
इस कोरोनावायरस ब्रेक के दौरान, कैसे अपने बच्चों को बिज़ी रखें
इस पेरेंटिंग में कुछ गलत नहीं, यह सिर्फ स्मार्ट पेरेंटिंग है
इस साल गर्मियों की छुट्टियां जल्दी शुरू हो गयी हैं, इस कोरोनावायरस के चलते, पूरे देश में स्कूल जो बंद हो गए हैं। पर अफ़सोस की बात यह है, इन छुट्टियों में ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे आपको आपके ही घर में कैद करके छोड़ दिया हो, वो भी ना जाने कब तक। बच्चों के लिए प्ले डेट्स प्लान करना तो बहुत दूर की बात है, यहां तो वह अपने दोस्तों से, पहले की तरह रोज़ शाम को, पानी-पूरी सेशन के लिए भी नहीं मिल सकते। आखिर बच्चों को बिज़ी रखें, तो कैसे?
और हमारे प्यारे पेरेंट्स, आप तो नरक की इन दो नई किस्मों के बीच सैंडविच बन कर रह गए होंगे – घर से बाहर निकले, तो इस अदृश्य COVID-19 का सामना करना पड़ेगा और यदि घर में रहे, जो हालांकि बहुत ज़रूरी है, तो अपने इन नन्हे राक्षसों का, जो घर की कैद में बोर हो-होकर अपना आपा खोते जा रहे हैं।
ज़ाहिर सी बात है, आप घर में रहकर किसी कोज़ी कॉर्नर से ऑफिस की मीटिंग्स हैंडल करने के साथ-साथ, बच्चों को संभालने जैसा छोटा खतरा उठाना चाहेंगे।
कोरोनावायरस आपके पेरेंटिंग स्किल्स को चैलेंज कर रहा है। मास्क्स और सैनिटाइज़र तक तो ठीक है, पर क्या सोशल आइसोलेशन के इस सीज़न में आप अपने सुपर मॉम वाले अवतार के लिए तैयार हैं?
एमपावर की हेड और साइकेट्रिस्ट, डॉ सपना बांगर कहती हैं, “मेरे दो बच्चे हैं – 5 और 10 साल के, उनके साथ इस माहौल में, अभी तक बिताया यह समय, अपने आप में एक अनोखा अनुभव रहा है। पेरेंट्स चाहे तो इस अवसर का उपयोग, अपने बच्चों को वयस्कता की एक झलक दिखलाने और उन्हें रेस्पोंसिबल बनाने के लिए कर सकते हैं। मज़ेदार तरीकों से, वे अपने बच्चों को बिज़ी रखें और साथ ही बहुत कुछ सिखाएं।”
यह सरप्राइज़ फैमिली टाइम, कहीं बिग बॉस के किसी बेहूदे एपिसोड में ना बदल जाए। इससे बचने के लिए हमने शुरूआती समस्यों पर ही रोक लगाने के लिए डॉ बांगर की मदद से एक लिस्ट तैयार की।
एक रूटीन बनाएं:
हर सुबह उठते ही, पूरे दिन का एक रूटीन बना लें, ताकि आपको पता रहें कि दिन कैसे बिताना है। बच्चों के होमवर्क के लिए भी कुछ घंटे फिक्स कर दें।
इस तरह सबको समय बिताने के लिए एक उद्देश्य मिल जाएगा, और आपको भी यह अंदाज़ा हो जाएगा कि इन नन्हे प्राणियों को घर में बिज़ी रखने के लिए आपको कितने घंटे निकालने हैं।

मॉल, स्विमिंग पूल या पार्क, अब जब सभी जगह एंट्री बंद है, तो बच्चों का बोर होना तो लाज़मी है, और ऊपर से, ये अचानक सिर पर आ पड़ी छुट्टियां, घर के सभी सदस्यों के लिए एक भयानक सपने जैसी होने वाली है।
इसलिए बहुत ज़रूरी है कि आप उन्हें बिज़ी रखने के लिए थोड़ा ज़्यादा प्रयत्न करें ताकि वह शाम तक थक के चूर हो जाएं।
घर के कामों में उन्हें शामिल करें और प्रोत्साहित करें:
रोज़मर्रा के कामों को उनके लिए एक एडवेंचर बना दें। लॉन्ड्री, पौधों को पानी देना, टेबल सेट करना, डस्टिंग जैसे कई कामों को आप उनके जिम्मे सौंप सकते हैं।
हर काम को एक चैलेंज की तरह प्रदर्शित करें। जैसे, जो सबसे ज़्यादा संख्या में पौधों को पानी देगा, उसे एक्स्ट्रा ट्रीट मिलेगी या कुछ पैसे जो वे अपने पिग्गी-बैंक में जमा कर सकते हैं।
इन मज़ेदार एक्टिविटीज़ से वह और ज़्यादा रेस्पोंसिबल महसूस करेंगे और साथ ही उनकी किसी भी कार्य में उपलब्धि हासिल करने की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
अगर आपके एक से ज़्यादा बच्चे हैं, तो काम बांट दें।
एक अचीवमेंट बोर्ड बना लें, और हर बार टास्क खत्म करने पर, उनके कॉलम में एक स्टार या स्टीकर बढ़ा दें।
खेल-खेल में सिखाएं:
इसके लिए बोर्ड गेम्स हमेशा से ही एक अच्छा जरिया रहे हैं। बस ध्यान रखें कि गेम्स उनकी उम्र के अनुसार हों – बॉगल, चाइनीज़ चेकर्स, पिक्शनरी, मोनोपॉली, वगैरह।
बोर्ड गेम्स खेलने से बच्चों का पेशेंस लेवल बढ़ता है क्योंकि यहां उन्हें अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है और साथ ही उनका दिमाग भी बढ़ता है।
पेरेंट्स घर में ट्रेज़र हंट का आयोजन कर सकते हैं। जैसे, एक कमरे में 10 चीज़ें छिपा दें और हर एक चीज़ को ढूंढने के लिए उन्हें हिंट दें।
यह टास्क उन्हें कम से कम एक घंटे के लिए बिज़ी कर देगी, और इस दौरान, आप भी अपने कामों की लिस्ट में से कुछ काम निपटा सकती हैं। यह गेम दोधारी तलवार का काम करेगा।
आप उन्हें कुछ एक्टिविटी और कलरिंग बुक्स के साथ क्रेयॉन्स दे कर देखें, आपका ध्यान इधर-उधर होते ही, वह आपके लिए ही कार्ड बनाकर आपको सरप्राइज़ कर देंगे। पर हां, उनके ऐसा करने पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करना ना भूलें।
ऐसे समय में, किताबें पढ़ना बहुत मददगार साबित होता है। अगर सिब्लिंग्स हों, तो बड़े को, छोटे के लिए पढ़ने को प्रेरित करें। इससे बड़े को उसकी जिम्मेदारी का एहसास भी होगा। हर रोज़, दोपहर में एक घंटा रीडिंग के लिए फिक्स कर दें, इसे ग्रुप एक्टिविटी में भी बदल सकते हैं।
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किचन में आने दें:
बच्चों को सफाई करने से ज़्यादा मज़ा गंदगी करने और सामान फैलाने में आता है। क्यों ना इस समय का फायदा उठाते हुए, उनका परिचय बेकिंग से कराया जाए।
उन्हें आटा, चॉकलेट, अंडे मिलाने के लिए कहें और उसे फेंटने का काम भी उन्हें ही सौंपे। उनसे पानी भरवाना, सब्ज़ियां धुलवाने जैसे फर्स्ट लेवल के काम करवाएं। किचन के कामों में शामिल कर के, आप ना सिर्फ उन्हें एक एडल्ट जैसा महसूस कराएंगे, बल्कि उन्हें किचन में चीज़ों को सही तरीके से हैंडल करना भी सिखा पाएंगे।
अपने बच्चों के साथ, यंग शेफ्स के यूट्यूब चैनल्स को फॉलो करते-करते, और उनके साथ नई-नई रेसिपीज़ ट्राई करके, आप अपने बेकिंग स्किल्स को भी बेहतर बना सकती हैं।
स्क्रीन टाइम पर नज़र रखें:
इन हालात में, बच्चों को ज़रुरत से थोड़ा ज़्यादा स्क्रीन टाइम देने के लिए, खुद को कसूरवार ना मानें। किसी महत्वपूर्ण ‘वर्क फ्रॉम होम मीटिंग’ के तहत, यदि आप डिस्टर्ब नहीं होना चाहते, तो आपके पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।
लेकिन इसमें तब तक कोई बुराई नहीं, जब तक आप इसे अपने कंट्रोल में रखते हैं। उन्हें यूट्यूब किड्स, नेटफ्लिक्स फॉर किड्स और दूसरे कार्टून चैनल देखने दें।
और इससे पहले की आप इस अपराधबोध में खुद को कोसें कि आपने पेरेंटिंग के लिए नेटफिल्क्सिंग का सहारा लिया, यह जान लें कि यदि स्क्रीन टाइम नियंत्रित रहे, तो यह आपके बच्चों की वोकैब्लरी और कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाने में मदद करता है।
ऐसा ना सोचें कि उन्हें स्क्रीन के सामने बिठाकर आप अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, ऐसा बिलकुल नहीं है।

बुकमार्क करने लायक कुछ चैनेल्स हैं:
ChuChu TV Nursery Rhymes & Kids Songs: बच्चों के लिए यह पॉप्युलर यूट्यूब चैनल, पुरानी कविताओं और गानों को मॉडर्न बीट्स के साथ रीमिक्स करता है, जिसे बच्चे बहुत पसंद करते हैं।
CoComelon Nursery Rhymes: इसका उद्देश्य प्रीस्कूल के बच्चों के लिए लर्निंग को एक मज़ेदार अनुभव बनाना है और इस के माध्यम से, बच्चे कविताओं के जरिए बड़ी आसानी से लेटर्स, नंबर्स और जीवन के पाठ सीख सकते हैं।
कोरोनावायरस के बारे में बात करें:
बच्चों को यह जानने का पूरा हक़ है कि हमारे आसपास क्या हो रहा है। तो अगर वह आपसे उनके स्कूल के असमय बंद हो जाने की वजह जानना चाहें या क्या वह भी बीमार पड़ सकते हैं जैसे प्रश्न करें, तो उनकी चिंताओं को टालने की कोशिश ना करें।
उन्हें गंभीरता से लें, हां, बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें डराने की बजाय उनके सवालों का सहज शब्दों में जवाब दें। हम माने या ना माने, वह छोटे ही सही, पर स्थिति की गंभीरता को समझने के काबिल हैं।
एक कहानी में बुनकर, उन्हें आज की इस परिस्थिति के प्रति जागरूक बनाएं। ध्यान रखें कि कहानी दुखभरी न हो, जिससे वह डर जाएं। पर उन्हें अंधेरे में कतई ना रखें।