
अपने अटेंशन स्पैन में सुधार लाने के लिए, मैंने एक्सपर्ट्स द्वारा सुझाए यह 4 तरीके अपनाए
क्या आप एक गोल्डफिश की तरह महसूस करते-करते थक गए हैं?
मैं एक दिन में ना जाने क्या-क्या करती हूं। अभी इसी वीकेंड, मैंने तीन नए टीवी शो शुरू किये, एक नई किताब उठाई और अपनी बिल्ली को समझाया कि कम्पोस्ट बिन कोई खेलने की चीज़ नहीं और उसे सड़ी-गली सब्ज़ियों की बदबू से आकर्षित नहीं होना चाहिए। मैंने यह भी तय किया कि अब मुझे अपनी अलमारी की सफाई करने के साथ-साथ, किचन भी ठीक से जमा लेनी चाहिए, और हो सके तो बिगिनर्स के लिए मेडिटेशन प्रोग्राम पर भी एक नज़र डाल ही लेनी चाहिए। मैंने इनमें से एक भी काम ख़त्म नहीं किया – और तब मुझे अहसास हुआ कि मुझे वास्तव में अपने अटेंशन स्पैन में सुधार लाने की आवश्यकता है।
सच कहूं तो, इससे ज़्यादा आसान काम तो अपनी कचरे में महकती बिल्ली का ध्यान केंद्रित करना है।
किसी कमान पर चढ़े तीर की तरह, चौबीसों घंटे फोकस बनाए रखना ज़रूरी नहीं, पर अगर यह आदत आपके रोज़मर्रा के कामों में अड़चन बनने लगे और आपकी प्रोडक्टिविटी पर बुरा असर पड़ने लगे तो इस समस्या को सम्बोधित करना ज़रूरी हो जाता है – कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी होने लगा था।
यहां तक की अन्य लोगों ने भी टिप्पणी करना शुरू कर दिया था कि कैसे मुझे अपने अटेंशन स्पैन में सुधार लाने की आवश्यकता है। और जब दोस्त, परिवारवाले और सहकर्मी आपकी उन कमजोरियों को नोटिस करना शुरू देते हैं, जिन्हें हम लगातार अनदेखा कर रहे थे, तो समझ लें कि वक़्त आ गया है, आप नींद से जागें और इस बारे में कुछ ठोस कदम उठाएं।
लेकिन इससे पहले की आप अपने बारे में जजमेंटल होने लगें और अपनी हालत पर अफ़सोस जताने लगें, यह पता चला है कि यह समस्या सिर्फ मेरे अकेले की नहीं है, बल्कि हम सबकी समस्या है।
साइकोलोजिस्ट प्राची वैश कहती हैं, “आजकल पहले से कहीं ज़्यादा, हम हर चीज़ को लेकर बहुत हाइपर होते जा रहे हैं। हमारा अटेंशन स्पैन कम होता जा रहा है और अब हम हमेशा अपना अगले लक्ष्य, कार्य या इंस्टाग्राम पर डालने लायक पोस्ट की तलाश में भागते रहते हैं।”
अडल्ट्स में अटेंशन स्पैन की कमी क्यों दिखाई देती है
आप अपने समय का पर्याप्त उपयोग नहीं कर रहे हैं, यदि आप एक ही समय में टेक्सटिंग, कुकिंग, उसके बारे में ही पोस्टिंग, और कोई किताब पढ़ने जैसे सभी काम एक साथ नहीं कर पा रहे हैं। क्यों कम समय में ज़रुरत से ज़्यादा करने की चाह आजकल एक नार्मल सी बात लगने लगी हैं?
वैश कहती हैं, “जिस माहौल में हम रहते हैं, हमारा दिमाग अपने आप उसके अनुकूल परिवर्तित होने के लिए डिज़ाइन किया गया है।”
आजकल चारों ओर से, इतनी तेज़ी से, इतनी सारी जानकारी हमारी राह में फेंकी जा रही है, इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी हासिल करने के चक्कर में, हमारा अटेंशन स्पैन घटता जा रहा है।
उनका यह भी कहना है, “इस घटते अटेंशन स्पैन का एक अन्य कारण यह भी है कि हम किसी भी काम में तुरंत संतुष्ट महसूस करना चाहते हैं। इसका श्रेय सोशल मीडिया पर मिलने वाले उन सभी लाइक्स और शेयर को जाता है, जैसे ही हम किसी एक चीज़ को पा लेते हैं, हम फिर से वही सुखद अनुभूति प्राप्त करने के लिए कुछ नया खोजना शुरू कर देते हैं।”
क्या इस समस्या की जड़ टेक्नोलॉजी है?
आपके पास कोई है, जो आपकी डेडलाइन्स पूरी ना कर पाने का थोड़ा दोष शेयर कर सकता है। वह जिसका रुख आप सुस्त फ्राइडे नाइट्स को करते हैं, या जब आप दाल और पानी का सही अनुपात पता लगाना चाहते हैं या जब आपको अपने मेम रिजर्व को फिर से भरने की आवश्यकता होती है – वह है वर्ल्ड वाइड वेब।
टेक्नोलॉजी दुनिया को एक दूसरे के करीब लेकर आई है, पर वैश का मानना है कि हमारी निरंतर बने रहने वाले उत्तेजक व्यवहार के लिए भी यही जिम्मेदार है – “परफॉरमेंस बढ़ाने वाली ड्रग्स एम्फ़ैटेमिन के नशे में चूर किसी व्यक्ति का व्यवहार, बहुत हद तक उस व्यक्ति के व्यवहार से मेल खाता है जो टेक्नोलॉजी का एडिक्ट हो। लगातार बैचेनी और कुलबुलाहट महसूस करना, एक ही व्यवहार को बार-बार दोहराना और कई कार्यों के बीच में इधर-उधर झूलते रहना, यह सभी घटते अटेंशन स्पैन के संकेत हैं।”
अपने अटेंशन स्पैन में सुधार लाने के चार तरीके
आपका अटेंशन स्पैन आपकी प्रोडक्टिविटी की राह में रोड़ा ना अटकाए, यह सुनिश्चित करने के लिए एक मूल मंत्र का पालन करें – अपनी हर इच्छा को पूरा करने में थोड़ा विलंब करें।
वैश कहती हैं, “इच्छाएं तो हमारे प्राकृतिक व्यवहार का हिस्सा हैं जो तरंगो की तरह बार-बार हमारे मन में उभर कर आती हैं और 20 से 30 मिनट तक बनी रहती हैं। तो, हमें अपने दिमाग में बसी हुई इस धारणा को तोड़ना होगा कि एक बार इच्छा पूरी होते ही, मन अपने आप शांत हो जाएगा। इसकी बजाय मन को शांत करने के लिए, उस इच्छा को टालने की कोशिश करें और देखें कि वह कैसे अपने आप ही आपके मन से बाहर निकल जाती है।”
तो वैश का दिमाग खाने और इंटरनेट को पूरी तरह से छान लेने के बाद, मैंने अपने अटेंशन स्पैन को बढ़ाने और प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए चार स्ट्रेटेजी चुनी – मेरे प्रयास और मेरी उपलब्धियां, दोनों ही यहां दिए हुए हैं:
लॉक करें, अनलॉक करें और फिर से लॉक करें
वैश ताला-चाबी का नजरिया अपनाने का सुझाव देती हैं। वह बताती हैं, “जब भी आपका मन भटकने लगता है या कोई एक काम करते हुए, बीच में ही कुछ और करने की तीव्र इच्छा महसूस होती हैं, तो चाबी को ताले में घुमाकर उसे लॉक कर दें जो यह दर्शाता है कि आप इस इच्छा के बारे में कुछ भी नहीं करने जा रहे हैं। जब इच्छा ख़त्म हो जाए और आपका चल रहा कार्य भी पूरा हो जाए, तो ताले को फिर से अनलॉक कर लें।”
मुझे ताला और चाबी तो नहीं मिले, और इसकी वजह थी मेरी अव्यवस्थित ड्रावर जिसे मैं ना जाने कबसे अनदेखा किए जा रही थी, तो मैंने एक कामचलाऊ तरीका ढूंढ निकाला। किसी काम के बीच में, जब भी मुझे ब्रेक लेने की इच्छा होती, मैं ड्रावर को खोल कर छोड़ देती और अपना काम ख़त्म करने के बाद ही उसे वापस बंद करती।
काम पूरा करके, उस ड्रावर को बंद करने के बाद मिलने वाली संतुष्टि, मुझे उस उपलब्धि के अहसास की याद दिलाती है जो मुझे अपनी टू-डू-लिस्ट में से एक टास्क को टिक करने के बाद महसूस होती थी।
लिस्ट को तो मैं इधर-उधर दबा सकती थी, लेकिन यह खुली गई ड्रावर तो जैसे मुझे घूरती रहती है, और काम को जल्दी ख़त्म करने का दबाव डालती रहती है।
पहले कुछ कार्यों को पूरा करने में मुझे थोड़ा समय लगा, लेकिन एक बार गति निर्धारित हो गई, तो मैंने अपनी लिस्ट पर काबू पा लिया। इस स्ट्रेटेजी की मदद से मैंने ऑफिस टाइम के अंदर ही अपने सभी ज़रूरी काम पूरे कर लिए।
पिछले छह महीनों में, वह पहली रात थी जब मैं अपने अधूरे कामों की चिंता किए बिना, बिस्तर में सोने गई थी।
ध्यान भंग ना होने दें
हर बार जब भी आपका मन भटकने लगे, एक्सरसाइज करना शुरू कर दें – पांच जंपिंग जैक, पांच पुश-अप, 10 क्रंच या एक 10 मिनट लंबा स्ट्रेच सेशन। इस तरह से आपको उस इच्छा को शांत करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा, और आप अपने व्याकुल मन का शिकार होने से बच सकेंगे।
मेरे केस में, यह स्ट्रेटेजी काम आई, लेकिन कारण कुछ और ही थे। मुझे किसी भी तरह की एक्सरसाइज करने में बोरियत होती है, तो जब भी मेरा ध्यान डगमगाया और मुझे अपने फ़ोन की तलब महसूस होने लगी, तो मैंने एक क्षण सोचा और फिर से अपने काम में लग गई।
इसलिए नहीं कि मैं अचानक जादू से ‘एम्प्लॉई ऑफ़ द मंथ’ में तब्दील हो गई थी, बल्कि इसलिए कि मुझे बेवक़्त जंपिंग जैक करने का कोई शौक नहीं था।
मोरल ऑफ़ द स्टोरी? कभी-कभी आपका आलस्य भी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
अपने लिए एक पावर ऑवर निकालें
इस पावर ऑवर स्ट्रेटेजी के अनुसार, आपको एक निश्चित समय के लिए अपने सभी डिस्ट्रैक्शंस से ध्यान हटाकर, मन लगाकर काम करना चाहिए, जिसके बाद आप छोटे ब्रेक ले सकते हैं। यह तरीका “आपके दिमाग और शरीर के श्रेष्ट परफॉरमेंस को बाहर लाने” के लिए जाना जाता है।
यह स्ट्रेटेजी आपको एक धीमी शुरुआत करने का सुझाव देती है, पहले 20 मिनट पर जोर दें और फिर धीरे-धीरे अपनी समय सीमा को एक घंटे तक बढ़ाएं।
मेरे लिए सिर्फ बीस मिनट लगकर काम करने की समय सीमा काफी कम थी। मैं हर वक़्त घड़ी देखती रहती, और जब लगता कि काम का फ्लो बनने लगा है, ब्रेक का समय हो जाता।
फिर मैंने लगकर 40 से 45 मिनट के लिए इसे ट्राई किया, तो यह तरीका मेरे लिए बहुत कारगर साबित हुआ।
मास्टर-ऑफ-नन-मल्टीटास्कर को अलविदा करें
The Week को दिए एक इंटरव्यू में, Barking Up the Wrong Tree: The Surprising Science Behind Why Everything You Know About Success Is (Mostly) Wrong के लेखक एरिक बार्कर ने कहा, “किसी भी क्षेत्र में देख लें, मल्टीटास्किंग करने से प्रोडक्टिविटी घटती है। लेकिन अगर इसका कोई फायदा नहीं है तो लोग अक्सर मल्टीटास्किंग करते ही क्यों है? भले ही यह आपकी प्रोडक्टिविटी कम कर रही हो लेकिन यह आपको भावनात्मक रूप से संतुष्ट महसूस कराती है।”
आपके ब्रेन को कुशलता से मल्टीटास्क करने के लिए प्रोग्राम नहीं किया गया है, इसलिए हेलीकॉप्टर पैरेंट की तरह व्यवहार करना बंद करें और अपने ब्रेन को अकेला छोड़ दें।
एक समय पर एक ही टास्क पर ध्यान दें और उस पर कुशलता से काम करें।
मेरे लिए, कई कार्यों के बीच इधर-उधर झूलते रहने का मतलब था, दिन के अंत में आधे-अधूरे कामों का एक बड़ा सा ढेर। इस स्ट्रेटेजी की मदद से मेरे अटेंशन स्पैन में सुधार आया और मेरी प्रोडक्टिविटी बढ़ गयी क्योंकि अब मैं ना सिर्फ एक समय पर एक ही काम तेज़ी से कर पा रही थी बल्कि उसमें अपना पूरा सामर्थ्य लगा रही थी।
हम भी गोल्डफिश में बदलते जा रहे हैं
नहीं, ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कहा जा रहा क्योंकि हम इस लॉकडाउन के दौरान अपने-अपने घरों में फंसे हुए हैं।
बल्कि यह इस बात की तरफ इशारा है कि हमारे स्केल वाले इन दोस्तों का अटेंशन स्पैन नौ सेकंड लम्बा होता है और एक मजेदार तथ्य यह है: हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चलता है कि अब इंसानों का अटेंशन स्पैन गोल्डफिश से भी कम हो गया है – कुल मिलाकर आठ सेकेण्ड।
यहां कुछ बाते हैं जो मैंने अपने अटेंशन स्पैन में सुधार करने की कोशिश करते हुए सीखी हैं:
- वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करें
यदि आप अटेंशन स्पैन छोटा है, तो किसी नई स्ट्रेटेजी को लागू करने के जोश में, एक ही दिन में बीस कार्यों को पूरा कर लेने की उम्मीद न करें। छोटी शुरुआत करें, उपलब्धि की भावना का आनंद लें, और धीरे-धीरे अपने कार्यों की सूची में बढ़ोतरी करते रहें। - स्थिरता ही सफलता की कुंजी है
उस पर तब तक बने रहें, जब तक वह आदत ना बन जाए – उचित परिणाम प्राप्त करने के लिए, आपको अपनी इच्छाओं और भटकते हुए मन पर काबू पाने और उन्हें लम्बे समय तक टालने के लिए भरसक कोशिश करनी पड़ेगी। - मेहनत का लायक फल ज़रूर मिलेगा
सिर पर किसी भी तरह के बैकलॉग का भार ना होना, बिलकुल वैसा अहसास दिलाता है जैसे भरी गर्मी में स्कूल से घर लौटने पर ठंडे नींबू पानी की चुस्कियों का आनंद उठाना – आप अंदर तक राहत महसूस कर सकते हैं, और फिर, एक लम्बी चैन की, अपराधबोध-मुक्त झपकी लेने से आपको कोई नहीं रोक सकता।