
"तलाक के बाद मेरी मदर-इन-लॉ ने मेरे साथ रहने का फैसला लिया"
लॉकडाउन डायरीज़ के इस एडिशन में, एक अप्रत्याशित जोड़ी हमें उनके अनोखे रिश्ते की एक झलक देती है
इंडियन टीवी इंडस्ट्री का आधार ही हमारे सास-बहू की दकियानूसी कहानियां हैं। लेकिन शालिनी चोपड़ा की कहानी इतनी अनोखी है, कि अगर नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही हो तो आप इस पर विश्वास नहीं कर सकेंगे। जब चोपड़ा के पति ने उन्हें किसी दूसरी औरत के लिए छोड़ दिया, वह पूरी तरह से टूट गई थी। एक खुशहाल मैरिज का उनका भ्रम चकनाचूर हो गया था और उन्हें लगा था कि इसके बाद उनका और उनकी मदर-इन-लॉ का रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
शादी या किसी भी रिश्ते के टूटने के बाद ज़्यादातर वे रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं जो आपने अपने एक्स-हसबैंड के फैमिली मेंबर्स के साथ बनाए थे।
बहुत छोटी उम्र में अपने पेरेंट्स को एक दुखद एक्सीडेंट में खो देने के बाद, वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में कम्फर्ट ढूंढती रहीं जो उनका ध्यान रख रहे थे। वे कहती हैं, “जब 21 साल की उम्र में मेरी शादी हुई, तब जाकर मैंने ये जाना कि आखिर ‘मां का प्यार’ क्या होता है।”
दोनों ही एक दूसरे को बेहद प्यार करती हैं। उनकी मदर-इन-लॉ, मधु घोसले* कहती हैं कि उन्हें हमेशा से एक बेटी की चाह थी। अपने बेटे के पैदा होने के बाद, वे और उनके पति दूसरा बच्चा चाहते थे लेकिन फाइनेंशियल जिम्मेदारियां आड़े आ गयीं।

घोसले कहती हैं, “शालिनी ने हमारे जीवन में मानो एक पटाखे के जैसे कदम रखा। वह हंसमुख, ऊर्जावान और बेहद प्यारी थी। मेरे पति के गुजर जाने के बाद जब मैं उनके साथ जाकर रहने लगी, तब वह मेरी हिम्मत बनी और मेरी देखभाल करती रही।”
शादी के 24 साल बाद, चोपड़ा ने तलाक के लिए फाइल किया जब पिछले साल उनके पति ने उन्हें सबके सामने घर छोड़कर चले जाने को कहा। वह उस जीवन को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गईं जिसे उन्होंने इतने अरमानों से सजाया था और साथ ही उस मां को भी जो उन्हें बड़ी मुश्किल से दोबारा मिली थी।
लॉकडाउन की घोषणा होते ही, उनकी मदर-इन-लॉ ने उन्हें यह पूछने के लिए फ़ोन किया कि क्या वे उनके साथ उनके घर में शिफ्ट हो सकती हैं। और आधे घंटे बाद ही, चोपड़ा अपने पुराने घर के बाहर खड़ी थी। तबसे 44 साल और 71 साल की ये दोनों महिलाएं एक साथ रह रही हैं, और उनके लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की और कोई बात नहीं है।
वे अपने अनुभव यहां शेयर कर रही हैं:
शालिनी चोपड़ा
मेरे और मेरी मदर-इन-लॉ के इस अटूट रिश्ते को लेकर मेरी फ्रेंड्स हमेशा जलती हैं। वे पूछती रहती हैं ‘आखिर तुम दोनों इतने अच्छे से एकसाथ कैसे रह लेती हो?’ मेरा जवाब होता है, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’।
मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से एक हूं जिसकी अपनी मदर-इन-लॉ से आजतक कोई लड़ाई नहीं हुई। शादी के बाद, मेरे एक्स-हसबैंड और मेरा अपना घर था – शायद वो इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। पर वो हमेशा से ही मुझे बहुत प्यार और अपनापन देती आई हैं। जब भी उन्हें पता लगता कि मेरे और मेरे एक्स-हसबैंड के बीच कोई कहा-सुनी हुई, वे हमेशा फ़ोन करके मुझसे पूछती थी कि क्या मैं ठीक हूं।
एक दूसरे के जीवन में जो खालीपन था, हमने उसे भर दिया। छोटी उम्र में अपने माता-पिता को खो देने के बाद, मुझे हमेशा से उस तरह के रिश्ते की एक लालसा थी। वे हमेशा कहती थी कि मैं उनकी वो बेटी हूं जिसकी चाह उन्हें सालों से थी। हमारी शादी के पांच साल बाद, मेरे फादर-इन-लॉ गुजर गए। हम नहीं चाहते थे कि वो अकेली रहें, और हमने उन्हें आपने साथ शिफ्ट कर लिया।
कुछ लोग तो इस विचार की कल्पना से भी कांपने लगते है कि अचानक उनकी मदर-इन-लॉ उनके साथ आकर रहने लग जाएं तो क्या हो, लेकिन मेरी ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। हम दोनों बहुत खूबसूरती से एक साथ रह रहे थे। मेरे बेटे की परवरिश में वे मेरी मदद करती, हम साथ में खाना बनाते, शाम की चाय पर ढेरो गुफ़्तगू करते, यहां तक कि वे मेरे बालों में तेल मालिश भी करती थी। मैं उस छोटी बच्ची के जैसा महसूस करती थी जो अपनी मां के आंचल में सुरक्षित थी (हालांकि मैं खुद एक मां बन चुकी थी)।

काम की वजह से मेरे एक्स-हसबैंड बहुत ट्रेवल करते रहते थे। जिस रात उन्होंने हमें यह बताने के लिए ‘फैमिली मीटिंग’ बुलाई कि उन्हें कोई और मिल गई है और वह यह रिश्ता खत्म कर रहे हैं, मेरी मदर-इन-लॉ ने तुरंत मेरा हाथ थाम लिया।
उनके और उनके बेटे के बीच बहुत चीखना-चिल्लाना हुआ, पर मैं जानती थी कि मुझे उस रात ही घर छोड़ कर जाना है। बैग पैक करते समय, वह मेरे साथ थी और जब मैंने घर के बाहर कदम रखा, उनका रो-रोकर बुरा हाल था। अपने बेटे की वजह से नहीं, पर इसलिए कि वह मुझे खो रही थी।
हालांकि, घर छोड़ने के बाद हम दोनों समय-समय पर एक दूसरे से फ़ोन पर बातें करते रहते थे, लेकिन मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे मैंने एक बार फिर अपनी मां को खो दिया। वे भी अंदर से टूटने लगी थी और एक दिन उन्होंने कहा, ‘मैं यहां नहीं रहना चाहती, मुझे आकर ले जा’।
बस, मैंने कार उठाई और उनके पास पहुंच गई। इस बारे में वे मेरे एक्स-हसबैंड से पहले ही बात कर चुकी थी और थोड़ी बहस के बाद, वह मान गए (शायद, उनकी नई पार्टनर के साथ उनका कोई मनमुटाव भी चल रहा था)।
जब हम मेरे घर वापस पहुंचे, तो हम पांच मिनट तक, बिना कुछ बोले, एक-दूसरे को गले लगाकर खड़े रहे। मुझे लगा ही नहीं जैसे कि कुछ भी बदला है और इतना समय निकल गया है।

चूंकि मेरा बेटा इंडिया से बाहर रहता है, इस लॉकडाउन में मुझे अकेले रहना पड़ता, पर अब मां मेरे साथ हैं। हम दोनों एक दूसरे का ख्याल रखते हैं, वो जितना हो सके, घर के कामों में मेरा हाथ बटाती हैं। भले ही ज़्यादातर भारी काम मेरे ही जिम्मे हैं, लेकिन मैं खुश हूं कि इस समय मेरे पास किसी का साथ है, खासकर उनका।
कई लोग कहते हैं, “ओह, वह सिर्फ तुमसे अपनी सेवा कराने और काम निकलवाने के लिए तुम्हारे पास आई हैं, जिसे बेटे के घर में करने को कोई तैयार नहीं होगा।” वे लोग हमारे इस रिश्ते को कभी नहीं समझ सकते, और इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
हम साथ में टीवी देखते हैं, एक दूसरे को कहानियां सुनाते हैं और कभी-कभी जब बहुत ज़्यादा भावनाओं में बहने लगते हैं तो थोड़ी वाइन के साथ डांस भी कर लेते हैं। मैं भले ही अपनी खुशहाल शादी को लेकर भ्रम में जी रही थी लेकिन अपनी मदर-इन-लॉ के साथ मेरा रिश्ता बिलकुल सच्चा है और यह ताउम्र मेरा साथ देगा।
मधु घोसले
लोग सोचते हैं, ‘कैसी मां है, कितना अजीब है कि अपने बेटे को छोड़कर, उसकी एक्स-वाइफ के साथ रहती है’। पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं जानती हूं कि किसे मेरी ज़रुरत है, कौन मुझे प्यार करता है और मैं कहां खुश रहूंगी। वह मेरी बहू नहीं, मेरी बेटी है। उनके अलग हो जाने के बाद भी मैंने खुद अपनी बहू के साथ रहने का फैसला लिया है।
जब मुझे ज़रुरत थी, उसने हमेशा मेरा साथ दिया और मेरा ख्याल रखा। वो हमेशा ये कहती है कि हम दोनों बहुत अच्छे से साथ में रहते हैं, लेकिन यह झूठ है। हमने भी अपने हिस्से की लड़ाइयां देखी हैं। सब माओं और बेटियों में झगड़े होते हैं लेकिन फैमिली तो फैमिली है और हम अपने झगड़े मिलकर सुलझा लेते हैं।
अपने बेटे के घर में रहना या शालिनी के साथ रहना, मेरे लिए इसमें से एक का चयन करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं था। एक मां होने के नाते, मैं अपने बेटे को हमेशा प्यार करती रहूंगी लेकिन उसके फैसलों से मैं सहमत नहीं हूं और उनमें मैं उसका साथ नहीं दे सकती।
हम अभी भी संपर्क में रहते हैं, वह मुझे फ़ोन करता है और मेरी खबर लेता रहता है। वह भी जानता है कि मैं जहां रह रही हूं, वहां मैं बहुत खुश हूं।

हर सुबह, हम साथ में चाय पीते हैं और वह मुझे व्हाट्सप्प के जोक्स सुनती है। रमी खेलते हुए और राज कपूर की फ़िल्में देखते हुए, हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताते हैं। मैं उसकी घर के कामों में मदद करने की पूरी कोशिश करती हूं, पर इस उम्र और आर्थराइटिस के कारण, ज़्यादा कुछ नहीं कर पाती।
तो मेरी कोशिश रहती है कि मैं किसी और तरह से इसकी भरपाई करूं, जैसे मैं उसे बुनाई सिखाने में लगी हूं।
शालिनी के साथ रहते हुए, आखिरकार मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं फिर से अपने ही घर में लौट आई हूं। उसमें मुझे एक दोस्त और एक बेटी, दोनों ही नज़र आते हैं और हम दोनों साथ में, अच्छी सेहत और ढेर सारी खुशियों के साथ, इस सफर को आसानी से तय कर लेंगे। बस वो मेरी एक बात मान ले और सिगरेट पीना थोड़ा कम कर दे।
*अनुरोध पर नाम बदल दिए गए हैं