
बच्चों और इन-लॉज़ के साथ क्वॉरंटीन में, आखिर कैसे इंटिमेट हो रहे हैं कपल्स?
देर रात तक इंतज़ार, स्टोरेज रूम या एक टेंट भी चलेगा
कपल्स के नज़रिये से देखें तो सोशल डिस्टेंसिंग किसी मनचाहे ख्वाब से कम नहीं लगता है। दिन भर घर में लॉक्ड रहें, घर से ही काम करें और कहीं आना-जाना ना हो, इससे ज़्यादा रोमांटिक और क्या हो सकता है। आप सोच रहे होंगे कि अब तक तो कंडोम्स भी आउट ऑफ़ स्टॉक हो गए होंगे। लेकिन, क्या वाकई जॉइंट फैमिली और इन-लॉज़ के साथ एक ही छत के नीचे रहते हुए, अपने एक बैडरूम के फ्लैट में चारो और दौड़ते बच्चों के साथ इस लॉकडाउन में इंटिमेसी हासिल कर पाना इतना आसान है?
यह जानते हुए कि बगल के कमरे में सासू-मां बेसन के लड्डू बना रही हैं, मूड में आना इतना आसान नहीं है। सिर्फ इसलिए नहीं कि उनकी खुशबू से आपका मन मचल रहा है, बल्कि इसलिए भी कि कहीं उन्होंने आपको सुन लिया तो?
लॉकडाउन से पहले, कपल्स अपने लिए जैसे-तैसे कुछ पल चुरा ही लेते थे – फिर चाहे वह बच्चों को ट्यूशन क्लास छोड़ने के बाद हो, वीकेंड गेटअवे पर हो या सुनीता के घर की किटी पार्टी में बिजी इन-लॉज़ के घर से बाहर होने पर हों।

दिल्ली बेस्ड रिलेशनशिप थेरेपिस्ट निशिता खन्ना का कहना है, “मेरे अनुभव से, अकेले रह रहे कपल्स की तुलना में जॉइंट फैमिली सेटअप में रहने वाले कपल्स वैसे भी कम सेक्स करते हैं। उन्हें हमेशा किसी के देख लेने का, या बीच में ही किसी काम के लिए बुला लिए जाने का डर सताता रहता है। मैंने कई औरतों से बात की और जाना कि उन्हें सबकी लॉन्ड्री करने के काम की तुलना में ज़्यादा परेशानी और शर्म सेक्स करने में आती हैं।”
मज़े की बात ये है, जब खानदान का नाम आगे बढ़ाने के लिए बच्चे पैदा करने की बात हो, तो लोग बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी एक कपल को टाइम और स्पेस देने के लिए तैयार रहते हैं। रिप्रोडक्शन के लिए सेक्स को संस्कारी माना जाता है लेकिन आनंद के लिए सेक्स? प्राथमिकताओं की लिस्ट में इसका स्थान बहुत ऊपर नहीं है।
वैसे तो, अपने क्लाइंट्स को खन्ना हमेशा यह सलाह देती थी कि उन्हें हफ्ते में थोड़ा समय निकाल कर एकसाथ अपने कमरे में वक़्त बिताना चाहिए, डेट नाइट्स या घर पर ही वेकेशन प्लान करनी चाहिए, या फैमिली के बिना एक दूसरे के साथ लॉन्ग ड्राइव्स और वीकेंड ट्रिप्स पर जाना चाहिए। लेकिन फिलहाल लॉकडाउन ने उनके इन सभी सुझावों पर अमल कर पाना असंभव बना दिया है।
“सबसे अच्छा तरीका तो यह होता कि घर पर ही कुछ हल्के-फुल्के नियम बना लिए जाते ताकि सबको खुद के लिए थोड़ा प्राइवेट टाइम मिल सके और शांति बनी रहे, पर यह जितना सुनने में आसान लगता है, लागू करने में उतना ही मुश्किल है। लोगों को क्रिएटिव होना पड़ेगा। लॉकडाउन में इंटिमेसी को बनाए रखना अपने आप में एक बेमिसाल काम है।”
जॉइंट फैमिली में या बच्चों के साथ रहते हुए, यदि प्राइवेसी को लेकर आपस में एक अनकही समझ नहीं हो, तो एक कपल के लिए निजी वक़्त का मतलब केवल उन कुछ घंटों से हैं जब वे पूरे दिन के काम और थकान से पस्त होकर रात में बिस्तर में पड़े होते हैं।
इन रियल-लाइफ कपल्स ने लॉकडाउन में इंटिमेसी पैदा करने के लिए नए तरीके अपनाए
‘मल्टी-पर्पज़’ रूम का उपयोग
लॉकडाउन में अपने इन-लॉज़ के साथ रहते हुए, तेजस्वी शेखावत ने अपने दोस्तों से अपनी घटती सेक्स लाइफ के बारे में बात करनी चाही। “सबने एक ही जैसे सवाल किए, ‘तुम्हें सेक्स के लिए समय भी कैसे मिलता है?’ और ‘तुम इस समय सेक्स के बारे में सोच भी कैसे सकती हो?’ पर, मुझे क्यों नहीं सोचना चाहिए? पिछले कई महीनों में अब जाकर मुझे मेरे पति के साथ सबसे ज़्यादा वक़्त बिताने को मिला है।”
जब लॉकडाउन लागू हुआ था, इनके इन-लॉज़ अपने पोते का बर्थडे मनाने के लिए आये हुए थे। अपने एक बैडरूम के फ्लैट में, यह दोनों अपना बैडरूम उन्हें देकर खुद लिविंग रूम में शिफ्ट तो हो गए, लेकिन उन शुरूआती हफ़्तों में इनकी सेक्स लाइफ पर बहुत गहरा असर पड़ा। पर शेखावत ने इसका भी उपाय खोज निकाला।

लिविंग रूम में सेक्स करने में उन्हें बहुत झिझक होती थी। घर में एक ही बाथरूम के होते हुए, अगर रात में किसी भी पैरेंट को बाथरूम की ज़रुरत पड़ी तो क्या होगा?
“हमारे घर में एक छोटा सा लॉन्ड्री रूम था जो कि अब एक मल्टी-पर्पज़ रूम में बदल गया है। एक अलमारी के साइज़ का, जहां हम अपनी वाशिंग मशीन, कुछ सूटकेस और राशन का सामान रखते थे, अब वह ही हमारा नाईट स्पॉट है।” जैसे एक शिकारी अपने शिकार के हर कदम पर नज़र रखता है उसी तरह उन्होंने भी अपने पेरेंट्स के नाईट शेड्यूल और सोने के टाइमिंग को अच्छे से ट्रैक किया।
वह हंसते हुए कहती हैं, “मुझे नहीं लगता कि हमने अपने जिंदगी के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भी कभी इतना ध्यान और कैलक्युलेशन लगाया होगा। अब रात के 12 बजे से सुबह 3 बजे तक का समय हमारा हैप्पी ऑवर है।”
बैडरूम कंसर्ट्स
लॉकडाउन में इंटिमेसी तलाश कर रहे कई लोगों की गो-टू स्ट्रेटेजी है – कवर के तौर पर म्यूजिक का इस्तेमाल करना। घर में सबके होते हुए, रेचल डी’सूज़ा और उनके पति के लिए सेक्सी गाने लगाकर मूड बनाना अब थोड़ा मुश्किल हो गया था, तो उन्हें कुछ मधुर धुनों के साथ एडजस्टमेन्ट करना पड़ा।
“सब पर जाहिर न हो, इसलिए हमें हमारी सेक्सी टाइम प्लेलिस्ट को कुछ इंस्ट्रुमेंटल ट्रैक्स के साथ अपडेट करना पड़ा। वैसे तो उसके पेरेंट्स जानते ही होंगे कि हम शादीशुदा है तो सेक्स तो होगा ही, लेकिन हम खुले आम उन पर यह प्रकट नहीं करना चाहते।”
शुरू में तो डी’सूज़ा और उनके पति सेक्स के बारे में बात भी नहीं कर पाते थे। जब लॉकडाउन लागू हुआ, तब उनका दिमाग कई तरह की चिंता और तनावों से विचलित रहता था। धीरे-धीरे सबकुछ सेटल होने पर एक नया रूटीन बना, और जीवन को एक नया सामान्य भाव मिला।

अब उनके पास एक प्लान तैयार है – सबको बता दिया गया है कि कभी-कभी लंच ले बाद, “जेरी* और मैं अपने कमरे में पेंडिंग काम खत्म करने के लिए जाते हैं और क्लासिकल म्यूजिक हमें कॉन्सेंट्रेट करने में मदद करता है। हमने उनके कान में यह बात डाल दी और कुछ दिन इस पर अमल किया। अब हमारा यह प्लान काम कर रहा है। पर, किसे पता, हो सकता है हमारे पेरेंट्स को भी अपने ज़माने में कुछ ऐसी ही परिस्थितियों से जूझना पड़ा हो।”
डी’सूज़ा कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उनके लिए लॉकडाउन में इंटिमेसी का मतलब आबिदा परवीन और ज़ाकिर हुसैन के साउंडट्रैक पर सेक्स करना होगा।
बच्चों के खेलने की चीजों का फायदा
इस लॉकडाउन ने कुछ कपल्स से उनकी सेक्स की स्वच्छंदता छीन ली है। जिनके बच्चे हैं, उनके लिए प्लानिंग हमेशा से एक अहम हिस्सा थी, लेकिन अब और भी ज़्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है।
निकिता चटर्जी* बताती हैं, “अब हम किसी भी समय भावनाओं में बहकर कुछ नहीं कर सकते।” इन दिनों, उनके देवर के एक बैडरूम में शिफ्ट हो जाने के कारण, उनका बेटा अब उनके साथ सोने लगा है, जिस वजह से इनकी सेक्स लाइफ बाधाओं से भर गई है।

हम करन* के टॉय रूम या राहुल* के ऑफिस रूम में सेक्स नहीं कर पाते क्योंकि राहुल अपने भाई के बगल वाले कमरे में होने से बहुत अजीब महसूस करता है।
वे या तो उसके सोने का इंतज़ार करते हैं या फिर अपने बैडरूम में बेटे के खेलने के लिए लगाए हुए छोटे से टेंट में ही खुद को बिज़ी कर लेते हैं – क्योंकि बेड पर तो बेटा उनके साथ सोता है। बेशक, यह सुनिश्चित कर लेने के बाद कि वह गहरी नींद में सो गया है।
फिज़िकल इंटिमेसी से परे भी बहुत कुछ है
हमारे केवल महिलाओं के लिए प्राइवेट फेसबुक ग्रुप, ट्वीक कनेक्ट, की कई मेंबर्स इस बात से सहमत हैं कि इंटिमेसी और रोमांस सिर्फ फिज़िकल एक्ट तक ही सीमित नहीं हैं, वे इससे बहुत ज़्यादा हैं। सेक्स का अपना महत्व है, लेकिन केवल इसके भरोसे ज़िन्दगी नहीं काटी जा सकती।
कीर्ति सिंह कहती हैं, “ये इस पर भी निर्भर करता है कि आप अपने प्यार को कैसे जाहिर करते हैं। गले लगाना, किस करना, बेड में बातें करना, एक दूसरे के साथ लेटना, बालकनी या छत पर एक दूसरे के साथ थोड़ा समय बिताना।”

पायल मोहन का कहना है, “इंटिमेसी तो आपकी एक नज़र में, एक स्पर्श में, घर के कामों में मदद करने में, यहां तक की एक कप कॉफ़ी बनाने में भी है। यह सब महत्वपूर्ण है।”
जब बाकी सब फेल हो जाए, तो विभा कुमार के अनुसार एक जगह है जहां पर शायद ही कोई आपको डिस्टर्ब करे – “शावर”। सुना तो होगा ही, ‘पानी बचाएं, साथ में नहाएं’?
सबकुछ देखते हुए, यह तो तय है कि हम भारतीयों के पास हर चीज का जुगाड़ है। तो फिर सेक्स में क्यों कमी हो, चाहे लॉकडाउन हो या न हो? वैसे भी देखा जाए तो, क्रिएटिव सोच वाले 1 बिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिए ये कौनसा बड़ा मुश्किल काम है।
*अनुरोध पर कुछ नाम बदल दिए गए हैं