
गीतांजलि सक्सेना जान लेंगी कि क्या आप पिछले जन्म में एक नाज़ी थे
होलिस्टिक हीलिंग को एक नई ऊंचाई पर ले जाते हुए
डॉ गीतांजलि सक्सेना निश्चय ही एक विचारधारा या मत की अग्रणी नेता हो सकती हैं। उनका आत्मविश्वास जैसे संक्रामक है। इससे पूर्व कि वे अपनी बात खत्म करें, आप अपना जीवन और उससे जुड़ी परेशानियां, उनके हवाले कर देने का मन बना चुके होते हैं। ऐसा कदापि न समझिए कि वह चार्ल्स मेंसोन की राह पर चल रही हैं, वास्तव में, वह बिलकुल विपरीत हैं। अपने नाम के साथ जुड़ी ढेर सारी डिग्रीयां – बीएससी, बीएड, एमए और साइकोथेरेपी और काउंसलिंग में पीएचडी होने के उपरांत भी, सक्सेना का हीलिंग के प्रति दृष्टिकोण पारंपरिक रूढ़िवादिता से बहुत हटकर है।
प्रमुख रूप से, वह डॉ ब्रायन वीज़ से प्रशिक्षित हैं, सुप्रसिद्ध मनोचिकित्सक और हिप्नोथेरेपिस्ट जोकि पेशेंट को पूर्व जन्म में ले जाकर उपचार (पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी) करने में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने मुझे एक ऐसे पेशेंट के विषय में बताया जो गंभीर उद्वेग, ओसीडी, और मृत्यु के भय से ग्रसित था। एक सेशन के दौरान, उसने अपने किसी पूर्व जन्म में खुद को हिटलर के तीसरे राज्य में एक बड़े सेना अधिकारी के रूप में देखा, जोकि नाज़ी कंसंट्रेशन कैंप में हज़ारों व्यक्तियों की हत्या के लिए उत्तरदाई था। डॉक्टर सक्सेना ने बताया, “सेशन में हीलिंग चरण के दौरान, उसे यह आत्मज्ञान हुआ कि उसका वर्तमान डर, भय, सब उसके एक पूर्व जन्म से जुड़ा है।”
क्लीनिक में घंटों बैठे रहकर, लोगों के पूर्व जन्मों की परतें उधेड़ते रहने का काम किसी पल्प फ़िक्शन राइटर के काम जैसा ही प्रतीत होता है। लेकिन गीतांजलि सक्सेना उन लोगों में से नहीं हैं, जो इन ऊपरी, सतही बातों में ही उलझी रहें। वह एक ऐसी एस्ट्रोलॉजर मां की पुत्री हैं जिन्होंने गीतांजलि में आध्यात्मिक दर्शन के प्रति रुचि को बहुत प्रोत्साहित किया – फलस्वरूप, डॉ गीतांजलि बड़ी आसानी से अपनी कानूनी मान्यता प्राप्त डिग्रियों के साथ-साथ अपनी हिप्नोथेरेपी, थीटा हीलिंग, टैरो रीडिंग और पास्ट लाइफ रिग्रेशन में हासिल विशेषज्ञता के बीच एक स्वस्थ समन्वय स्थापित करने में सफल हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय ट्रेनर्स और प्रोफेशनल्स के अंतर्गत विभिन्न तौर-तरीकों में प्राप्त प्रशिक्षण ने, डॉ सक्सेना में बहु-सांस्कृतिक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायता की है। यहां तक कि उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ होलिस्टिक साइंस की भी स्थापना की है।

फिर भी, आध्यात्मिकता एक ध्रुवीकरण का विषय है। एक तरफ ऐसे लोग हैं जो स्वयं को अपने-आप से बड़ी एक असीम सत्ता का अंश मानते हैं, तो दूसरी ओर उतनी ही संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो डॉक्टर सक्सेना के काम को संशय की दृष्टि से देखते हुए, उसे छद्म-विज्ञान कहकर उसका मख़ौल उड़ाते हैं। उनकी तरदीद? ‘विज्ञान या आध्यात्मिकता’ ऐसा कोई विवाद ही नहीं है क्योंकि वास्तव में दोनों गहराई से जुड़े हुए हैं। वे कहती हैं, “आध्यात्मिकता पूरी तरह से वैज्ञानिक है क्योंकि यह भी एक वैज्ञानिक की ही तरह संसार और इसकी प्रकृति का परीक्षण करना चाहती है। यह संसार का निरीक्षण करती है, यह जानने के लिए, कि ‘यह दुनिया क्या है’? अगर आपने हीलिंग का पहले कभी भी कोई अनुभव नहीं किया है तो आपके मन में संशय होना स्वाभाविक है। मैं कभी भी किसी आलोचक को अपनी बातों द्वारा सहमत कराने का प्रयास नहीं करती। मैं केवल अपना काम करती हूँ, और वे उसे स्वयं देखें।”
तो क्या वे सारे अति-संशयी लोगों का हृदय परिवर्तन कर सकती हैं? शायद नहीं! सभी ‘माइंड ओवर मैटर’ अनुशासनों पर विश्वास रखने वालों की तरह, केवल वे लोग ही इस पर विश्वास कर पाते हैं, जो किसी नए विचार को ग्रहण करने के लिए खुले हों। जैसा कि डॉ सक्सेना स्वयं कहती हैं कि, अगर उन्होंने मुझ तक पहुंचने का प्रयास किया है, तो उनके भीतर का एक हिस्सा पहले से ही उपचारित होने की इच्छा रखता है, और उसके लिए खुला है। अन्यथा आप क्यों यहां तक आने का कष्ट उठाते? और कुछ नहीं तो, कम से कम आप का दिमाग विश्वास और प्रमाण की तरफ थोड़ा खुल गया है, और आपके अंदर इसके बारे में जानने की इच्छा तो जागी है।