
वास्तु - आपके घर के लिए एक सर्वोत्तम एनर्जी बार
मांगो, उधार लो या चुरा लो, सक्युलेंट्स के लिए तो जो बन पड़े वह करो
पिछले साल, मेरी मां ने दरवाज़े पर गनमेटल में ‘चैटर्जीस’ गुदवा दिया, और कहा, “अब जब तुमने जर्नलिज़्म में रहना तय कर ही लिया है, मुझे नहीं लगता कि इस प्रोफेशन में रहकर तुम कभी भी अमीर बन पाओगी। पर वास्तु के अनुसार घर के बाहर नेमप्लेट लगाने से पॉज़िटिव एनर्जी, पैसा और समृद्धि आकर्षित होती है। तो अब से मैं यही कोशिश करूंगी।”
मैंने भी उनकी हाँ में हाँ मिलाने का नाटक किया – शायद घरों को भी एनर्जी बार की ज़रूरत होती हो। वास्तु की जड़ें अथर्व वेद के ग्रंथों तक में पायी जा सकती हैं। आमतौर पर इसे “आर्किटेक्चर का प्राचीन विज्ञान” कहा जाता है, इसने वैधता हासिल करने के लिए कई आधुनिक संस्थानों से पर्याप्त मान्यता पाई है। साल 2017 में, खडगपुर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, देश के सबसे पुराना आईआईटी केंद्र, ने वास्तु शास्र को उनके आर्किटेक्चर के अंडरग्रेजुएट कोर्स के एक भाग के रूप में पेश किया। कहां मेरे सभी दोस्त अपने “बेडरूम की एनर्जी को संतुलित” करने के लिये तरह-तरह के रंग करा रहे हैं और कहां मैं खुद को दीवार की मुंडेर पर भी बड़ी मुश्किल से संतुलित कर पा रही हूं।
वास्तु विशेषज्ञ नीता सिन्हा सिर्फ कोई आम कंस्लटेंट नहीं है, बल्कि वह वास्तु शास्त्र की शेरलॉक है। सिन्हा एक एस्ट्रो-आर्किटेक्ट हैं (“यह एस्ट्रोलॉजी और आर्किटेक्चर का संगम है”) और उन्होंने वास्तु के बारे में बताकर मेरी काफी मदद की। उनका कहना है, “मेरी मान्यता दिशाओं और रंगों पर आधारित है। जो आपके लिये काम कर सकता है, शायद वह किसी दूसरे के लिये काम न करें। पर कुछ बदलाव करके हर कोई अपने घर में पॉज़िटिव एनर्जी बढ़ा सकता है।”
शारीरिक बेहतरी के लिये:
नेगेटिव एनर्जी से आपकी सेहत बिगड़ सकती है। अगर आप अक्सर बीमार पड़ जाते हैं, तो शायद आपको अपनी जगह बदलने की ज़रूरत है। शायद आपको केवल दृश्य परिवर्तन की ही आवश्यकता हो। सिन्हा कहती हैं, “कुछ दिनों तक हॉल में सोकर देखिये कि क्या आपको बेहतर महसूस होता है। अगर आपको कोई पॉज़िटिव बदलाव दिखाई देता है, तो अपने पिछले कमरे की एनर्जी को संतुलित करने के लिये विशेषज्ञ से सलाह लें।”

अगर आपको बहुत जल्दी एलर्जी होती है, तो कमरे में नारंगी और पीले रंग का इस्तेमाल न सिर्फ आपके कमरे को रोशन करेगा बल्कि इससे आपकी बीमारी पर भी नियंत्रण होगा। वार्म कलर्स आक्रामकता और शक्तिशाली ऊर्जा को दर्शाते हैं। यह जगह को पुनर्जीवित करते हैं।
इसके साथ ही, सिन्हा अपने क्लाइंट्स को सलाह देती हैं कि अगर आप बहुत ज़्यादा बीमार पड़ते हैं, तो कमरे में खुला शीशा लगाने से बचें। “दर्पण कमरे में ऊर्जा को बढ़ाते हैं और अगर कमरे में नेगेटिव एनर्जी का वास होगा, तो वह उस एनर्जी को दोगुना भी कर सकता है। इसलिये, कमरे में खुला दर्पण लगाने की सलाह नहीं दी जाती।”
करियर की बेहतरी के लिये:

घर की एनर्जी को बढ़ायें। यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने घर और काम करने की डेस्क को साफ रखें ताकि एनर्जी ब्लॉक करने वाले एरिया को कम किया जा सके। यह एरिया अव्यस्थित जगहों के रूप में भी हो सकते हैं। इसमें लीकेज, सीपेज और फालतू सामान से भरे हुए कोनें भी शामिल हैं। खिड़कियां खुली रखें और सुनिश्चित करें कि क्रास वेंटिलेशन हो। हरे पौधों और सक्युलेंट्स को अपने कमरे में रखें।
रसोईघर में पॉज़िटिव एनर्जी के लिये:

वास्तु के अनुसार, घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में रसोई होनी चाहिए क्योंकि पुराने शास्त्रों में लिखा है कि सिर्फ यही एकमात्र दिशा है, जहां घर में आग नहीं लग सकती क्योंकि हवा का बहाव पश्चिम से पूर्व की ओर होता है। लेकिन ऊंची इमारतों में रहते हुए आप इन विकल्पों को निर्धारित नहीं कर सकते, इसलिये आप वार्म कलर्स का उपयोग कर सकते हैं। सिन्हा कहती हैं, “जगह को जीवंत बनाने के लिए लाल, नारंगी और पीले रंग का उपयोग करें।” रसोई में खाना पकाने के लिए आग का काम बहुत ज़्यादा होता है, इसलिए ज़्यादातर एनर्जी भी बहुत हद तक जल जाती है। वार्म कलर्स अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
नये दम्पत्तियों के लिये:

घर में ध्वनि के स्पंदन को शामिल करें। सिन्हा कहती हैं, “पहले जमाने में, औरतों के पैरों में बंधे घुंघरू या पायल ध्वनि उत्पन्न करते थे। आजकल लोग विंडचाइम्स लगाना पसंद करते हैं।” साथ ही, घर में कहीं-कहीं पर लाल रंग का इस्तेमाल वस्तुओं, फूलों या पेंटिंग्स आदि के रूप में किया जा सकता है जिससे पॉज़िटिविटी बनाये रखने में मदद मिलती है।
बच्चों के कमरे के लिए:

लड़कियों के लिये गुलाबी और लड़कों के लिये नीले रंग का ही इस्तेमाल करना, अब एक बहुत पुरानी धारणा हो गई है। आपको हमेशा अपने बच्चों से उनकी पसंद पूछनी चाहिये। उनसे उनका फेवरेट रंग पूछिये। बच्चे रंगों को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं और वह बेहतर तरीके से जानते हैं कि उनके विकास के लिये क्या सही है।
संपूर्ण भलाई के लिये:

खिड़कियों को हमेशा पर्दो से ढ़ककर न रखें। सूरज की रोशनी अंदर आने दें, इससे न सिर्फ कमरा रोशन होता है, बल्कि मूड भी अच्छा होता है। अगर आपके घर में तलाक या बीमारी का इतिहास रहा है, तो प्रवेश द्वार पर लाल रंग से बचें। लाल रंग खतरे की निशानी है। अगर घर आपका खुद का है और आपने अभी तक उसे कोई नाम नहीं दिया है तो जल्द ही उसे नाम दें। घर के मुख्य द्वार और प्रवेश द्वार को सजायें। यह ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत है। इसलिये बहुत से लोग रंगोली का इस्तेमाल करते हैं।
सोते समय यह सुनिश्चित करें कि आपका सिर उत्तर दिशा की ओर न हो। अगर सिर उत्तर दिशा की ओर होगा, तो धरती की मैगनेटिक फील्ड और हमारी एनर्जी का रोटेशन एक्टिव नहीं रहेगा। सिन्हा कहती हैं, “हमारे खून में आयरन है, जब हमारा सिर उत्तर दिशा की ओर होगा, तो मैगनेटिक फील्ड काम करेगी, जिससे आपका दिमाग हमेशा सक्रिय रहेगा और आपको अच्छी नींद नहीं आयेगी।”
इसमें कोई दो राय नहीं है, कि वैज्ञानिकों ने इन वास्तु छंदों को साबित करने के लिये सुअरों और चूहों की लैब में बलि नहीं दी है। वास्तु के दावों को सच करने के लिये 5,263 पन्नों की कोई लंबी चौड़ी रिपोर्ट भी नहीं है। यह हमारी मान्यता और हमारी आसपास की एनर्जी पर आधारित है। जब यह सब सामान्य समझ है तो घर में थोड़ा बहुत सुधार करने में कोई नुक्सान नहीं है। खिड़कियों पर पड़े परदे खोल दें, बिखरे सामान को व्यवस्थित करें और कुछ रंगों को इधर-उधर बिखेरें। आखिरकार, वास्तु ने मुझे वह स्नेक प्लांट खरीदने का बहाना दे ही दिया, जिस पर मेरी काफी दिनों से नज़र थी।