
विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 17 सर्वाइवल टिप्स
क्योंकि अब आप अडल्ट हो चुके हैं
लाल रंग की लेम्बोर्गिनी में कैम्पस में घूमना, अपने बड़े भाई के आलीशान घर में मुफ़्त में रहना और और यहीं अपने बचपन का प्यार पा लेना। फ़िल्म कभी ख़ुशी कभी ग़म ने तो बच्चों के लिए विदेश में जाकर पढ़ना, जैसे एक रंग-बिरंगा सपना ही बना दिया। लेकिन असल ज़िन्दगी में, विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए टिप्स में शामिल होने वाली कुछ अहम चीज़ें हैं – पैसे बचाने के लिए अपनी क्लासेस तक चल के जाना, बिना मन के भी खाना पकाना सीखना और वॉशिंग मशीन में कपड़े धोते हुए आंखों में आंसू लिए अपनी मां को फ़ोन करना।
फिर भी, लोग विदेश में पढ़ने के अपने इस सपने को बहुत गंभीरता से लेते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल वर्ष 2019 में, 7.5 लाख इंडियन स्टूडेंट्स विदेशी यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ने के लिए गए थे।
हम जैसे आम लोग तो अपने इस ख़्वाब को पूरा करने के लिए छोटी-छोटी स्कॉलरशिप्स और बड़े-बड़े स्टूडेंट लोन का सहारा लेते हैं। यह असली संघर्ष है। शुरू में, आप अपनी मां के अजीबोगरीब नियमों और पिता के आते ही कर्फ्यू लग जाने वाले घर को टाटा-बाय बाय कहने के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं।
हर चीज़ तब तक बहुत अच्छी लगती है, जब तक आप अपने नए अपार्टमेंट में पहुंचते हैं और वहां आपको महसूस होता है कि तीसरी मंज़िल तक अपना भारी-भरकम सूटकेस पहुंचाने के लिए न तो पापा हैं और ना ही कोई वॉचमैन भइया ।
देश के बाहर रहते हुए आपकी ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए, हमने कुछ ऐसे स्टूडेंट्स से बात की, जो इन तकलीफों से गुज़र चुके हैं। उनसे बात करके हमने विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए ये सर्वाइवल गाइड बनाई है।

विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
यूं हों सेटल:
एक विदेशी जगह, जहां आप किसी को नहीं जानतीं, और जहां पहुंचते ही पहला पूरा सप्ताह अमूमन बैंक में गुज़रता है, ऐसे में बैंक के स्टाफ का आपका बेस्ट फ्रेंड बन जाना तो जायज़ है। अपने पैसों और क्रेडिट कार्ड पॉइंट्स का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, उनका दिमाग खाएं।
इसके साथ-साथ, पता लगाएं कि वहां का हेल्थकेयर सिस्टम कैसे काम करता है, आपको कौनसे हेल्थ इन्श्योरेंस मिल सकते हैं, आपके इन्श्योरेंस नेटवर्क में कौनसे डॉक्टर्स हैं और आप उनकी सेवाएं कैसे ले सकते हैं।
थ्रिफ़्ट स्टोर्स और गैरेज सेल्स बहुत भरोसेमंद होती हैं, बस आपमें इतना पेशेंस होना चाहिए कि आप इसमें छानबीन करके अपने काम की चीज़े ढूंढ सकें। लेकिन यहां से मैट्रेस या बेडिंग कभी न लें, क्योंकि खटमल एक ऐसा सच हैं, जो आपको बेघर होने पर भी मजबूर कर सकते हैं।
“कामों के लिए दिन तय कर लें, जैसे ग्रॉसरी किस दिन लानी है, कपड़े किस दिन धोने हैं। वेस्टर्न एजुकेशन – ज़्यादातर सेल्फ लर्निंग पर आधारित होती है और हर रोज़ क्लास अटेंड करना ज़रूरी नहीं होता – और ये बात आपको ना चाहते हुए भी अकेलेपन की ओर धकेल सकती है,” – कशिश परपिआनी, 27 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक, यूके)।
“अपना स्टूडेंट कार्ड हमेशा साथ में रखें और पब्स, क्लब्स, स्टोर्स व ट्रांस्पोर्टेशन में स्टूडेंट डिस्काउंट लेने का ध्यान रखें,” – अंतरा सेनगुप्ता, 29 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लास्गो, स्कॉटलैंड)।
“विदेशों में हर काम को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। पहले ही महीने में जो भी स्टूडेंट जॉब मिले, फटाफट ले लें, फिर भले ही वह स्टारबक्स में टॉइलेट साफ़ करने का काम ही क्यों न हो। इससे पैसे का फ्लो बना रहेगा। साथ-साथ आप दूसरा काम ढूंढ़ने में लगी रहें,” – रचयिता कामत, 32 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉशिंगटन, यूएसए)।
रास्तों की बातें:
यदि स्टूडेंट्स भारत वापस नहीं लौटना चाहते, तो उसका एक सबसे बड़ा कारण है, विदेशों का तगड़ा पब्लिक ट्रांस्पोर्ट सिस्टम। वहां पर क़दम रखने के सप्ताहभर के अंदर ही, एक घरेलू-सा नाजुक स्टूडेंट भी एक जिम जाने वाले स्टूडेंट में बदल जाता है।
और जिम से, यहां मेरा मतलब मशीनों से नहीं है।
विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप है कि वे जल्द से जल्द वहां के पब्लिक ट्रांस्पोर्ट सिस्टम से रूबरू हो लें।
सेनगुप्ता कहती हैं, “एक जोड़ी बढ़िया रनिंग/वॉकिंग शूज़ ख़रीदें। कम पैसों में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने (और सेहतमंद रहने) का सबसे अच्छा तरीका वॉकिंग है।”
“अपने रेफ्रिजरेटर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट मैप चिपका लें और अपने फ़ोन पर ट्रांज़िट ऐप्स डाउनलोड करें। इससे नई अंजान जगह पर जीना थोड़ा आसान हो जाएगा,” – शेरोन अरान्हा, 27 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ कैलेफ़ोर्निया, यूएसए)।
“अपनी यूनिवर्सिटी के क्लब्स और सोसाइटीज़ में शामिल हो जाएं। वे अक्सर आसपास की अच्छी जगहों और म्यूज़ियम वगैरह की ट्रिप्स आयोजित करते रहते हैं। और ये इतने सस्ते होते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते,” – निशिथ उन्नीकृष्णन, 27 साल (मैक्गिल यूनिवर्सिटी, कैनेडा)।
पेट पूजा का सवाल:
जब आप अपने साथ में ले के गए 10 किलो दाल और मैगी के सभी पैकेट्स का इस्तेमाल कर चुके होंगे, तो महंगे इंडियन स्टोर्स का रुख़ किए बिना आपको घर का खाना नसीब नहीं होने वाला।
काश! समय रहते मां से खाना बनाना सीख लिया होता, यह सोच-सोच कर ख़ुद को कोसने के बजाय, मरते क्या न करते, इस खाना पकाने जैसे असंभव से लगने वाले काम को खुद ही करना सीख लें। गर्मियों में एक दिन, जब मैं लंच में एक टब आइसक्रीम खाने में लगी थी, मेरी कज़न ने सलाह दी कि चल, आलुओं को तल कर आलू भाजा बना लेते हैं।
बस फिर क्या था, मैंने ख़ुद को तेल के छींटों से बचाने के लिए विंडशीटर पहना और मिशन आलू भाजा पूरा किया। इससे घर की याद आने में थोड़ी-सी तो कमी हुई और मुझे कुकिंग शुरू करने की हिम्मत भी मिली।
जब आप विदेश में पढ़ रहे हों, तो कुकिंग स्किल्स बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
जब बात ग्रॉसरी शॉपिंग की हो, तो विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक बहुत बढ़िया टिप ये है: जब आप देखें कि आपके विदेशी दोस्त सप्ताहभर पुराने केले और कटी हुई सब्ज़ियों को अनदेखा कर रहे हैं, आप इन्हें अपनी कार्ट में शामिल कर लीजिए।
हमारे प्यारे होपलेस शेफ़्स, आप माने या न मानें, हमारी इम्यूनिटी हमारे इन विदेशी दोस्तों की इम्यूनिटी से कहीं ज़्यादा स्ट्रांग होती है। और इसका श्रेय जाता है, रोड साइड लगे ठेलों पर मिलने वाली चाट और ऑरेंज फ्राइड राइस को, जो हम सभी ने बड़े चाव से खाया हैं।
“हमेशा शाम को साढ़े छह बजे के बाद ख़रीददारी करें। आपको रिडक्शन सेक्शन में काफ़ी कुछ अच्छा और सस्ता मिल जाएगा, लेकिन अपना एक वीकली मेन्यू फिक्स कर लें,” – ग्वेन डीसूज़ा, 25 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ द वेस्ट ऑफ़ इंग्लैंड, ब्रिस्टल, यूके)।
“अपने रूममेट्स के साथ मिलकर कुकिंग शुरू करें, ताकि इसमें होने वाले ख़र्च आधे हो जाएं और दोनों को एक-दूसरे का साथ भी मिल जाए,” – विल्सी विलियम, 31 साल (यूनिवर्सिटी ऑफ़ नोवा स्कॉटिया, कैनेडा)।
उन्नीकृष्णन कहते हैं, “ढेर सारा आलू और प्याज़ एक साथ में ख़रीद लें, ठंडे मौसम में यह ख़राब नहीं होता है।”
“अपने आसपास किसी इंडियन का स्टोर पता करें और अपनी पसंदीदा चीज़ें स्टॉक कर लें। ये चीज़ें दिवाली या दूसरे त्यौहारो के मौक़ों पर आपका साथ निभाएंगी, जब आपको घर के खाने की सबसे ज़्यादा याद आएगी,” – विशाल पॉल, 25 साल (मोनाश यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया)।
घर वहां है, जहां आपका दिल है
धीरे-धीरे, आप अपने करीबी दोस्तों के साथ ही अपनी फैमिली बना लेंगे, लेकिन फिर भी घर से दूर रहने का दर्द रह-रहकर उभरेगा, ख़ासतौर पर जब कोई फ़ैमिली फंक्शन हो।
स्काइप और फ़ेसटाइम से केवल बातचीत ही तो की जा सकती है।
बाकी सब तो ठीक है, लेकिन अपने परिजनों को खोने के लिए कोई कैसे तैयार रह सकता है? मेरी इंटर्नशिप के आख़िरी सप्ताह में मेरी नानी नहीं रहीं, और मैं किसी भी तरह उनके अंतिम दर्शनों के लिए घर नहीं जा सकती थी।
विदेश में पढ़ने के दौरान, ये मेरा इकलौता बेहद दर्दभरा अनुभव था।

तो, यदि आप उन लोगों में से हैं, जो पुरानी यादों से जुड़ी चीज़ों को इक्कठा करते हैं, तो यह आदत बरक़रार रखें। अपने साथ ऐसी चीज़ें ले कर जाएं, जो आपके जीवन में मायने रखती हों। ये विदेश के सर्द मौसम में आपको किसी रज़ाई से भी ज़्यादा गरमाहट देने का काम करेंगी।
विलियम बताते हैं, “विदेशों में ठंड बहुत तकलीफ़देह और उदासीन होती है। इस मौसम में सर्वाइव करने के लिए आपको अच्छे दोस्तों की ज़रूरत होगी।”
“अपने क़रीबी दोस्तों से हर 15 दिन में मिलते रहें और रिश्तों को तरोताज़ा करते रहें। ये दोस्त ही आपका परिवार बन जाएंगे और यह मेलजोल आपको ख़ुश और स्वस्थ बनें रहने में मदद करेगा,” – अनिशा नायर (ऑस्ट्रेलियन पैसेफ़िक कॉलेज, ऑस्ट्रेलिया)।