
पीसीओएस से समझौता कर रहे हैं? इन चार लाइफ़स्टाइल ट्वीक्स की मदद से इस पर नियंत्रण पाएं
डॉ विशाखा शिवदासानी के अनुसार
कुरकुरी सुनहरी जलेबी से प्यार हो या फिर शरीर की ज़िद्दी मुहांसों को निचोड़ने का मोह, इस के अलावा आजकल ज़्यादातर भारतीय महिलाओं को जो एकजुट करता है, वह है एक चार अक्षरों वाला शब्द – पीसीओएस। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम आजकल इतना आम हो गया है कि यह 14 वर्ष की किशोरियों में भी देखने को मिल रहा है। और फिर भी, इस हॉर्मोनल विकार के साथ बहुत सारे ऐसे सवाल आते हैं, जिनके जवाब नहीं मिलते।
“पीसीओएस वह मेटाबॉलिक स्थिति है, जिससे रिप्रोडक्टिव उम्र वाली 20 प्रतिशत भारतीय महिलाएं प्रभावित हैं,” डॉ विशाखा शिवदासानी, मेडिकल डॉक्टर व लाइफ़स्टाइल और वेट मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, बताती हैं। पीसीओएस महिला के एन्डोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करता है और इसे अनियमित या लंबे समय बाद आने वाले मेन्स्ट्रुअल पीरियड्स, अतिरिक्त बालों का विकास, मुहांसे और मोटापे जैसे लक्षणों से पहचाना जाता है। “हालांकि हम पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि पीसीओएस का असली कारण क्या है, हम जानते हैं कि यह लाइफ़स्टाइल से जुड़ा हुआ है,” डॉ शिवदासानी समझाती हैं। यहाँ तक कि, इंटरनेट, मेडिकल जर्नल्स और अनचाहे सुझावों से मिली जानकारी भी आपको इससे निपटने में कोई ख़ास मदद नहीं करती है।
हमारी बातचीत के दौरान डॉ शिवदासानी ने हमें लाइफ़स्टाइल से जुड़े कुछ आसान बदलाव करने के सुझाव दिए जो पीसीओएस से निपटने में आपकी मदद करेंगे।
इस पीसीओएस ट्रीटमेंट प्लान को अपना कर देखें
वर्कआउट का कोई विकल्प नहीं है

उन सभी लोगों के लिए बुरी ख़बर है, जो दौड़ने जाने की बजाए सोते रहने को ज्यादा महत्व देते हैं – शारीरिक कसरत का कोई विकल्प नहीं है। चूंकि पीसीओएस हमारी सुस्त जीवनशैली से जुड़ी हुई समस्या है, “ऐसी कोई जादुई दवा नहीं है, जिसे आप खा लें और यह छूमंतर हो जाए,” डॉ शिवदासानी कहती हैं। वह पीसीओएस के मरीज़ों को रेसिस्टेंस ट्रेनिंग लेने की सलाह देती हैं।
हर तरह की सामान्य शक्कर से परहेज़ करें
जितना संभव हो शक्कर खाने से परहेज़ करें, और जो शक्कर आप लें वह केवल जटिल कार्बोहाइड्रेट से ही मिलनी चाहिए। “वज़न और इन्सुलिन रेसिस्टेंस कम करने के लिए, जो की दोनों ही पीसीओ कॉम्प्लेक्स का हिस्सा हैं, यह बहुत ज़रूरी है कि आपकी डाइट में से सामान्य शक्कर को हर रूप में हटा दिया जाए। इसमें प्राकृतिक शक्कर, जैसे-शहद, मेपल सिरप और अगेव भी शामिल हैं,” डॉ शिवदासानी कहती हैं। सामान्य शक्कर के विकल्प के रूप में आप स्टीविया या मॉन्क फ्रूट या फिर सब्ज़ियों और फलों में मौजूद शक्कर का सेवन कर सकते हैं।
प्राकृतिक सप्लीमेंट्स का ही इस्तेमाल करें

“इन्सुलिन रेसिस्टेंस को कम करने के लिए आप उन प्राकृतिक सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल कर सकती हैं, जो पीसीओएस से पीड़ित लोगों के लिए ख़ासतौर पर बनाए गए हों। कई बार मैंने देखा है, कि ये सप्लीमेंट्स ऐलोपैथिक दवाइयों से कहीं बेहतर ढंग से काम करते हैं,” डॉ शिवदासानी बताती हैं। वे सीलोन दालचीनी और हल्दी के इस्तेमाल की सलाह देते हुए कहती हैं, “विभिन्न प्रकार की उपलब्ध दालचीनी में से सही का चुनाव करते समय बहुत सावधानी बरतें क्योंकि सीलोन दालचीनी से मदद मिलती है, हालांकि अन्य किस्में कभी-कभी फायदे से ज़्यादा नुकसान कर सकती हैं। यह भी बहुत ज़रूरी है कि सभी सप्लीमेंट्स ऑर्गेनिक हों।”
मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है, जितनी शारीरिक सेहत

डॉ शिवदासानी पीसीओएस से निपटने के लिए एक होलिस्टिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव देती हैं। डाइट, कसरत और मानसिक स्वास्थ्य – ये तीनों ही आपको ठीक करने में मदद करेंगे। “पर्याप्त मात्रा में नींद लेना, सेहतमंद भोजन करना, फ़िट रहना सभी बहुत ज़रूरी है और साथ ही ज़रूरी है तनाव मुक्त लाइफ़स्टाइल।”
यहां देखें: भोजन कैसे आपके शरीर को स्वस्थ कर सकता है
Geplaatst door Tweak India op Maandag 14 oktober 2019