
क्या इस लॉकडाउन में बैंक लूटे बिना अपने फाइनेंस में सुधार कर पाना संभव है?
एक फाइनेंशियल एडवाइज़र वास्तविक जीवन के पांच अनुभवों से प्रेरणा लेती हैं
कहां कुछ समय पहले तक आप आलीशान होटलों के आरामदायक बिस्तरों में सुस्ताने का मजा ले रहे थे और कहां इन दिनों बिना एयर कंडीशनर के सोने की नौबत आ गई है, क्योंकि “बिजली का बिल देखा है?”, कोविड -19 ने अरबपति बनने की आपकी योजनाओं को एक करारा झटका दिया है। यहां तक कि एक्सपर्ट्स भी, लॉकडाउन के दौरान फाइनेंसस को मैनेज करने के लिए, किसी प्रकार के जादुई समाधान की पेशकश करने में संकोच कर रहे हैं, क्योंकि भविष्य में क्या होने वाला है इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं है।

फाइनेंशियल फर्म ‘द मनी मैनेजर्स’ की को-फाउंडर और सीईओ, बिनोली डोडीवाला भी चेतावनी दे रही हैं कि “एक बार जब कंपनियां वापस सामान्य रूप से काम करने लगेंगी, तो उन्हें लागत भारी पड़ने लगेगी। वे टीमों को छोटा करने की कोशिश कर सकती हैं, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान उन्हें यह समझ आ गया है कि वे किन डेसिग्नेशंस के बिना भी काम चला सकते हैं।”
अब जब हमें कोविड -19 की एक और लहर के लिए तैयार रहना है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इस आने वाले कठिन समय से गुजरने के लिए लॉकडाउन के दौरान फाइनेंसस को अच्छे से मैनेज करने के लिए तैयार रहें।
एक इमरजेंसी फंड बनाएं
एक इमरजेंसी फंड बनाने का मतलब है कि कठिन समय के लिए थोड़ा पैसा बचा कर अलग रखा जाए।
यह मानव स्वभाव है कि किसी संकट के गुजर जाने के बाद हम फिर से अपने पुराने खर्च करने के तरीकों पर लौट जाते हैं। लेकिन इस पैंडेमिक के बाद, आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, एक इमरजेंसी फंड का निर्माण करना जो 6 से 12 महीने तक के लिए पर्याप्त हो।

डोडीवाला सलाह देती हैं, “प्रैक्टिकली देखा जाए, तो यह आसान नहीं है। पैसा जमा करने को प्राथमिकता मानते हुए, हमें धीरे-धीरे थोड़ा पैसा निकालकर अलग रखना शुरू कर देना चाहिए। लक्जरी आइटमों पर बेफिजूल खर्च करना कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।”
ऐसे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ जैसे बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉज़िट या लिक्विड म्यूचुअल फंड में छोटी मात्रा में निवेश करें जो मार्किट में उतार-चढ़ाव से प्रभावित ना हो।
हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें
बहुत से लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं, और उनमें से अधिकांश अपनी कंपनी की इंश्योरेंस प्लान्स के तहत कवर किए गए थे, जिसका मतलब यह है कि फिलहाल अब उनके पास कोई हेल्थ कवर नहीं है।
ऐसी अनपेक्षित परिस्थितियों में, सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि आपके पास पहले से ही जो कुछ भी है उसे सुरक्षित रखें, और फिर अपने धन को बढ़ाने के बारे में सोचें।

डोडीवाला बताती हैं, “यदि आपके पास कोई इंश्योरेंस या हेल्थ कवर नहीं है, तो इमरजेंसी में, अपने बिलों का भुगतान करने के लिए आपको अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट तोड़ने, स्टॉक बेचने या यहां तक कि उधार लेने की भी ज़रुरत पड़ सकती है। लेकिन अगर आपके पास इंश्योरेंस कवरेज है, तो आपकी पिछले कई वर्षों में बनाई गई अन्य संपत्तियां सुरक्षित रहेंगी।”
एक वसीयत बनाएं
यह भले ही आपकी तत्काल फाइनेंशियल हेल्थ में मदद नहीं करेगी, लेकिन एक वसीयत बनाने के लिए, आपको अपना सारा फाइनेंशियल डेटा इकट्ठा करने की आवश्यकता होती है।
आपके जाने के बाद, ना केवल यह आपकी वेल्थ के विडिस्ट्रीब्यूशन को बहुत आसान बनाता है, बल्कि इसे तैयार करने में लगी मेहनत से आपको आपके फाइनेंस की पूरी जानकारी हो जाती है।
यह आपको एक अच्छी तरह से सोचा-समझा इंवेस्टमेंट प्लान बनाने में मदद करेगी। और यदि आपको इंवेस्टमेंट के बारे में बहुत समझ नहीं है तो प्रोफेशनल की मदद लें।
अपने स्किल को बेहतर बनाएं और टेक्नोलॉजी को अपनाएं
डोडीवाला कहती हैं, “आज, जब लॉकडाउन के दौरान फाइनेंसस मैनेज करने के लिए कंपनियां कटौती कर रही हैं, आपके क्षेत्र में अतिरिक्त स्किल्स आपकी सबसे बड़ी संपत्ति हैं, और क्योंकि सब कुछ डिजिटल हो रहा है, टेक्नोलॉजी की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे आपकी नौकरी को बनाए रखने या नए अवसरों को प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाएगी, जिससे आपकी फाइनेंशियल हेल्थ सुरक्षित रहेगी।”
सामान्य चिंताओं के अलावा, हमारी ये एक्सपर्ट आपके लाइफस्टाइल के अनुकूल भी सलाह प्रदान करती हैं।
एक ग्रेजुएट जो इस समय जॉब मार्किट में कदम रखने वाला है
आपको ज़ूम ग्रैजुएशन पार्टी के निमंत्रण नहीं मिलने का एक बहुत बड़ा कारण यह है – हाल ही में स्वतंत्र हुए ये नौजवान जश्न मनाने के मूड में ही नहीं हैं। इसका पूरा श्रेय इस पैंडेमिक को जाता है, कई लोग तो नौकरी के अवसरों में कमी होने के कारण अपने घरों में ही फंसे बैठे हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी कर रही प्रेरणा मुंद्रा का प्लान है “मिल रहे अलाउंस का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग करना और अपनी बचत को बढ़ाना”।
डोडीवाला की सलाह है, “बैंक अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉज़िट जैसे लिक्विड फंड्स शुरुआत में इंवेस्ट करने का एक अच्छा तरीका है, जो आपको आवश्यकता पड़ने पर पैसा निकालने की अनुमति देते हैं। जब किसी व्यक्ति को नौकरी मिल जाती है और वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो जाता है, तो वह इसे इमरजेंसी फंड में बदल सकता है।”
जब तक आपके पास एक नियमित कैश या नकदी का जरिया नहीं है, तब तक किसी महत्वाकांक्षी योजना के बजाय सुरक्षित इंवेस्टमेंट का चयन करें।
एक पिता जो इस पैंडेमिक में अपने पहले बच्चे का स्वागत कर रहा है
लॉकडाउन में जिंदगी बिताना एक बेहद अजीबोगरीब सा अनुभव है, लेकिन क्या हो यदि इस दौरान आप एक पैरेंट में तब्दील हो जाएं?
युवराज कंडालकर इस समय बिलकुल इसी परिस्थिति का अनुभव कर रहे हैं।
वे बताते हैं, “मेरा बच्चा लॉकडाउन से लगभग 10 दिन पहले पैदा हुआ था, इसलिए हमने अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग पहले से ही कर रखी थी। लेकिन इस पैंडेमिक की अनिश्चितता के कारण, अपने बच्चे को एकमात्र प्राथमिकता देते हुए हमारे दूसरे खर्चे बिलकुल अस्त-व्यस्त हो गए हैं।”
खंडालकर कहते हैं, “मैंने एक अतिरिक्त कदम उठाते हुए, अपने परिवार को कोविड -19 के दौरान कवर करने के लिए इंश्योरेंस में इंवेस्ट किया।”
इस दौरान एक बड़ी वास्तविकता का सामना उन्हें करना पड़ा – लिक्विडिटी का महत्व। उन्होंने बताया, “चूंकि हमारा बच्चा अभी बहुत छोटा है, हमने अभी तक उसकी एजुकेशन के लिए पैसा बचाना शुरू नहीं किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंश्योरेंस और कवरेज के साथ-साथ, आपके खाते में भी कुछ पैसा होना चाहिए जिसे आप तुरंत ज़रुरत पड़ने पर काम में ले सकें, बजाय इसके कि सारा पैसा स्टॉक मार्केट में डाल दें, जिसे आप कुछ वर्षों तक छू भी नहीं सकते हैं।”
एक प्रोफेशनल जिसने लॉकडाउन से पहले ही नौकरी छोड़ी थी
एक कॉर्पोरेट वकील के कठिन लाइफस्टाइल का सामना करने के बाद, एम पारेख ने दक्षिण भारत की यात्रा करने के लिए फरवरी में अपनी नौकरी छोड़ दी थी। उसे कहां पता था कि अगले कुछ हफ़्तों में किराने की दुकान तक का सफर भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
अब, पारेख के पिता ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। “आजकल हमारी शामें एसेंशियल सर्विसेस से संबंधित स्टार्ट-अप आइडियाज पर चर्चा करने में ही बीत जाती हैं। भविष्य में कभी ऐसी परिस्थिति का दोबारा सामना करने के लिए, यही सबसे सुरक्षित तरीका लगने लगा है।”
डोडीवाला हमें याद दिलाती हुए कहती हैं कि बिना जोखिम उठाए हम अपने फाइनेंसस नहीं बढ़ा सकते, “यह एक सच्चाई है जिसे सभी को स्वीकार करने की आवश्यकता है। यदि आप जोखिम नहीं उठा रहे हैं, ऐसे में आप अपने धन का संरक्षण तो कर रहे हैं, लेकिन इसे बढ़ा नहीं रहे हैं।”
और कम जोखिम वाले ऑप्शन अपनाने का मतलब हो सकता है कि आप ज़्यादा लंबे समय तक इस बढ़ती महंगाई का सामना नहीं कर सकेंगें। इसे साफ शब्दों में कहें, तो आपके बैंक अकाउंट में धनराशि तो उतनी ही बनी रहेगी, लेकिन वस्तुओं की कीमतें बढ़ती रहेंगी।
वह बताती हैं, “म्यूचुअल फंड में इंवेस्ट करके एक बीच का रास्ता निकालें, क्योंकि वे किसी एक कमोडिटी की बजाय आपके पैसे को कई पूलों में डालकर आपके इंवेस्टमेंट में विविधता लाते हैं। इससे पैसा खोने का जोखिम कम हो जाता है। एक अन्य सुरक्षित ऑप्शन है कि आप हर महीने थोड़ा पैसा सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में डालें।”
एक छोटा व्यवसायी जो इस सकंट से उबरने की कोशिश में लगा है
कुछ लोगों के लिए उनका छोटा सा व्यवसाय बहुत हद तक उनके अपने बच्चे की तरह होता है – वे इसके पीछे अपनी रातों की नींद लुटा देते हैं, इसे आगे बढ़ाने में अपना पूरा जोर लगा देते हैं, और ना जाने कितना कैफीन पी जाते हैं।
अपने पांच साल पुराने ज्वैलरी ब्रांड ‘देवी’ को लॉकडाउन से बचाने के लिए, ज्वैलरी डिज़ाइनर देविका अरोड़ा को मजबूरन एक नई योजना तैयार करनी पड़ी।
शुरुआत में, ग्राहकों की गिरती संख्या और शिपमेंट्स स्थगित होने के कारण, धीरे-धीरे उन्हें अपने कई महत्वपूर्ण ऑर्डर कैंसिल करने पड़े। वह कहती हैं, “जिस ख्याल ने मुझे सबसे ज्यादा परेशान किया वह यह था कि इतने नुकसान के बाद भी, मैं तो किसी तरह खुद को संभाल लूंगी, लेकिन मेरे कर्मचारियों के पास वह लक्ज़री नहीं थी। उनमें से अधिकांश ने अपने गांव लौटने का फैसला किया, और जो टीम कभी 38 कारीगरों की हुआ करती थी अब सिकुड़ कर सिर्फ छह की रह गई है।”
इन अड़चनों के बावजूद, अरोरा के बिज़नेस एसोसिएट्स के साथ उनकी एकजुटता और ओवरहेड एक्सपेंस को कम से कम रख कर चलने की उनकी रणनीति ने उनके पक्ष में काम किया।
एक और अच्छा तरीका है कि आप लागत में कटौती करना शुरू करें, जब तक कि आप फिर से स्थिर न हो जाएं – ऑफिस के लिए जगह किराए पर लेने के बजाय घर से काम करने की कोशिश करें, और मैनपावर के बजाय टेक्नोलॉजी पर भरोसा करें।
डोडीवाला कहती हैं, “विकास के लिए तत्परता और किसी भी परिस्थिति के अनुकूल बदलने के लिए खुद को हमेशा तैयार रखने से बहुत मदद मिलती है। लाभ को ध्यान में रखते हुए अपनी टार्गेट ऑडियंस को बदलें, अपने प्रोडक्ट में सुधार करें ताकि वह एक बड़े बाजार को आकर्षित कर सके, और अपनी बिज़नेस स्ट्रेटेजी पर समय-समय पर विचार करते रहें।”
एक वर्किंग प्रोफेशनल जो एक अनिश्चित आय के साथ आने वाली चुनौतियों से लड़ने की कोशिश में जुटा है
बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जूनियर काउंसिल के तौर पर कार्यरत, राहुल जैन* को दिन में 9 से 16 घंटे तक काम करना पड़ता है।
लेकिन उसका भुगतान तभी होता है जब वह सक्रिय रूप से किसी केस पर काम कर रहे होते हैं। आजकल, अदालतें केवल अतिआवश्यक अर्जेंट मामलों को अटेंड कर रही हैं (जो आमतौर पर वरिष्ठ वकीलों द्वारा हैंडल किए जाते हैं), इसलिए राहुल के पास बहुत सारा खाली समय तो होता है लेकिन पर्याप्त पैसा नहीं है।
डोडीवाला कहती हैं, “सबसे पहला कदम है कि आप अपने मासिक इंवेस्टमेंट पर तब तक रोक लगा दें जब तक कि आप लॉकडाउन के दौरान फाइनेंसस पर काबू पाने में सक्षम नहीं हो जाते और अपने खर्चों में भी कटौती करना शुरू कर दें।”
“अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सस्ते ऑप्शन हमेशा से ही उपलब्ध हैं। अपने अनुकूल ऑप्शंस का पता लगाएं और अपनी फाइनेंशियल हेल्थ में कुछ ही समय में सुधार होते देखें। नानी और दादी की स्ट्रेटेजी को अपनाते हुए और कीमतों पर अच्छे से रिसर्च और तुलना करें।”
हमेशा क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने के बजाय पर्सनल लोन चुनें, क्योंकि क्रेडिट कार्ड पर ब्याज अधिक लगता है।
तो अनियमित आय वाले लोगों और अन्य लोगों के लिए भी, कार्ड स्वाइप का कम से कम उपयोग करना ही लॉकडाउन के दौरान फाइनेंसस को मैनेज करने का सबसे सरल उपाय हो सकता है।
*अनुरोध पर नाम बदल दिए गए हैं
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