
‘‘मैं एसेक्शुअल हूं और मेरे पति तलाक़ नहीं चाहते हैं’’
पेश है मैरिज डायरीज़, जहाँ हम आधुनिक दंपतियों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों का पता लगाते हैं, और इनसे रूमानी जीवन के सबक ले सकते हैं
जब मैं बड़ी हो रही थी, सेक्स एजुकेशन का कोई कॉन्सेप्ट ही नहीं था। यहां तक कि बायोलॉजी की किताबों में दिए चित्रण खरोंच दिए जाते थे या उन पन्नों को ही फाड़ दिया जाता था। मैं अपने माता-पिता के बहुत क़रीब हूं, लेकिन कभी हमारे बीच सेक्स को लेकर कोई वार्तालाप नहीं हुआ और मुझे कभी इसकी ज़रूरत भी महसूस नहीं हुई। आंकड़ों के अनुसार, केवल 1% जनसंख्या ही एसेक्शुअल के रूप में पहचानी गई है, लेकिन मुझे लगता है कि इनकी संख्या इससे कहीं ज़्यादा है। दरअसल, लोगों को पता ही नहीं है कि एसेक्शुऐलिटी जैसा कुछ होता भी है। मुझे भी इसके बारे में हाल ही में पता चला, जबकि मैं खुद एसेक्शुअल हूं।
जब भी मुझे किसी पर क्रश हुआ, मेरी कल्पना तक में, मैंने कभी भी उसे शारीरिक या सेक्शुअल नज़र से नहीं देखा। जब भी मेरे दोस्त इस बारे में बात करते, मुझे लगता था कि वे सिर्फ बातों को बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे हैं। मेरे लिए तो सेक्स महत्वपूर्ण था ही नहीं। मैं इसके बिना भी किसी को पूरी शिद्दत और गहरी भावनाओं के साथ चाह सकती थी। मैंने जब भी अपनी मां से इस बारे में बात की तो वे हमेशा कहती, कि शादी के बाद सब बदल जाएगा। सब कुछ अपने आप व्यवस्थित हो जाएगा।
बढ़ती उम्र में, पढ़ाई के अलावा मैं दूसरी सांस्कृतिक गतिविधियों में इतनी ज़्यादा व्यस्त रहती थी कि मेरे पास किसी दूसरी चीज़ के लिए समय ही नहीं था। मेरे दोस्त बहुत थे, लड़के-लड़कियां दोनों ही, लेकिन अपने पति से मिलने से पहले कभी कोई रिश्ता नहीं बना था।

ग्रेजुएशन ख़त्म करते ही मेरी शादी हो गई। शादी के तुरंत बाद मैं पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए अमेरिका चली गई और मेरे पति मुंबई में ही थे। हम रोज़ बात करते थे। धीरे-धीरे, मुझे उनसे प्यार होने लगा। हम एक-दूसरे पर ख़ूब भरोसा करने लगे और मैं पागलपन की हद तक उनसे प्यार करने लगी। छह महीने बाद मैं उनसे मिलने भारत लौटी। मैं बहुत उत्साहित थी, लेकिन इस बात को लेकर चिंतित भी थी कि अब हम दोनों के बीच यौन नज़दीकी बढ़ेगी।
मुझे लगा कि मेरा असहज होना सामान्य है, क्योंकि किसी गहरे रिश्ते (मेरे मामले में शादी) में बंधना और सेक्स दोनों ही मेरे लिए बिलकुल नया था। मैं नहीं जानती थी कि कैसी प्रतिक्रिया दूं। मुझे सेक्स में कोई आनंद नहीं मिला, बल्कि, मैं हमेशा चिंतित और डरी हुई सी रहती थी। अंतत:, मैंने अपने दिल की बात कह ही दी। जब मैंने उनसे और समय मांगा तो उन्होंने मुझे सहज करने की कोशिश की। “सब ठीक हो जाएगा। हम धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे,” उन्होंने कहा। “पहले, हम एक-दूसरे को दोस्तों की तरह जानने-समझने का प्रयास करेंगे, सच्चे दोस्तों की तरह, फिर टीनएजर्स की तरह डेट पर जाएंगे और फिर किसी कपल की तरह व्यवहार करेंगे। इसके बाद आगे बढ़ेंगे।”
मेरे पति कभी-भी दबाव बनाने वाली प्रतिक्रिया नहीं करते, उनकी आवाज़ कभी ऊंची नहीं होती। वो हमेशा यह समझने की कोशिश करते हैं कि सामने वाला व्यक्ति क्या कहना चाहता है और फिर उसी के हिसाब से काम करते हैं। मेरे पति में हर वो ख़ूबी है, जिसकी कल्पना मैंने अपने जीवनसाथी के लिए की थी। पर मुझे पता था कि कुछ तो है, जो सही नहीं है और मुझे इसके बारे में बात करनी ही होगी।
जब मैंने उनसे कहा कि मुझे सेक्स में कोई आनंद नहीं मिला, तो वे बिल्कुल नाराज़ या दुखी नहीं हुए। बल्कि, उन्होंने कहा, “तो, हम अब क्या कर सकते हैं? आखिर यह समस्या क्या है और क्या इसका कोई इलाज है?” उन्होंने मेरा पक्ष समझने की कोशिश की। उन्होंने किताबें पढ़ीं, ऑनलाइन रिसर्च किया। हमने इस बारे में खुलकर बात की, यह ध्यान रखते हुए कि हम हेल्दी सेक्स करने की कोशिश करते हैं और देखते हैं कि यह मुझे सुखद लगता है या नहीं (इसके बारे में हमें एक डॉक्टर ने सलाह दी)। लेकिन यदि मुझे अच्छा नहीं लगा तो हम आगे कैसे बढ़ेंगे? इसी तरह की चर्चा के दौरान हमें एहसास हुआ कि और भी तो लोग होंगे, जिन्हें ऐसा महसूस होता होगा, पर शायद उन्हें इसका आभास ही न हो।

हमने यह निष्कर्ष निकाला कि अब किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमें किसी प्रोफ़ेशनल की सलाह लेनी चाहिए। जून के महीने में हमने एक काउंसलर से मदद ली। उन्होंने कहा हमें सेक्सोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। हमारे कई कन्सल्टेशन्स के दौरान, हमने पहली बार ‘एसेक्शुअल’ और ‘एसेक्शुऐलिटी’ शब्द सुने। डॉक्टर ने इसे यूं समझाया- ये ग़लत या अनोखी बात नहीं है; और इसमें किसी की ‘ग़लती’ भी नहीं है।
हम अब भी कन्सल्टेशन्स के लिए जा रहे हैं। हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए कि मैं एसेक्शुअल हूं की नहीं, जाँच-पड़ताल अभी जारी है, पर मुझे पूरी तरह से मालूम हो गया है कि मैं कौन हूं।
जब मैंने एसेक्शुअल होने के बारे में पढ़ना शुरू किया तो मुझे जूली सॉन्ड्रा डेकर की एक किताब मिली: द इन्विज़बल ओरिएंटेशन: एन इंट्रोडक्शन टू एसेक्शुऐलिटी । इसे पढ़कर मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं अपने ही जीवन के बारे में पढ़ रही हूं। मुझे यह पढ़कर बेहद आश्चर्य हुआ कि ऐसा महसूस करना कितना आम है। फिर मैंने अपने पति से इसे पढ़ने को कहा।
मुझे आज भी कभी-कभी बहुत ग्लानि होती है, इसलिए नहीं कि मैं एसेक्शुअल होने पर शर्मिंदा हूं, बल्कि इसलिए कि यदि मुझे इस बारे में पहले पता होता तो मैंने शादी ही नहीं की होती। मैं नहीं चाहती कि मेरे पति मेरे साथ बंधा हुआ सा महसूस करें, उनकी ख़ुशियां क़ुर्बान हो जाएं। मैंने उनसे कहा कि वे किसी और से शादी कर लें, क्योंकि मैं उन्हें यह ख़ुशी कभी नहीं दे पाऊंगी।

पर वो तलाक़ के बिल्कुल ख़िलाफ़ थे। “सेक्स और प्यार दो अलग-अलग चीज़ें हो सकती हैं, तुम इन्हें मिक्स मत करो। मुझे उससे कहीं ज़्यादा मिला है, जिसका मैं हक़दार हूं, तुम्हारे जैसी पत्नी। केवल एक चीज़ के लिए मैं हमारी शादी या प्यार को टूटने नहीं दूंगा,” उन्होंने इस बात को इतना छोटा बना दिया, जैसे ये कोई मुद्दा ही न हो, ताकि मैं सामान्य और सहज महसूस करूं।
जब मैंने उन्हें सलाह दी कि उन्हें हमारे रिश्ते के बाहर कहीं अपनी यौन-संतुष्टि तलाशनी चाहिए तो वो यह कह कर हंसने लगे, कि मेरी ऐसी सोच के कारण ही वे मुझे बहुत प्यार करते हैं, और यदि कोई बिना प्यार के सेक्स करने पर राज़ी हो सकता है तो बिना सेक्स के प्यार करना भी तो संभव है। और वे यह बात साबित कर देंगे।
मेरे पति और मैं इस दुनिया की किसी भी बात पर चर्चा कर सकते हैं। हालांकि मैंने लाखों बार सोचा कि मैं यह रिश्ता तोड़ दूं, पर वो कहते हैं कि तलाक़ उन्हें ज़्यादा कष्ट पहुंचाएगा, ऐसे में मैं उनसे तर्क-वितर्क भी नहीं कर पाती हूं।
बच्चे? मैं और मेरे पति इसके बारे में अक्सर बात करते हैं। हमने अपने डॉक्टर से भी इस बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि सेक्स के अलावा भी बच्चे पाने के दूसरे रास्ते हैं, लेकिन वह निर्णय बहुत ही सोच-समझकर लिए जाने की ज़रूरत होती है। अत: हमने तय किया है कि हम कुछ और समय तक कोशिश करेंगे और उसके बाद ही गर्भधारण के किसी अन्य तरीक़े के बारे में सोचेंगे।
मैं हमेशा से ही बच्चे चाहती थी।
हमने तो बच्चों के नाम भी सोच रखे हैं।
सारा हुसैन द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर। कुछ विवरणों को बदला गया है, ताकि यह जिनकी कहानी है उनकी पहचान को सुरक्षित रखा जा सके।
देखिए: सेक्शुऐलिटी के बारे में अपने बच्चों से कैसे बात करें