
ऑमलेट और दुर्गंधयुक्त सांसें: लीज़ा रे की सच्चा प्यार पाने और उसे कायम रखने की गाइड
मालदीव की ट्रिप से ज़्यादा रोमांटिक और क्या हो सकता है?
लीज़ा रे किसी बिल्ली से कम नहीं हैं। इसलिए नहीं की उनकी आँखे बिल्लौरी है बल्कि इसलिए क्योंकि वह एक सख़्त जान हैं और नौ जीवन जी चुकी हैं। बिलकुल अनोखी टर्मरिक-आमंड लाटे कॉफ़ी के जैसी, आधी पोलिश (पोलैंड की) और आधी बंगाली लड़की, जिसका स्कूली जीवन कैनेडा में गुज़रा। किशोरावस्था मुंबई में एक मॉडल के रूप में, अपने मध्यमवर्गीय परिवार से विद्रोह करते हुए गुज़री जिनके अनुसार, “कैमरा के सामने तौलिया लपेट कर नंगा पोज़ करना” किसी बेइज़्ज़ती से कम नहीं था। उस अभिनेत्री के तौर पर, जिसने ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नामित हुई फ़िल्म वॉटर में एक ऐसी युवा विधवा का क़िरदार निभाया, जिसे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया था। एक बंजारन जिसे कैंसर की बीमारी ने अनौपचारिक तौर पर बाँध दिया। एक हेल्थ ब्लॉगर, जिसे ‘ब्लॉग’ शब्द से ही नफरत थी। एक परेशान-सी मां, जो अपने जुड़वां बच्चों को लोगों से ठुंसे हुए विमान में बहुत कठिनाई से हिंद महासागर पार करा के ला पाई। एक लेखिका। एक ऐक्टिविस्ट। और हमारी बातचीत से अनुमान लगाया जाए तो उनकी कही बातों से वह माँ शीला या ओशो से भी एक कदम आगे की दार्शनिक प्रतीत होती हैं।
कुछ माह पहले, जब क्लोज़ टू द बोन रिलीज़ हुई, लीज़ा का अनफ़िल्टर्ड संस्मरण “समाज की इस सोच को चुनौती देने की कोशिश थी कि इन कथित सेलेब्रिटीज़ के मेकअप और चेहरे के पीछे क्या-कुछ छुपा होता है।” जैसे कि ईटिंग डिस्ऑर्डर और बॉडी डिस्मॉर्फिआ से जूझना। “तब मैं पैरिस में रह रही थी और मेरे इटैलियन बॉयफ्रेंड को इसके लक्षण नज़र आने लगे, क्योंकि वह फ़ैशन फ़ोटोग्राफ़र था,” वो याद करती हैं। जहां पूरी दुनिया उनके रंग-रूप की दीवानी थी, वहीं उन्हें ख़ुद में केवल कमियां ही नज़र आती थी। “और इसकी मूल जड़ थी, खुद को अयोग्य समझना। मानसिक स्वास्थ्य पर वार्तालाप तो दूर की बात है, इसे शर्म और चुप्पी के कारण छिपाया जाता था। कई लोगों के समझाने के बावजूद, अपने भीतर छिपी योग्यता और अंदरूनी शक्ति को पहचानने और ख़ुद से प्यार करना सीखने में मुझे सालों का चिंतन और मेडिटेशन लगा।”

यदि यह बात सही है कि आपकी निजी समस्याएं आपको भावनात्मक मज़बूती देती हैं, तो लीज़ा रे बुनियादी तौर पर ‘द हल्क’ हैं। उम्र के तीसरे दशक में, मल्टिपल माइलोमा का पता चलने के बाद, कई मायनों में उनका पुनर्जन्म ही कहा जाएगा; क्योंकि इसके बाद न सिर्फ़ लोगो का उनके प्रति नज़रिया बदला, बल्कि उनका ख़ुद का भी अपने प्रति नज़रिया बदला। “अपनी उम्र के दूसरे दशक में जब मैं अपनी तथाकथित खूबसूरती और सेक्स अपील की चरम सीमा पर थी, उसके बदले मुझे लगता है कि 47 की उम्र में, एक लाइलाज बीमारी के साथ रहने के बाद अब मैं ज़्यादा स्वस्थ, सुंदर और सशक्त हो गई हूं,” वो कहती हैं।
लीज़ा रे, वास्तविकता में जीने वाली रोमांटिक
यदि आप साइकेडेलिक्स लेने के बाद उल्टियां कर रहे हैं, तो एक ऐसे साथी के होने से जो आपके हाथों को थाम ले या बालों को सहला दे, बहुत संबल मिलता है। लीज़ा के पति जैसन डेहनी जैसे उनके बैटी बैनर हैं, वो उनके कैंसर के पहले दौर के बाद उनके जीवन में आए। “मैंने आयुर्वेद पढ़ा, ओझाओं से मिली, प्राणिक हीलर्स से मिली, कई ऐक्यूपंक्चरिस्ट से सलाह ली और पवित्र पौधों के चिकित्सा समारोह में भी शामिल हुई, जहां मैंने डीएमटी भी निगली। और इस राह में हर क़दम पर जैसन मेरे साथ थे, हालांकि उनके लिए ये दुनिया अंजान और अजीब-सी थी,” वो बताती हैं। “वो मेरी मज़बूती का आधार बने रहे। मुझे अपने ठीक होने पर भरोसा तो था, लेकिन उनके साथ और सहारे की मदद से रास्ता बनता गया और ये संभव हो सका।”
यदि कैंसर जैसी बीमारी न हो तब भी वैवाहिक जीवन को निभाना आसान नहीं होता। मैंने लीज़ा से हर वो छोटी-बड़ी बात पूछी, जो इस जोड़े ने अपने जीवन में रोमांस को बनाए रखने के लिए जानते-बूझते की।

“जैसन तो क्लासिक रोमांटिक हैं – फूल, अंतरंग डिनर, समुद्र किनारे बिताए कुछ सहज पल – और इसके बावजूद जब हम मिले, मैंने उनसे कहा कि यह रोमांस के शुरुआती दौर के प्यार और रूमानियत से भरे पल, इसमें आने वाले उतार-चढ़ाव और प्यारभरी गुलाबी बातें, मुझे उबाऊ लगती हैं,” लीज़ा बताती हैं। “मैं सीधे ही वास्तविक जीवन में पहुँच जाना चाहती थी। मैं इन सब चीज़ों को बाईपास करके यह जानना चाहती थी कि जब हम दोनों साथ रहेंगे, तब ऑमलेट और दुर्गंधयुक्त सांसों के साथ हमारी हर सुबह कैसी बीतेगी।”
जैसे बेड में, आपको बारी-बारी से ऊपर आने का मौक़ा लेना होता हैं। डेहनी अपना कर्तव्य निभाते हुए लीज़ा के साथ उनके सालाना स्पिरिचुअल रिट्रीट्स में जाते हैं, तो लीज़ा भी बदले में जैसन की रौ सूट और सीईओ से घिरी प्रोफेशनल लाइफ में उनका पूरा साथ देती हैं, जिससे वह कभी दूर भागा करती थी। वास्तविक जीवन से खींच कर निकाले, स्नेह प्रदर्शन के वह महत्वपूर्ण पलों का मोल सिर्फ कामकाजी मांएं ही समझ सकती हैं। “सबसे ज़्यादा रोमांटिक चीज़ जो जैसन मेरे लिए करते हैं वो ये है कि जब भी मैं कुछ लिखने या रचने की कोशिश करती हूं तो वे हर तरह की बाधा से मुझे बचाए रखते हैं। बच्चों के साथ यह आसान नहीं है, लेकिन वो मुझे मेरी रचनात्मकता के लिए पूरी जगह देते हैं और यह बात मालदीव के एक सरप्राइज़ ट्रिप से कहीं ज़्यादा मायने रखती है।”
कपल में बातचीत अतिआवश्यक है
जीवन की एक ऐसी साझेदारी, जहां कैंसर किसी तीसरे पहिए की तरह है, ऐसे में बहुत मेहनत से कमाई हुई लीज़ा की आशावादिता हमेशा काम आती है। “एक समय ऐसा था कि हम बस तलाक़ लेने ही वाले थे – तब हमें एहसास हुआ कि हमें अपनी बातचीत का तरीक़ा बदलने की ज़रूरत है। शब्द बहुत मायने रखते हैं। यह यदि चुभते और चीरते हैं तो सुकून भी पहुंचाते हैं। तब हमने एक-दूसरे से कहा: सवाल ये नहीं है कि ये रिश्ता क़ायम रहेगा या नहीं, सवाल ये है कि हम इसे कैसे क़ायम रख सकते हैं?”
अपनी व्यक्तिगत गतिविधियों का आनंद लेने के लिए समय निकालें, लेकिन साथ ही अपने साझा रिश्ते की देखभाल भी उतनी ही ज़रूरी है – यह सुखद विवाह का वो मंत्र है, जिस पर लीज़ा को पूरा भरोसा है। और तूफानी दिनों के लिए, उनकी कामकाजी मां होने की व्यावहारिकता उन्हें संतुलित रखती है। “सच तो यह है: केवल मृत लोग ऐसे हैं जिन्हें तनाव नहीं होता। जिनका कभी दिल नहीं टूटता। जिन्हें असफलता और निराशा से नहीं जूझना पड़ता। इन सभी सख़्त भावनाओं के साथ दोस्ताना तरीक़े से रहना सीखना, सतुंष्ट जीवन की रेसिपी का एक हिस्सा है,” लीज़ा इस बात पर ज़ोर देती हैं और कहती हैं, “संतुष्टि पाने के लिए यह ज़रूरी है और फिर चॉकलेट तो है ही।”