
शादी के दो साल पूरे होने से पहले ही मेरे पति की मृत्यु हो गई, फिर जो हुआ वह कभी किसी के साथ ना हो
24 साल की उम्र में विधवा होने के बाद, प्रेरणा ने कल्पना भी नहीं थी कि उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और उनसे जूझने के लिए कितनी हिम्मत लगेगी
मैं अपने होने वाले पति से स्कूल में मिली थी – हीत मेरे भाई के दोस्त थे, और हमारे बीच सिर्फ एक हाई-हैलो वाला रिश्ता था। लेकिन एक दिन, यह बदल गया। वह प्राग यूनिवर्सिटी की तरफ से लंदन आए थे, और तभी उन्होंने मेरे सामने अपनी भावनाओं का इज़हार किया, “मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं।” मैं 16 साल की थी, वह 19 साल के थे। मैं एक रूढ़िवादी राजस्थानी परिवार से हूं, और वह गुजराती थे, इसलिए हमें कोई उम्मीद नहीं थी कि हमारे परिवार इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे। यह जानते हुए भी, हमने संपर्क बनाए रखा। यहां तक कि वे मेरे भाई की शादी में भी आए और मेरे पूरे परिवार से मिले।
मेरे लिए बहुत से रिश्ते आ रहे थे, इसी दौरान एक दिन मैंने अपने पापा से मजाक में कहा कि मुझे हीत पसंद है। वह तुरंत इस रिश्ते के लिए मान गए। हालांकि हमारी उम्र थोड़ी कम थी, मैं केवल 22 साल की थी, लेकिन हमने सोचा कि जब हमारी एक दूसरे के साथ अच्छी पट रही है, हमारे माता-पिता भी खुश हैं, तो फिर हम और इंतजार क्यों करें? वैसे भी, अधिकांश भारतीय पेरेंट्स यही मानते हैं कि यदि उनके बच्चे एक दूसरे को पसंद करते हैं और एक रिलेशनशिप में हैं तो उन्हें जल्दी से जल्दी शादी के बंधन में बंध जाना चाहिए। बस फिर क्या था, दिसंबर 2020 में, हमारे लंदन के घर में, रीति-रिवाज़ों के साथ हमारी शादी हो गई जिसमें पेंडेमिक के कारण केवल 11 लोग मौजूद थे। हमने सोचा कि जब एक बार परिस्थितियां वापस सामान्य हो जाएंगी, हम कानूनी तौर पर शादी को रजिस्टर करेंगे, और एक बड़ी पार्टी का आयोजन करेंगे।

डेढ़ साल बाद, एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। मैं 24 साल की थी।
हीत एक कमर्शियल पायलट थे, और 2022 में, कोविड के बाद उनकी ट्रेनिंग जारी रखने के लिए, हम दोनों स्पेन गए थे। स्पेन के अधिकारियों ने मुझे बताया कि जब उनका प्लेन क्रैश हुआ तब वे अकेले ही प्लेन उड़ा रहे थे। मेरी जिंदगी तो जैसे थम गई। जब हम दोनों के परिवार स्पेन पहुंचे, हमने उनका अंतिम संस्कार किया।
मेरे पति इकलौते बेटे थे, इसलिए सबकुछ बिखरने लगा।
मैं अपने ससुराल वालों के साथ जामनगर, गुजरात में उनके फैमिली होम आ गई। हीत की मौत के 12वें दिन, जब मैं सदमे में थी, उन्होंने अपने घर पर मुझसे कुछ लीगल डॉक्युमेंट्स पर साइन करवाए। पेपर गुजराती में थे इसलिए मैं उन्हें पढ़ नहीं सकी, और ना ही मेरी मनःस्थिति ऐसी थी कि मैं इन बातों पर ज्यादा ध्यान दे पाती, मैंने उनके माता-पिता पर विश्वास किया। कई महीनों बाद, जब वे डॉक्युमेंट्स मेरे माता-पिता के हाथ लगे, तो मुझे पता लगा कि उन्होंने मुझे बिना बताए हीत के भारतीय निवेश, बीमा और संपत्ति के पेपर अपने पक्ष में साइन करवाए थे।
उनका परिवार बस एक ही बात दोहराता रहता कि काश मैं प्रेगनेंट होती, ताकि उनका बच्चा उनकी विरासत को आगे बढ़ा सकता। मेरे विधवा होने के 15 दिन के भीतर ही वे मेरी दूसरी शादी कराने की बात करने लगे।
उस समय मैं अपने सास-ससुर के साथ अपने ससुराल में रह रही थी। मुझे अपने दुःख को महसूस कर पाने और उसे स्वीकार करने का भी समय नहीं दिया गया, ऐसे समय में जब मैं मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुकी थी और हिल भी नहीं पा रही थी, मुझसे उम्मीद की गई कि मैं खाना बनाऊं, साफ़-सफाई करूं और फैमिली का ध्यान रखूं। हमारी समाज में, एक औरत का विधवा हो जाना इतनी आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता है, और वो भी इतनी छोटी उम्र में। वे इस बोझ को उठाने के लिए तैयार नहीं थे, अपने पति को खो देने के बाद भी मैं अपनी भावनाओं को रोकर या बोलकर व्यक्त नहीं कर पा रही थी। मैं अपने ससुराल वालों से बहुत जुड़ी हुई थी, मुझे लगता था कि केवल वो ही मेरे विधवा होने के दर्द को समझ सकते थे क्योंकि उन्होंने भी अपना बेटा खोया था।
अपमान और भावनात्मक दुर्व्यवहार बढ़ता ही गया, और उन्होंने अंततः मुझे मेरे पति के घर से निकाल दिया। उन्होंने मुझे उनका कोई भी सामान देने से मना कर दिया, यहां तक कि उनके कपड़े और फोन भी जिस पर हमारी कुछ निजी तस्वीरें थीं। उन्होंने मुझे उनकी फोन कांटेक्ट लिस्ट और व्हाट्सएप पर भी ब्लॉक कर दिया।
हमारी शादी को कानूनी रूप से रजिस्टर करने के ठीक 33 दिन पहले ही हीत का निधन हो गया था, जिससे मेरी स्थिति बहुत खतरे में थी। बहुत सी भारतीय महिलाएं केवल धार्मिक तरीके से शादी करती हैं, और तलाक या विधवा होने के बाद, वे अपने हक़ के लिए नहीं लड़ पातीं क्योंकि उनकी शादी कानूनी कागजातों में मान्य नहीं होती। ऐसी परिस्थिति का शिकार होने के बाद ही लोगों को इसका महत्व समझ में आता है। मेरी बदकिस्मती का फायदा उठाते हुए, हीत के पेरेंट्स ने कुछ ही महीनों बाद हमें एक डॉक्यूमेंट भेजा, जिसमें लिखा था कि हीत अविवाहित और बिना किसी वारिस के मरे थे। और इस बलबूते पर, वे हीत की संपूर्ण यूके की संपत्ति, बीमा और निवेशों को भी अपने नाम पर ट्रांसफर करने में सक्षम हो गए क्योंकि हीत ने कोई वसीयत नहीं बना रखी थी।
भले ही इसके बारे में पहले से सोचना बेहद अजीब लगता है, लेकिन अपने सभी डॉक्युमेंट्स को हमेशा तैयार रखें – चाहे आप अविवाहित हों, विवाहित हों या आपके बच्चे हों – इससे यह सुनिश्चित होगा कि आप अपने प्रियजनों के लिए अपने बाद एक आसान जीवन छोड़ के जाएंगे।

इतनी कम उम्र में विधवा हो जाने और लगातार दुखों से जूझने से मेरे जीवन की हर दिशा पर प्रभाव पड़ा है। लोग एक विधवा को एक सामान्य व्यक्ति के रूप में नहीं देखते हैं, अब वे मुझे दुख या दया की दॄष्टि से देखते हैं। इसने मेरे आत्म-सम्मान को प्रभावित किया है क्योंकि मैं नहीं चाहती कि इन परिस्थितियों के आधार पर मुझे आंका जाए।
अपने ससुराल वालों के साथ मेरे संबंध हमेशा अच्छे रहे थे। अब एक साल से हमारी कोई बातचीत नहीं है, और मुझे बहुत दुख होता है कि मैं अचानक उनके लिए एक अजनबी बन गई हूं, मैं उनकी कुछ नहीं लगती। ऐसा लगता है, उनके लिए, मेरे जीवन का मूल्य केवल उनके बेटे की वजह से था।
लेकिन हीत चाहते थे कि मैं खुश रहूं, मजबूत बनूं और मैं नहीं चाहती कि लोग मुझे कम समझें क्योंकि अब वह मेरे साथ नहीं है। मैं एक मजबूत औरत हूं और इसका श्रेय मैं अपनी परवरिश को देती हूं, इसलिए मेरे साथ जो भी हुआ, मैं उससे उबर पाई। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जो मेरे साथ हुआ मैं उसकी हकदार थी, जिसके कारण मेरा पूरा जीवन बिखर गया।
अब मैं जीवन को हर दिन, बल्कि हर घंटे के आधार पर जीती हूं क्योंकि जो मैं अनुभव कर रही हूं, उससे निपटना मेरे लिए अभी भी मुश्किल है। विधवा होने से पहले मैं अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंता करती थी, कैसे आगे बढूं, मेरा करियर कैसा होना चाहिए, अपने बच्चों को कौन से स्कूल में भेजूंगी। अब मैं अगले 24 घंटों से आगे की चिंता नहीं करती, अब मैं आज में जीती हूं क्योंकि मेरे पति के साथ बिताए हमारे आखिरी 24 घंटे ही मुझे सबसे अच्छे से याद हैं।
जो चीजें मेरे नियंत्रण से बाहर हैं, उनके बारे में मैंने चिंता करना छोड़ दिया है। अब जीवन को मैंने सकारात्मक नजरिये के साथ देखना शुरू कर दिया है। मेरे पास जो कुछ भी है उसमें मैं काफी खुश और संतुष्ट महसूस करती हूं, क्योंकि जब आप कोई ऐसी चीज खो देते हैं जो आपके लिए बहुत कीमती थी, तो फिर किसी भी भौतिक चीज का कोई मूल्य नहीं रह जाता।