तो आपको किसी प्रोफ़ेशनल की मदद लेनी चाहिए। बिल्कुल उसी तरह जैसे आप तब लेती हैं, जब आपका गला ख़राब होता है और अपने आप ठीक नहीं होता।
एक ऐसा थेरैपिस्ट चुनें, जिसके साथ आप कंफ़र्टेबल महसूस करें और जो आसानी से उपलब्ध भी हो। और यदि आप ये बहाना बनाना चाहती हैं कि आपके पास समय की कमी है तो आपको बता दें कि अब तो ऑनलाइन थेरैपी का विकल्प भी मौजूद है।
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