
इस इंजीनियर को खाने के लिए पैसे मिलते हैं
क्या पता आपने लंच में जो ऑर्डर किया हो, इसे मास्टरशेफ की फाइनलिस्ट से फूड इन्फ्लुएंसर में तब्दील हुई करिश्मा सखरानी ने बनाया हो
मेन्यू चाहे लैमिनेटिड हो या सांभर के धब्बों से सना, चमड़े के कवर में बंद या फिर चॉक से लिखा, ये आपके खाने के अनुभव का ट्रेलर होता है।
आपका कुरकुरे आलू के साथ प्यार, शायद एक मेन्यू इंजीनियर के कारण हैं, नाकि इसलिए की भोजन देवता आपके साथ प्यार-मोहब्बत का कोई खेल, खेल रहे हैं।
मेन्यू इंजीनियरिंग एक विज्ञान है, लेकिन यह किसी पीरियोडिक टेबल को याद करने जैसा नहीं है, बल्कि यह बड़ा मज़ेदार है। बीकर्स और टेस्ट ट्यूब्स को न्यूटैला और व्हिप क्रीम से बदल दो, और आपके पास खुद की एक मेन्यू इंजीनियर लैब होगी। जैसे, इस मामले में, करिश्मा सखरानी की किचन, जहाँ पर शायद उन्होंने देश के बेहतरीन होटलों के लिए, आपके कुछ मनपंसद व्यजंन डिज़ाइन किये हो।
साल 2015 में, सखरानी की मास्टरशेफ इंडिया के मंच पर खाने की दुनिया में पहली उपस्थिति, हालाँकि बहुत भव्य थी, पर योजनाबद्ध नहीं थी। मास्टरशेफ का ऑडिशन, उनके लिये रविवार के मनोरंजन से ज्यादा कुछ नहीं था। “मैं उस दिन फ्री थी, तो सोचा कि टीवी पर आना काफी रोमांचकारी होगा।” उनका वीकेंड का मज़ा उन्हें फाइनल तक ले गया और फिर उनका मेन्यू इंजीनियर बनकर इंस्टाग्राम पर करियर लांच हो गया। मेन्यू इंजीनियरिंग करने के अलावा सखरानी फूड स्टाइलिस्ट भी हैं।

विभिन्न स्वादों को मिलाकर प्रयोग करना और फिर इससे नए व्यंजन के लिए आइडिया खोजना, किसी काम जैसा नहीं लगता। “इसके लिए भी बहुत हाथ-पैर मारने पड़ते हैं”, सखरानी ज़ोर देकर कहती हैं, जो एक बार लोकप्रिय डेज़ेर्ट चेन 99 पेनकेक्स के मेन्यू में स्वस्थ बदलाव लाने के लिए, एक ही दिन में 80 पैनकेक भी बना चुकी हैं।
सभी के पसंदीदा, लेकिन खाते समय अपराधबोध कराने वाले डेज़ेर्ट, को उन्होंने कैसे अपराधबोध से मुक्त किया? वह अपने हर नये प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिये खुद को रसोई में कैद कर लेती हैं। वह कहती हैं, “नई रेसेपी के लिये मैं कई तरह के अनोखे संयोजन तैयार करती हूं। फ्रिज में रखी हर चीज़ का इस्तेमाल करती हूं- प्याज की जैम भी, इस उम्मीद के साथ कि कोई नया स्वाद निकलकर आएगा।” सखरानी के अनुसार सबसे मुश्किल होता है, फाइनलिस्ट का चयन करना। वह कहती हैं, “यह अपने सबसे प्यारे बच्चे को चुनने जैसा है। मैं हमेशा ज़रूरत से कुछ ज़्यादा विकल्प तैयार करती हूं और फिर क्लाइंट को ही चुनने को कहती हूं।” सखरानी ने हंसते हुये बताया, “डिश को नाम देना सबसे मज़ेदार काम है।” उन्होंने ‘द सिरियल किलर’ और ‘शो मी द हनी’ जैसे नामों वाली डिश, पैनकेक मेन्यू में पेश की हैं।
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मेन्यू इंजीनियर होने का मतलब सिर्फ खाने से प्यार करना ही नहीं है। “मेन्यू बनाते समय मेरे पास कोई ब्लूप्रिंट नहीं होता। हर नये प्रोजेक्ट में, मैं कई चीज़ों पर गौर करती हूं, जैसे कि होटल कहाँ स्थित है, किस ‘क्यूसीन’ (पाकशाला) का भोजन है, खाने की मात्रा कितनी होगी…और लिस्ट बढ़ती जाती है।” वह इस आतिथ्य उद्योग (hospitality industry) की तुलना फैशन उद्योग से करते हुए कहती हैं, “यहाँ भी फैशन की तरह रोज नए चलन शुरू होते है, और हमें उनके साथ चलना पड़ता है।”
यह सखरानी का काम है, कि वह आपके खाने के हर अनुभव को इतना यादगार बनाएं, कि आप फिर से उसी जगह जाकर खाना खाने के लिए दिन गिनें। और हालाँकि सखरानी हर बार कुछ नए आर्डर करने के पक्ष में रहती हैं, पर इस के साथ उनका मानना है, कि कुछ और नियम भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए, ताकि आप मुंह में कोई बुरा स्वाद लेकर वापस नहीं जाएं।
मेन्यू इंजीनियर करिश्मा सखरानी की बाहर खाना खाने की सर्वोत्तम टिप्स
सूप से दूर रहें

स्वीट कार्न सूप, एक का दो भाग? आप सखरानी को कभी ऐसा ऑर्डर करते नहीं देखेंगे। वह कहती हैं, “अगर आप बजट होटल में खा रहे हों, तो तैयार रहें, कि सूप में सब्जियों के छिलके और बहुत सारे एडिटिवस हो सकते हैं। मैं सिर्फ खुद के बनायें सूप पर ही विश्वास करती हूं। आपको नहीं पता चल सकता, कि होटल के सूप में ढ़ेर सारा स्टार्च, पैकेज्ड स्टॉक या फिर कैसी सब्जियां इस्तेमाल हुई हैं।”
डबल रोटी या ब्रेड हमेशा अच्छा आइडिया है

वैसे तो डाइट पुलिस हमेशा कहती है कि अपने पसंदीदा कार्बोहायड्रेट से दूर रहो, लेकिन सखरानी के अनुसार आप डबल रोटी या ब्रेड पर भरोसा कर सकते हो। वह कहती हैं, “यह हमेशा ताज़ी ही होगी।” बासी रोटी और ताज़ी रोटी के बीच फर्क करना बहुत आसान है, और कोई भी होटल ऐसा रिस्क नहीं लेगा।
बॉथरूम पूरी सच्चाई बयान कर देता है

आपको किसी भी होटल की सफाई व्यवस्था समझने के लिये झूठ पकड़ने वाली मशीन की ज़रूरत नहीं है। आप बस बीच में बॉथरूम चले जायें। सखरानी कहती हैं, “अगर बाथरूम साफ-सुथरा होगा, तो किचन में भी सफाई होगी।” अगर बाथरूम से नाक पकड़कर या सांस रोककर बाहर आना पड़े, तो दोबारा उस होटल में न जायें।