
एग फ्रीज़िंग के बारे में वो सब, जो आपको पता होना चाहिए
गायनोकोलॉजिस्ट व आईवीएफ़ एक्सपर्ट डॉ फ़िरुज़ा पारेख के अनुसार, बेकिंग शुरू करने का सही समय
‘अपने एग्स फ्रीज़ करें’। यहां हम सिर्फ उन अंडों की बात नहीं कर रहे हैं, जिन्हें आपने अभी-अभी सुपरमार्केट से ख़रीदा है। इन दिनों ज़्यादातर महिलाएं अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक को मात देने के लिए एग फ्रीज़िंग के बारे में बात कर रही हैं- इस मामले में तो टेलर स्विफ़्ट को भी नहीं बख़्शा गया, एक व्लॉगर ने इस बात पर कमेंट कर ही दिया कि कैसे उनके 30 साल पुराने एग्स में से 90 फ़ीसदी एग्स ख़राब हो गए हैं, और अब उन्हें जल्द ही माँ बनने के बारे में सोचना चाहिए।
हम क्लोनिंग कर के भेड़ बना चुके हैं, मंगल ग्रह पर क़दम रख चुके हैं और यहां तक कि वैम्पाइअर फ़ेशियल्स भी बना चुके हैं, लेकिन साइंस इस बायोलॉजिकल प्रोसेस की गति को धीमा करने के लिए कुछ नहीं कर सकी है।
ये क्लॉक तब भी टिक-टिक करती हुई चलती रहती है, जब आप कॉरपोरेट जगत में सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही होती हैं और फ्रिज में रखे हुए अंडों को ख़राब होने से पहले खाने की कोशिश कर रही होती हैं।
इस क्लॉक को, इस बात से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपने अभी बच्चे पैदा करने के बारे में नहीं सोचा है, आप फर्टिलिटी सम्बंधित चिंताओं से जूझ रही हैं या फिर आप प्रेग्नेंसी के लिए बिल्कुल तैयार हैं।

हमने डॉ फ़िरुज़ा पारेख, डिपार्टमेंट ऑफ़ असिस्टेड रीप्रोडक्शन ऐंड जेनेटिक्स की डायरेक्टर, जसलोक इंटरनैशनल फर्टिलिटी सेंटर – फर्टिलट्री, से बात की और एग फ्रीज़िंग से जुड़ी अपनी शंकाएं दूर की।
एग्स कब और क्यों फ्रीज़ कराने चाहिए?
24 से 34 साल की उम्र के दौरान, फर्टिलिटी अपने चरम पर होती है। यही वजह है कि हम युवा महिलाओं से जल्दी आने को कहते हैं।
तीस साल की उम्र में, आपके 30 प्रतिशत एग्स एबनॉर्मल हो जाते हैं, और 40 की उम्र तक, 60 प्रतिशत एग्स एबनॉर्मल हो जाएंगे। चालीस साल की उम्र में हमारा एएमएच (ऐंटी-म्यूलेरिअन हॉर्मोन), जो एग्स की संख्या का स्तर बताता है, गिरने लगता है।
आपकी उम्र जितनी कम होगी, आपके एग्स का रिज़र्व उतना ही बेहतर होगा – मैं ये बात 35 साल की महिलाओं को निराश करने के लिए नहीं कह रही हूं, मेरा मतलब यह है कि उसी महिला को 30 वर्ष की उम्र में और बेहतर नतीजे मिल सकते हैं।
एग फ्रीज़िंग एक टेक्निकल प्रोसेस है। और उनसे एक शिशु पाने के लिए आपको कम से कम 15-20 एग्स की ज़रूरत होती है, क्योंकि उनमें से सभी तो फ़र्टिलाइज़ होकर एम्ब्रियोज़ नहीं बनेंगे। साथ ही, यदि महिला की उम्र ज़्यादा है, तो जेनेटिक एब्नॉर्मलिटी होने की संभावनाएं भी हो सकती हैं।

एग फ्रीज़िंग के लिए उपयुक्त कैंडिडेट कैसी होनी चाहिए?
जो सेहतमंद हो और जिसका वीएमआई (वजाइनल मैच्योरेशन इन्डेक्स) कम हो। यदि आपका वज़न ज़्यादा है तो आपको वज़न कम करना होगा, शुगर और ब्लड प्रेशर के अलावा कुछ हॉर्मोन्स जैसे- थाइरॉइड, प्रोलैक्टिन, आदि की जांच करानी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि आपको इम्यूनिटी से जुड़ी कोई समस्या न हो।
यदि डायबिटीज़ या थाइरॉइड से जुड़ी कोई समस्या है तो हम कुछ महीनों तक इंतज़ार करते हैं, उसे नियंत्रण में लाते हैं और फिर इसके बाद एग फ्रीज़िंग की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
इसकी असल प्रक्रिया कैसी होती है?
पहले अपॉइंटमेंट के बाद महीनेभर का ब्रेक दिया जाता है, जब तक कि आपके सारे टेस्ट न हो जाएं। फर्टिलिटी टेस्टिंग के अंतर्गत, ओवरी के रिज़र्व्स को परखने के लिए आपका अल्ट्रासाउंड टेस्ट – ऐंट्रल फ़ॉलिकल काउंट (एएफ़सी), भी किया जा सकता है।
इसके अलावा एएमएच यानी ऐंटी म्यूलेरियन हॉर्मोन टेस्ट भी किया जाता है।
यदि रिपोर्ट्स ठीक हों, तो आपको अपने पीरियड्स के पहले दिन गायनोकोलॉजिस्ट के पास जाना होगा। दूसरे दिन से हम हॉर्मोन इंजेक्शन्स देना शुरू करेंगे, जो 8 से 12 दिन तक चलते रहेंगे।
इससे एग्स मैच्योर होते हैं।
इस इंजेक्शन स्टेज के दौरान, आपको जी मचलाना, मूड स्विंग्स, वज़न बढ़ना, पेट की तकलीफ, ब्लोटिंग और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है – इसका अनुभव हर महिला के लिए अलग हो सकता है, जैसे की प्रीमैन्स्ट्रुअल सिंड्रोम में होता है।
एक बार सारे इंजेक्शन लग जाएं, उसके बाद असल प्रक्रिया में तो सिर्फ एक दिन का समय लगता है।
आख़िरी इंजेक्शन लगने के 36 घंटे के बाद एग्स को इकट्ठा किया जाता है। इसके लिए मरीज़ को बेहोश कर के, अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के ज़रिए, एग्स को वजाइना से बाहर निकाला जाता है।
एम्ब्रियोलॉजिस्ट इन एग्स की जांच करता है और फिर फ्रीज़ करने से पहले इन्हें ख़ास कल्चर मीडियम में इन्क्यूबेटर के भीतर रखा जाता है। एग्स निकालने के 45 मिनट के अंदर-अंदर ये प्रक्रिया कर ली जाती है।
यह प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद, आराम करने की सलाह दी जाती है। अगले 3-4 दिनों तक स्विमिंग और थका देने वाली एक्सरसाइज़ न करें, क्योंकि ओवरीज़ साइज़ में बढ़ जाती हैं।
एग फ्रीज़िंग के साथ क्या ख़तरे जुड़े हो सकते हैं?
कोई बड़ा ख़तरा नहीं है, बल्कि यह तो एक आउट पेशेंट प्रक्रिया जैसा ही है। केवल एक ख़तरा यह है कि मरीज़ हाइपर स्टिम्युलेट (बहुत सारे एग्स हों) करे और दवाइयों से ओवरीज़ साइज़ में बढ़ जाएं।
एग्स फ्रीज़ करवाने चाहिए या एम्ब्रियोज़?
ऐसे कपल्स जो अभी बच्चों के लिए तैयार नहीं हैं, उनके लिए एग में स्पर्म इन्जेक्ट करके एम्ब्रियो तैयार कर उसे फ्रीज़ किया जा सकता है, वरना महिलाएं केवल अपने एग्स भी फ्रीज़ करवा सकती हैं।

ये एग्स कितने समय तक ठीक रह सकते हैं और कितने एग्स की ज़रूरत पड़ सकती है?
ऐसा कोई जादुई आंकड़ा मौजूद नहीं है, जो बता सके कि ये एग्स 15 वर्ष में ख़राब हो जाएंगे या तीन वर्ष में आपको इनका इस्तेमाल कर लेना चाहिए, लेकिन चूंकि ये रेडिएशन वेव्स के बीच रहते हैं, तो इस बात का ख़तरा बना रहता है कि अतिरिक्त रेडिएशन कभी न कभी इन्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
चार-पांच साल में अपने एम्ब्रियो या एग का इस्तेमाल कर लें। महिलाओं को कम से कम 20 एग्स तो फ्रीज़ कराने ही चाहिए- ताकि इनसे पर्याप्त एम्ब्रियोज़ बनाए जा सकें, जिनका इस्तेमाल बाद में किया जा सकता है।
इसके लिए एक से ज़्यादा साइकिल की भी ज़रुरत पड़ सकती है।
जब प्रेग्नेंट होना चाहें तब क्या करना होगा?
आपको टैबलेट्स दी जाएंगी, लैबोरेटरी में एग्स को स्पर्म्स से फ़र्टिलाइज़ किया जाएगा और इसे आपके भीतर आईवीएफ़ के ज़रिए स्थापित कर दिया जाएगा।
इसमें कितना ख़र्च आएगा? क्या इस बात की गारंटी होगी कि इन एग्स की मदद से मैं प्रेग्नेंट हो जाऊंगी?
हॉस्पिटल का ख़र्च एक लाख रुपए तक आएगा और दवाइयों का ख़र्च 30 से 80 हज़ार रुपए के बीच कहीं भी आ सकता है। फ्रीज़िंग का ख़र्च 20 से 40 हज़ार रुपए प्रति वर्ष होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने एग्स फ्रीज़ करवाए हैं।
यह प्रक्रिया कितनी ही अच्छी कंडीशन में क्यों न की जाए, लेकिन इसके नतीजे 100 प्रतिशत नहीं आते। अंडों को फ्रीज़ कराना, कन्सेप्शन की गारंटी नहीं है लेकिन इससे आपके प्रेग्नेंट होने की संभावनाएं तो बढ़ ही जाती हैं।
क्या पीसीओएस का फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है?
यदि डॉक्टर द्वारा पीसीओएस का इलाज़ ठीक से हो रहा हो तो इससे कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। हां, मरीज़ को कुछ हॉर्मोन्स देने की ज़रूरत पड़ सकती है, लेकिन इसका निर्णय डॉक्टर ही ले सकते हैं।

अपने लिए सही डॉक्टर का चयन कैसे करें?
पता करें कि डॉक्टर की रेप्युटेशन कैसी है, वह कितना समय अपने मरीज़ के साथ बिताते हैं और क्लीनिक की साफ़-सफ़ाई पर विशेष ध्यान दें।
देखें कि हॉस्पिटल का सपोर्ट स्टाफ़ वहां के मरीज़ों के साथ कैसे पेश आता है, पता करें कि वे किस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं और अपने काम करने के तरीके को लेकर कितने ट्रांसपेरेंट हैं।
उनसे ये सवाल पूछें:
- आपके पास कितने इनक्यूबेटर्स हैं?
- आपके सिस्टम किस तरह काम करते हैं?
- क्या आपके पास इमरजेंसी इलेक्ट्रिकल सप्लाई है?
- आपको आईवीएफ़ का कितने सालों का अनुभव है?