
लोकसभा कैंटीन में किसी पंजाबी शादी से कहीं ज़्यादा प्रकार के व्यंजन उपलब्ध हैं
लोकसभा सदस्य – नुसरत जहां के पसंदीदा व्यंजन
लोकसभा सदन में 12 अन्य बिलों के साथ-साथ, कई घंटों से विवादास्पद ‘तीन तलाक बिल’ की बखिया उधेड़ी जा रही है। शोर-शराबे की आवाजें अपनी चरम सीमा पार कर चुकी हैं, पर विडंबना यह है, कि लोकसभा अध्यक्ष महोदय की आवाज़ सबसे कम है। गनीमत है, कि सदन के एक से दूसरी ओर, कुर्सियां और जूते-चप्पल फेंके जाने शुरू नहीं हुए हैं।
अभी नई-नई सदस्य बनी नुसरत जहां, जो ममता दीदी की तृण-मूल पार्टी की प्रतिनिधि हैं, खामोश बैठी स्थिति का अवलोकन कर रही हैं, जैसे कि काम को समझ रही हों। एक बहुत अहम चीज जिसका अभिनेता से नेता बनी नुसरत, सूक्ष्म-निरीक्षण कर रही है, वह है – लोकसभा कैंटीन।
नुसरत जहां को अब तक कॉरपोरेट-जगत का कोई अनुभव नहीं था, उनके सेट पर उनका भोजन हमेशा सीधा-सादा, आम भोजन हुआ करता था – सलाद, या घर का डब्बा! पर हमारे चटोरेपन को आभार, कि भारत की संसद की अति-संपन्न लोकसभा कैंटीन की भोजन-सूची 110 प्रकार की डिशेस तक फैली हुई है। ‘अच्छा, तो इस प्रकार ऑफिस जाने वाले एक दूसरे से लंच पर मेलजोल बढ़ाते हैं। लोग काम करते समय आपस में वाद-विवाद और तर्क-वितर्क करते हैं, और जब यह सब खत्म हो जाता है, अक्सर पूछते हैं कि, ‘आज क्या खाना है’ और ‘शाम को 6:00 बजे के बाद क्या कर रहे हो?’ नुसरत खुलासा करती हैं।
विभिन्न दलों के पुराने अनुभवी सदस्यों द्वारा, नई-नई आई नुसरत को सलाह दी जाती है, “चाय से बेहतर तो कॉफी है”, “दूसरे सेंडविच की बजाय मल्टीग्रेन ब्रेड लेना”, और “बिरयानी अवश्य खाना”। नुसरत ने भी कुछ अपनी पसंदीदा चीजों की खोज कर ली है: “मुझे समोसा बहुत पसंद है, कुरकुरा समोसा और टोस्ट!”

लोकसभा कैंटीन का मैन्यू, चंडीगढ़ के किसी बड़े जमीदार के यहां की शादी से भी अधिक बड़े स्तर का है, और साथ ही उसमें बहुत सी डिशेज़ सम्मिलित हैं। उसमें अलग से एक परहेज़ी खानों का भी विकल्प है, जिसमें उपमा, पोहा,और चिकेन-स्टू जैसी चीजें हैं, लेकिन निश्चित रूप से लंबी लाइनें हमेशा सीख-कबाब, चिली- चिकन, चिकन-बिरयानी, रूमाली रोटी और शामी-कबाब की तरफ़ लगी होती हैं।
नुसरत सामान्यतः दोपहर के भोजन में हल्की खिचड़ी अथवा सादा दाल-चावल लेती हैं। ख़ुद को सदन के दोपहर-सत्र में ऊँघते हुए पकड़े जाने वाली, एक अन्य मंत्री बनने से बचने हेतु यह एक उचित कदम है।