
30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना, इतना भी मुश्किल नहीं है
उम्र को प्रेग्नेंसी के आड़े न आने दें
‘मैं प्रेग्नेंट हूं’, यह सुनते ही ऐसा लगा जैसे मेरे मन में मिली-जुली भावनाओं की एक सुनामी सी आ गयी – बेचैनी, उत्सुकता और ख़ुशी के साथ-साथ, अपने पति के रिएक्शन को लेकर थोड़ी सी चिंता भी थी। क्योंकि हमने सोच रखा था कि दो साल के बाद ही हम इस बारे में सोचना शुरू करेंगे। हम फाइनेंशियल और इमोशनल रूप से पूरी तरह तैयार होकर ही अपने जीवन में एक नन्हा मेहमान लाना चाहते थे। लेकिन मैं 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट हुई थी और मुझे लगा कि यह सही समय है। “शादी को चार साल हो गए हैं, अब कोशिश शुरू करनी चाहिए,” हमारा भला चाहने वाले रिश्तेदारों की इन हिदायतों और हमारे फैसले के बीच, मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि आखिर सही क्या है।
ज़ाहिर है, मुझे इस बात को भी ध्यान में रखते हुए यह फैसला लेना था कि बढ़ती उम्र के साथ, शारीरिक तौर पर यह प्रेगनेंसी और फिर उस बच्चे को बढ़ा करना मेरे लिए काफी कठिन हो सकता है। वैसे भी अब मुझ में पहले जैसी फुर्ती नहीं बची थी। और ‘जेरिऐट्रिक’ प्रेग्नेंसी जैसे शब्द सुनकर तो, 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही चिंतित महिलाओं की चिंता और बढ़ जाती है। हालाँकि, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, प्रेगनेंसी पर इसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन कई गायनोकोलॉजिस्ट और इस उम्र की मांओं के अनुसार, “30 साल की उम्र ज़्यादा है” वाली पुरानी धारणा, वाकई में अब बहुत पुरानी हो गयी है।
चाहे आप 30 साल की उम्र के बाद ही प्रेग्नेंट क्यों न हो रही हों, यह जान लें कि हर औरत के लिए यह सफर अलग होता है, और कहीं न कहीं उसका संबंध उनके कब और कैसे प्रेग्नेंट होने के निर्णय पर भी निर्भर करता है। अपने शरीर को इस सफर के लिए तैयार करने, किसी भी तरह की मेडिकल दुर्घटना से खुद को बचाने, यहाँ तक की बच्चे की डिलीवरी के विभिन्न तरीकों के बारे में जितना हो सके पढ़े, और इस पूरे सफर का आनंद उठाये।
30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी: पहला चरण
अपने शरीर को इसके लिए तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल है – सेहतमंद आदतें अपनाना, नियमित रूप से चेकअप करवाना और चिंता से दूर रहना, जो अक्सर भावी मांओं को प्रेग्नेंट होने से पहले ही होने लगती है।

चेकअप ज़रूरी है
प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले गायनोकोलॉजिस्ट से ज़रूर मिलें। डॉ प्रीति व्यास कहती हैं, “तीस की उम्र से पहले कॉन्ट्रासेप्टिव्स (गर्भनिरोधक) का इस्तेमाल करना एक अच्छा आईडिया है, क्योंकि इससे आपके एग्स (अंडे) बचते हैं। सभी महिलाएं एग्स की एक सीमित संख्या के साथ पैदा होती हैं, जो वैसे तो लाखों में होती है पर हर बार जब हम ऑव्यूलेट करते हैं, उनमें से सैकड़ों अंडे मर जाते हैं। यही वजह है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी फ़र्टिलिटी कम होने लगती है। तो, जब तक आप 35-40 के होते हैं, फर्टिलाइज़ हो सकने वाले अंडों की संख्या कम रह जाती है। कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल करने से ऑव्यूलेशन नहीं होता है और अंडे नष्ट होने से बच जाते हैं। यदि आप 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो अपने अंडों को फ्रीज़ कराने के बारे में सोंचे।”
मेडिकल एक्सपर्ट आपको थाइरॉइड, कम्प्लीट ब्लड काउंट, शुगर, रुबेला, थैलैसीमिया जैसे कुछ ब्लड टेस्ट कराने को कहेंगे, साथ ही कुछ मल्टी-विटामिन्स और फ़ोलिक ऐसिड भी शुरू करने की सलाह देंगे। डॉ प्रीति कहती हैं, “लोग आजकल इस सब के बारे में बहुत जागरूक हो गए हैं, वो ब्लड टेस्ट के लिए आते हैं, तो खुद ही पूछ लेते हैं कि उन्हें किसी तरह के वैक्सिनेशन की ज़रूरत तो नहीं है या वह फ़ोलिक ऐसिड कब से शुरू कर सकते हैं।” फ़ोलिक ऐसिड लेना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हीमोग्लोबिन बनाता है और मां में इसकी कमी होने के कारण पेट में ही बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट (पैदाइशी दोष जिससे दिमाग़, रीढ़ और स्पाइनल कॉर्ड पर असर पड़ सकता है) हो सकता है।
फोटो: स्टीवन पहल / अनस्प्लैश
कुछ मूल बातों का ध्यान रखें
यदि आप 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट हो रही हैं तो यह वह समय है, जब आपको अपनी दादी मां की सलाह माननी चाहिए। सेहतभरा खाना खाएं, कसरत करें और ड्रिंकिंग व स्मोकिंग को अलविदा कह दें। डॉ प्रीति बताती हैं, “ऐल्कहॉल और स्मोकिंग आपके एग्स की क्वालिटी को प्रभावित करते हैं।” डॉक्टर्स, प्रेग्नेंट होने के लिए प्रयास कर रही औरतों को तीन महीने पहले से स्मोकिंग बंद करने की सलाह देते हैं।
“डिलीवरी का दिन आने तक डाइट हेल्दी रखें, अच्छी तरह एक्सरसाइज़ करें और घर या ऑफ़िस में सामान्य कामकाज जारी रखें,” ये सलाह है गायनाकोलॉजिस्ट व ऑब्स्टिट्रिशन डॉ गायत्री राव की। जंक फ़ूड ज़्यादा न खाएं और बहुत अधिक मीठे और नमकीन फ़ूड प्रोडक्ट्स खाने से भी बचें। इसका सार यह है कि पैकेज्ड फ़ूड तो बिल्कुल भी नहीं और जितना हो सके पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान घर का खाना खाने की कोशिश करें। मैंने अपनी डिलीवरी के एक सप्ताह पहले तक पूरा काम किया – बावजूद इसके कि मेरे पंजे सूजे रहते थे। मैं सप्ताह में तीन दिन प्रीनेटल योग क्लासेस भी जाती थी और ज़्यादा से ज़्यादा पैदल चलने की कोशिश करती थी।

ये गठबंधन न होने दें
अपनी किताब प्रेग्नेंसी नोट्स: बिफ़ोर, ड्यूरिंग ऐंड आफ़्टर में रुजुता दिवेकर लिखती हैं, “हमारी डाइट, एक्सरसाइज़, एक्टिविटी और लाइफ़स्टाइल (ऐल्कहॉल, स्मोकिंग, तनाव और नींद) की वजह से हमारा मोटापा बहुत बढ़ रहा है, यह शायद उससे कहीं ज़्यादा है जो हमारी मांओं का हमारी उम्र में रहा होगा। इसी वजह से हम डायबेसिटी का शिकार हो रहे हैं। ये डायबिटीज़ और ओबेसिटी (मोटापा) का गठबंधन ही है कि हम इन्सुलिन के प्रति रेसिस्टेंट बन रहे हैं।” दिवेकर की सलाह है कि अपनी डाइट पर ख़ास ध्यान दें – वो घर पर जमाया गया दही खाने पर ज़ोर देती हैं (पेट के लिए सेहतमंद बैक्टीरियाज़ का एक आवश्यक डोज़) और चटनी या अचार खाने को भी कहती हैं, ताकि आपका शरीर विटामिन बी12 को पचा सके।
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ऐप्स की मदद लें
अपने पीरियड्स की साइकल और ऑव्यूलेशन का रिकॉर्ड, पीरियड कैलेंडर ऐप्स के साथ रखें जैसे- फ़्लो (Flo), क्लू (Clue), ओविया (Ovia)। “मैं उन लोगों में से थी, जिन्हें अपने पिछले पीरियड्स की तारीख़ भी याद नहीं रहती थी। इन ऐप्स से मुझे बहुत मदद मिली। चूंकि मैं 31 साल की हो चुकी थी, और मुझे काफ़ी समय पहले से ही पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और ब्लडप्रेशर की शिकायत थी, ऐसे में इन ऐप्स के ज़रिए ‘उपयुक्त फर्टाइल टाइम’ का पता लगाना आसान हो गया। अच्छी बात यह रही कि इसी की मदद से, मैं अपनी प्रेग्नेंट होने की कोशिश के पहले ही महीने में सफल हो गई,” 34 वर्षीय मृनाली मैत्रा बताती हैं, जो अब एक दो वर्ष के बच्चे की मां हैं।

अपने लिए विकल्प ढूंढ़ें
“ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है, जो अपने एग्स को फ्रीज़ करा रही हैं, लेकिन यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ ज़रूर रही है। बहुत-सी अविवाहित महिलाएं भी ऐसा कर रही हैं। जो महिलाएं 35 की उम्र के बाद मां बनना चाहती हैं, उनके लिए यह एक बहुत अच्छा विकल्प है,” डॉ प्रीति बताती हैं।
तीन वर्ष या उससे अधिक समय के प्रयास के बाद भी यदि आप प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही हों, तब इन्विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ़) के बारे में सोचना चाहिए। यदि आपकी उम्र 36 से ज़्यादा हो गई है तो शायद आपको प्रेग्नेंट होने के लिए आईवीएफ़ की ज़रुरत पड़े, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि तीसरे दशक में प्रेग्नेंट होने के लिए आपको इसकी ज़रूरत पड़ेगी ही। प्राची आर. जरीवाला, क्लासिकल डांसर और कला इतिहासकार, जिन्होंने 38 वर्ष की उम्र में विवाह किया, सालभर के भीतर प्राकृतिक तरीक़े से प्रेग्नेंट हुईं। “आठ-नौ महीने तक प्रयास के बावजूद मैं प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही थी इसलिए मैं डॉक्टर के पास गई थी, पर वहां जाकर मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं,” वो बताती हैं।

चिंता छोड़ें, ख़ुश रहें
सिमोन्टिनी पात्रा बैनर्जी, तीन वर्ष के बच्चे की मां और एक डॉक्टर, द्वारा कही गयी यह बात आपके दिमाग़ की सारी चिंताओं को मिटा देगी। “आजकल जिस तरह की प्रीनेटल और पोस्टनेटल सुविधाएं उपलब्ध हैं, 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना कोई बड़ी बात नहीं है। यदि चिकित्सा के नज़रिए से बात करूं तो इस उम्र को अब भी ज़्यादा ख़तरे वाली प्रेग्नेंसी की केटेगरी में रखा जाता है, क्योंकि ओवम की क्वालिटी ख़राब हो रही होती है और क्रोमोसोमल डिस्ऑर्डर के ख़तरे की संभावना बनी रहती है (लेकिन कुछ टेस्ट के ज़रिए इनका पता लगाया जा सकता है)। तो, यदि आप 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो बेझिझक आगे बढ़े।”
30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी: ये बातें ध्यान रखें
जैसे-जैसे आपका शरीर बदलता है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य से जुड़ी आपकी चिंताएं भी बदलती है। यहां जानें, कि क्या उम्मीद करें जब आप खुद उम्मीद से हों-

बच्चे को ख़तरा
ख़तरा तो 30 साल से कम उम्र में प्रेग्नेंट होने पर भी होता है, लेकिन 30 साल की उम्र के बाद बच्चे में जन्मजात असंगतियां और जेनेटिक डिसऑर्डर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। “इन ख़तरों का संबंध मां की उम्र से है- मां की उम्र जितनी ज़्यादा होगी, बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने का ख़तरा भी उतना ही ज़्यादा होगा,” डॉ प्रीति कहती हैं।
लो-लाइंग प्लेसेन्टा
अभिनेत्री परिणीता सेठ, जिनका बेबी 35 वर्ष की उम्र में हुआ, उन्होंने हमें बताया कि ‘प्लेसेंटा प्रिविआ’ या ‘लो-लाइंग प्लेसेन्टा’ वह स्थिति है जिसमें प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा, यूटरस के निचले हिस्से में आ जाता है। ऐसा होने के कई कारण होते हैं, जिनमें से एक है 35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना। वह कहती हैं, “मुझे लो-लाइंग प्लेसेन्टा की समस्या थी और मुझे साढ़े तीन महीने तक पैरों को ऊपर उठाकर बेड रेस्ट पर रहना पड़ा था। सौभाग्य से सबकुछ अच्छे से हो गया।” यह एक बहुत ही आम रिस्क है। “मेरे जन्म के समय, मेरी मां को भी लो-लाइंग प्लेसेन्टा की समस्या थी, जबकि वो तो केवल 22 वर्ष की थीं। मैं समय से तीन सप्ताह पहले पैदा हो गयी थी,” मैत्रा बताती हैं।
वही पुराना अहसास
“मेडिकल भाषा में 35 वर्ष से ज़्यादा उम्र के मरीज़ को ‘एल्डर्ली ग्रैवीडा’ कहा जाता है,” डॉ गायत्री बताती हैं। लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और डिलीवरी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, डॉ प्रीति कहती हैं। “बत्तीस वर्ष की ही उम्र में एक टेस्ट में मुझे ‘जेरिऐट्रिक प्रिमिग्रैवीडा’ करार दे दिया गया था। टेस्ट के बाद, मैं बहुत ही अजीब-सा महसूस कर रही थी, लेकिन ऐसी मेडिकल टर्म से डरने की ज़रूरत नहीं है,” मैत्रा कहती हैं।

हाई प्रेशर वाली स्थिति
“पैंतीस साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर जैसे मुद्दे और दूसरी मेडिकल समस्याएं तो बढ़ेंगी ही,” डॉ राव कहती हैं। इससे नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना कम हो जाती है। “यदि मां को प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और बॉर्डर लाइन डायबिटीज़ या फ्रैंक डायबिटीज़ है तो इसका असर बच्चे पर पड़ता है। इससे बच्चा बहुत कम या बहुत ज़्यादा वज़न का हो सकता है और डिलीवरी समय से पहले भी हो सकती है,” डॉ प्रीति समझाती हैं।
मॉर्निंग सिकनेस
मेरी प्रेग्नेंसी वैसे तो अच्छे से निपट गयी, केवल एक ही बार मुझे बहुत ज़्यादा मॉर्निंग सिकनेस होने की वजह से अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। डॉक्टर्स इस बात पर सहमत हैं कि प्रेग्नेंसी की वजह से होने वाली उल्टियों और आपकी बढ़ती उम्र के बीच संबंध हो सकता है। लेकिन मॉर्निंग सिकनेस से तो कभी-भी नहीं बचा जा सकता, चाहे आपकी उम्र जो भी हो-आप केवल इस बात की आशा ही कर सकती हैं कि आप उन सौभाग्यशाली महिलाओं में से एक हों, जो प्रेग्नेंसी के दौरान खाने पीने का मजा उठा सकें (और इसे अपने पेट में रोक कर रख सकें)।
थाइरॉइड की समस्या
यदि आप 30 के बाद के शुरुआती सालों में प्रेग्नेंट होती हैं तो इस दौरान होनेवाली हाइपोथाइरॉइडिज़्म की समस्या को पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है- मेरे केस में ऐसा ही हुआ। मैंने अपनी दवाएं समय पर लीं और डिलीवरी के बाद एक साल तक इन्हें लेना जारी रखा जिससे मेरा लेवल फिर से नार्मल हो गया। एक और मां, जिसे मैं जानती हूं, उसे इसके लिए डिलीवरी के दो साल बाद तक भी गोलियां खानी पड़ी थी।
समय पर कराएं हर टेस्ट
दिल दहला देने वाले ऐसे कई टेस्ट और सोनोग्राम आपको करवाने पड़ेंगे, जो यह चेक करते हैं कि पेट में बच्चा ठीक से बढ़ रहा है या नहीं। प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों (6-9 सप्ताह) की सोनोग्राफ़ी में बच्चे के दिल की धड़कन चेक करते हैं और यह निश्चित करते हैं कि यूटरस में फ़र्टिलाइज़्ड एग यूटेराइन लाइनिंग के भीतर ही है, अथवा कहीं यूटरस के बाहर (एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी) तो विकसित नहीं हो रहा है, क्योंकि यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।

पांचवे महीने की सोनोग्राफ़ी में चेक करते हैं कि शरीर के सभी अंग अच्छी तरह से विकसित हुए हैं या नहीं। मुझे सबसे ज्यादा घबराहट 7-8 वें महीने में होने वाली सोनोग्राफ़ी में हुई, जिसमें बच्चे के विकास और रक्त प्रवाह को जांचा जाता है। सौभाग्य से, मैं मुस्कुराते हुए बाहर निकली थी। मेरे हाथ में अल्ट्रासाउंड विडियो की वह कॉपी थी, जिसमें मेरा बच्चा अपनी उंगली पकड़कर मुस्कुरा रहा था, जैसे कह रहा हो ‘तैयार हो जाइए। मैं आपके पास आ रहा हूं’।
30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी: डिलीवरी के विभिन्न तरीके
हर किसी की, यहां तक कि उनकी दादी-नानियों की भी डिलीवरी को लेकर अपनी एक राय होती है, ऐसा ही मेरे सी-सेक्शन के लिए भी हुआ। मैंने हर बात सुनी ‘शायद इसने पर्याप्त मात्रा में एक्सरसाइज़ नहीं की होगी’ से लेकर ‘हो सकता है कुछ ज़्यादा ही काम कर लिया हो’ तक। मैं थक गई थी, मुझे बुख़ार था और मैं अपने बच्चे को उठा भी नहीं पा रही थी। पर दूसरे ही दिन मैं अपने पैरों पर खड़ी थी, हर वो चीज़ कर पा रही थी, जो मैं करना चाहती थी। जिसे जो कहना है, कहने दें। केवल आपका शरीर, बच्चा और आपकी डॉक्टर ही यह तय कर सकते हैं कि आपके लिए कैसी डिलीवरी बेहतर होगी।

नार्मल डिलीवरी
ये बात डॉक्टर्स ही कहते हैं। “हर औरत नार्मल डिलीवरी को अंजाम दे सकती है, जब तक कि बच्चे के पैर नीचे की ओर होने या सीपीडी (सेफैलो पेल्विक डिस्प्रपोर्शन) जैसे संकेत नज़र न आ रहे हों। डिलीवरी कैसे होगी यह तय करने के लिए केवल उम्र ही एक आधार नहीं है,” डॉ गायत्री कहती हैं। “मैं हॉस्पिटल में एक ऐसी खुशमिजाज़ माँ से मिली जो 40 वर्ष की थी, इसके बावजूद उसकी डिलीवरी बिलकुल नार्मल तरीके से हुई। सुबह उसका बच्चा हुआ और थोड़ी ही देर में वो अपने बच्चे की देखभाल के लिए दो मंज़िल नीचे उतर कर आ गई,” मैत्रा बताती हैं।
सी-सेक्शन
यदि आप डाइबिटिक हैं, आपको हाई ब्लड प्रेशर है या फिर किसी अन्य तरह की मेडिकल समस्या है जैसे- ओवर या अंडरएक्टिव थाइरॉइड ग्लैंडस, तो ख़तरे को कम करने के लिए सी-सेक्शन की सलाह दी जाती है। “कई बार तो जो महिलाएं नार्मल डिलीवरी करवा सकती हैं, वे भी अपनी मर्ज़ी से सी-सेक्शन करवाना चाहती हैं। कुछ तो पहले सेशन में ही इस बात के लिए कह देती हैं,” डॉ प्रीति खुलासा करती हैं।
इमरजेंसी सी-सेक्शन
कई बार हमें लगता है कि सबकुछ ठीक है, फिर भी इसकी ज़रूरत पड़ सकती है। मुझे इमरजेंसी सी-सेक्शन ही करवाना पड़ा, क्योंकि मेरे बच्चे को लगा कि मम्मा का यूटरस वो पर्फ़ेक्ट जगह है जहां वो मेकोनियम स्टूल (वो स्टूल, जो तब बनता है, जब बच्चा ऐम्निऑटिक फ्लूइड, आंतों में मौजूद एपिथेलियल सेल्स, म्यूकस, बाइल और हर तरह की चीज़ निगल लेता है) पास कर सकता है। मुझे लगता है, मेरी कोख में होते हुए भी उसने यह नहीं सीखा कि वहां पॉटी नहीं करते हैं, जहां हम खाना खाते हैं!
क्या आप अपने पहले बच्चे के तुरंत बाद ही दोबारा प्रेग्नेंट होना चाहती हैं? वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार दो प्रेगनेंसी के बीच कम से कम 18 से 24 महीने का अंतर रखना चाहिए। कई बार टिशूज़ सालभर के भीतर ही सेहतमंद हो जाते हैं, लेकिन केवल आप और आपके डॉक्टर ही इस बारे में कोई निर्णय ले सकते हैं। सच्चाई ये है, कि दूसरी बार में चीज़ें आसान भी हो सकती हैं। शिबानी देशपांडे का दूसरा बच्चा 34 साल की उम्र में हुआ, वो कहती हैं, “जब मेरी बेटी अनाया हुई, मैं हर चीज़ को लेकर बहुत चिंतित और उत्साहित रहती थी। लेकिन जब साढ़े तीन साल बाद मेरा बेटा कबीर हुआ तो मैं चीज़ों को ज़्यादा बेहतर तरीक़े से मैनेज कर पाई।”
तो जो महिलाएं 30 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, उन्हें इससे क्या सीख मिलती है?
तनाव आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। और यदि आप बोर्डरूम में बुरे से बुरे व्यक्ति को हैंडल कर सकती हैं तो आप बहुत ही आसानी से अपने एक या दो बच्चों को तो हैंडल कर ही सकती हैं। यक़ीन मानिए!