
ब्रेस्टफीडिंग 101 - फीडिंग से जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान
एक लैक्टेशन कंसलटेंट ने दिए हमारे कई सवालों के जवाब
कहते हैं, ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आप अपने बच्चे के प्रति और भी अधिक लगाव महसूस करने लगते हैं, और इसका श्रेय जाता है ‘कडल हार्मोन’ ऑक्सीटोसिन के रिलीज़ को (क्या वाकई, उन छोटी-छोटी उंगलियों के प्यार में अब इससे और अधिक डूब जाना संभव है)। माना जाता है, ब्रेस्टफीडिंग कराने में आप एक दिन में 250-500 कैलोरीज़ खर्च करते हैं। इससे आपके बच्चे को गहरी नींद सुलाने में भी मदद मिलती है। और बेशक, फीड कराते समय आप अपने उस नन्हें बन के साथ, जिसे आप पिछले नौ महीने से अपने पेट में बेक कर रहे थे, एक खूबसूरत मैजिकल बांड बनाते हैं।
लेकिन हकीकत थोड़ी अलग भी हो सकती है जैसे मीटिंग के बीच में अचानक आपके सिल्क ब्लाउज़ से दूध रिसता हुआ दिखाई देने लगे, या पर्याप्त सप्लाई ना होने पर भूख से बिलबिलाता आपका बच्चा पूरे मोहल्ले को अपनी चीखों से जगा दें। और सबसे भयानक अहसास – जब बेबी ठीक से लैच करने में असमर्थ हो रहा हो, आपको लगने लगता है जैसे आप दुनिया के सबसे बड़े फेलियर हैं।
जयपुर-बेस्ड लैक्टेशन कंसलटेंट आरुषि अग्रवाल ने खुद अपने ब्रेस्टफीडिंग पीरियड के दौरान बहुत संघर्ष किया। अस्पताल से उचित गाइडेंस की कमी के कारण, वे ऑनलाइन जानकारी और रिश्तेदारों की बिन-मांगी सलाहों में उलझ कर रह गयी थी।
अन्य नई माओं को भी अपनी ही तरह असमर्थ महसूस करते और संघर्षों का सामना करते देख, उन्होंने इस प्रोफेशनल सफर पर आगे बढ़ने का फैसला लिया।
ब्रेस्टफीडिंग की समस्याएं सभी को प्रभावित करती है, फिर चाहे वह टीनू मासी की बेटी हो या एडेल जैसी सेलिब्रिटी, जिसने एक इंटरव्यू में बताया, “हम पर डाला जाने वाला दबाव हास्यास्पद है। और वे सभी लोग जो हम पर दबाव डालते हैं, वे भाड़ में जाएं, क्योंकि यह बहुत कठिन है। हम में से कई हैं जो ऐसा नहीं कर पाते। मैं लगभग नौ हफ़्तों तक अपने बूब्स के साथ कोशिश करती रही। मैं बस इतना चाहती थी कि मैं ब्रेस्टफीडिंग करा सकूं और फिर भी मैं नहीं करा पाई और फिर मुझे ऐसा लगा, ‘यदि मैं ऐसे समय में किसी जंगल में होती, तो शायद मेरा बच्चा मर जाता क्योंकि मेरा दूध बनना बंद हो गया था’।”
ब्रेस्टफीडिंग और मेंटल हेल्थ
अग्रवाल कहती हैं, “आपका स्ट्रेस लेवल और मेंटल हेल्थ ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित कर सकता है क्योंकि स्ट्रेस दूध की अच्छी सप्लाई में सबसे बड़ा अवरोधक है। मेरी पूरी प्रेगनेंसी के दौरान, मैंने इस बात पर फोकस किया कि मैं अपने बच्चे के लिए चीजों को कैसे आरामदायक बना सकती हूं लेकिन डिलीवरी के बाद क्या होगा, उसके लिए मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।”
सभी माओं को पता होता है कि उन्हें हर दो-तीन घंटे में अपने बच्चे को दूध पिलाने की ज़रूरत है, और ऐसा ना कर पाने पर, वे निराश होने लगती हैं और “यह एक मां के रूप में उनके आत्मविश्वास पर भारी पड़ सकता है।”
उनका मानना है कि ऐसे में काउंसलिंग काफी मददगार साबित हो सकती है। बल्कि, हाल ही के कुछ मामलों में यह सामने आया है कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराने में कठिनाइयों का सामना करती हैं, उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा हो सकता है और एक स्टडी शुरुआती दिनों में काउंसलिंग के महत्व पर प्रकाश डालती है।
यहां, अग्रवाल ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कुछ सबसे सामान्य प्रश्नों के उत्तर दे रही हैं।
क्या मैं डिलीवरी से पहले ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी के लिए कुछ कर सकती हूं?

“प्रीनेटल कंसल्टेशन के दौरान, डॉक्टरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रेगनेंसी के दौरान मां के ब्रेस्ट का साइज़ बदलने लगा है जो यह दर्शाता है कि वे लैक्टेशन के लिए तैयार हो रहे हैं।
पुरानी रिसर्चों के अनुसार, आपको अपने निप्पल को पहले से तैयार करना शुरू कर देना चाहिए, ताकि डिलीवरी के बाद, वे इनवर्टेड न हों और बच्चा ठीक से लैच कर सके। लेकिन नयी रिसर्च कहती हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान आप कुछ नहीं कर सकते हैं और नैचुरली जैसे-जैसे आपके ब्रेस्ट का साइज़ बढ़ता है, वैसे-वैसे निप्पल का साइज़ भी बढ़ता है और एक बार जब बच्चा ब्रेस्ट को चूसना शुरू कर देता है, तो बच्चे के मुंह में निप्पल का आकार दोगुना हो जाता है।
लेकिन अगर फिर भी चीजें हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं होती हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने सिस्टम को रीबूट नहीं कर सकते।”
मैं अपने बच्चे को लैच करना कैसे सिखाऊं?
“डिलीवरी के बाद के पहले एक घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है, इस समय शिशु बहुत सतर्क और सक्रिय होते हैं। जैसे ही उन्हें मां के पेट पर स्किन-टू-स्किन कांटेक्ट के लिए रखा जाता है, वे ‘ब्रेस्ट क्रॉल’ नामक एक स्वाभाविक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, जहां वे खुद ही मां के ब्रेस्ट को मुंह में लेने की कोशिश करते हैं।
लैचिंग मूल रूप से चूसना और निगलना है, जो कि बच्चे का एक स्वाभाविक व्यवहार है – कभी-कभी, मेडिकल कारणों से, यदि बच्चे को मां से अलग रखा जाता है और यदि उसका पहला फीड मां का दूध नहीं होता है, तो बच्चा भूलने लग सकता है। इसका उचित तरीका यही है कि बच्चे को मां के पेट पर रखा जाए जिसे हम स्किन-टू-स्किन कांटेक्ट कहते हैं।
जैसे ही आप बच्चे को मां की नग्न त्वचा के संपर्क में लाते हैं, मां और बच्चा फिर से एक यूनिट बन जाते हैं, और इससे मां के शरीर में ऑक्सीटोसिन रिलीज़ होता है, जो मां के ब्रेस्ट ग्लैंड्स को प्रोत्साहित करता है और एक ऐसी गंध आती है जिसे बच्चा सूंघ सकता है और वह खुद को ब्रेस्ट के करीब ले जाकर उसे मुंह में लेने का प्रयास करता है।”
मुझे अपने नवजात शिशु को कितनी बार ब्रेस्टफीड कराना चाहिए?
“एक नवजात शिशु आमतौर पर 2-3 घंटे के अंतराल पर ब्रेस्ट से लगभग 8-12 बार दूध पीता है। ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई की भी एक सर्कैडियन साइकल होती है। सुबह के समय यह सबसे अधिक बनता है, फिर शाम के दौरान कम होने लगता है और आधी रात के बाद फिर से बढ़ने लग जाता है।
मेरे बच्चे की डिलीवरी के ठीक बाद, लोगों ने मुझसे कहा कि ‘तुम्हारा तो दूध ही नहीं बन रहा है, तुम अपने बच्चे का पेट कैसे भरोगी?’, और यह आत्म-संदेह के पहले बीजों में से एक है, जो लोग आप में बोते हैं। लेकिन पहले दिन, आपसे 30-35 मिली से अधिक दूध बनाने की उम्मीद नहीं होती है, जो कि प्रति फ़ीड लगभग दो से तीन चम्मच होता है। (पहले दिन का एवरेज उत्पादन 37 मिली होता है)
दूध की सप्लाई को मापने के बजाय, अन्य संकेतकों पर ध्यान दें कि क्या आपके बच्चे का पेट पर्याप्त रूप से भर रहा है – डायपर आउटपुट, बच्चा कितनी बार यूरिन पास कर रहा है, उसका व्यवहार कैसा है, वह दो फीड के बीच कितने समय तक शांत रहता है, क्या फीड करने के तुरंत बाद उसे फिर से भूख लगने लगती है?
वजन बढ़ना एक महत्वपूर्ण संकेतक है – पहले कुछ दिनों में, बच्चे का वजन थोड़ा गिरता है क्योंकि उसके शरीर में बहुत अधिक फ्लूइड होता है, लेकिन पांचवें दिन के बाद, बच्चे का वजन लगातार बढ़ना शुरू कर देना चाहिए, और करीब दो सप्ताह के बाद उसका वजन फिर से उसके जन्म के वजन के बराबर हो जाना चाहिए।
ध्यान रखें कि हर बच्चे का मेटाबॉलिज्म अलग होता है, और हर मां की स्टोरेज क्षमता अलग होती है, इसलिए यह सबके लिए अलग-अलग होता है।”

ब्रेस्टफीडिंग के लिए सबसे अच्छी पोज़िशन कौन सी हैं?
“सबसे पहली बात, हर मां और बच्चे की अपनी एक अनूठी पोज़िशन होती है। ऐसी पोज़िशन जिसमें मां भी कम्फ़र्टेबल होनी चाहिए और बच्चा भी आराम से ब्रेस्ट से दूध पीने में सक्षम होना चाहिए। नीचे कुछ सामान्य रूप से उपयोग में ली जाने वाली पोज़िशन दी गयी हैं”:
- क्रैडल होल्ड
- फुटबॉल होल्ड या क्लच होल्ड
- क्रॉस क्रैडल होल्ड
- साइड-लाइंग पोज़िशन
- लेड बैक पोज़िशन
बोतल के बजाय ब्रेस्ट फीड के क्या फायदे हैं? ब्रेस्टफीडिंग करते समय मुझे हमेशा इतनी भूख क्यों लगती है?
“ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध बनाने के लिए 500 कैलोरी की आवश्यकता होती है। और ब्रेस्ट मिल्क में 87% पानी होता है, इसलिए दूध बनाने के लिए शरीर बहुत ज़्यादा पानी का उपयोग करता है। यही कारण है कि दूध पिलाते समय मां को बहुत भूख और प्यास लगती है।”
- ब्रेस्टफीडिंग से बच्चों के जबड़ों का विकास होता है क्योंकि ब्रेस्ट फीड करते समय या बोतल से दूध पीते समय, वह विभिन्न मसल्स को उपयोग में लाते हैं।
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चा अपनी जरूरत के अनुसार फीड करता है इसलिए बड़े होने पर उनके मोटे होने की संभावना कम होती है।
- ब्रेस्टफीड के लिए मां को हर फीडिंग के बाद अपना ब्रेस्ट बदलना पड़ता है, इससे बच्चे की आंखों का रोटेशन होता है और आंखों की मसल्स के विकास में मदद मिलती है।
- जब बच्चा ब्रेस्टफीड करता है, तो वह मां की त्वचा के संपर्क में आता है और इससे उसके शरीर का तापमान, हार्ट रेट और रेस्पिरेटरी रेट स्थिर हो जाती है।
ब्रेस्टफीडिंग मेरे लिए बहुत दर्दनाक है, क्या मुझे बोतल से दूध पिलाना चाहिए?
“यदि आपको दर्द हो रहा है, तो इसका मतलब है कि कहीं कुछ गलत हो रहा है, ऐसे में आपको बच्चे की लैचिंग या अपनी पोज़िशन या बच्चे को पकड़ने के अपने तरीके को ठीक करने की आवश्यकता है। दर्द के कुछ अंदरूनी कारण भी हो सकते हैं, इसलिए बेहतर है कि समस्या की जड़ का पता लगाने के लिए किसी लैक्टेशन कंसलटेंट या डॉक्टर की सलाह लें।
ब्रेस्टफीडिंग में ‘या तो सब कुछ हो या कुछ भी नहीं हो’ वाला रवैया काम नहीं करता। अगर आप अपने बच्चे को थोड़ी मात्रा में भी ब्रेस्टमिल्क दे सकें, तो भी उसे इससे बहुत फायदा होगा। बहुत सी माएं वास्तव में बीमारियों से जूझ रही होती हैं और वे दूध का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती हैं, ऐसे में भले ही वे अपने बच्चे को एक या दो चम्मच ब्रेस्ट मिल्क भी दे पाएं, तो यह बच्चे के लिए दवा की तरह है।
इसका कोई विकल्प नहीं है। भले ही यह सीधे ब्रेस्ट से ना पिलाया जाए, इसे ब्रेस्ट से एक्सप्रेस करके स्टोर किया जाए, तो भी यह एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह एंटीबॉडीज़ से भरपूर एक लिविंग लिक्विड है।”
ब्रेस्ट लीकेज शर्मनाक हैं – इसे कैसे रोका जा सकता है?
“यह सामान्य है क्योंकि कभी-कभी माएं बच्चे की आवश्यकता से अधिक दूध का उत्पादन करती हैं। बच्चे की डिमांड के अनुसार उसे फीड करने से, आपके शरीर को मिल्क सप्लाई को कैलिब्रेट करने में मदद मिलेगी – बच्चा जितना ज़्यादा दूध पीता है, उतना ही ज़्यादा दूध शरीर बनाता है। एक ब्रेस्ट से दूध पिलाते समय दूसरे का रिसना भी सामान्य है, और शुरुआत में ब्रेस्ट पैड मददगार हो सकते हैं।”

मुझे कितने समय तक ब्रेस्टफीड कराना चाहिए? क्या मैं थक जाऊं तो पंपिंग का सहारा ले सकती हूं?
“द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, शिशुओं को पहले छह महीनों तक केवल ब्रेस्टफीड कराना चाहिए और फिर एक वर्ष या उससे अधिक समय तक ब्रेस्टफीडिंग जारी रखते हुए, उसके साथ उपयुक्त कम्प्लीमेंटरी फूड की शुरुआत करनी चाहिए।
पम्पिंग उन माओं के लिए एक बहुत ही प्रभावी तरीका है जो वर्किंग मदर्स हैं या जिनके बच्चे सीधे ब्रेस्ट से फीड नहीं कर पाते हैं।”
सोर या कटे-फटे निपल्स और मिल्क स्टासिस का क्या कारण है?
“दूध का सही तरीके से निष्कासन नहीं हो पाना। मिल्क स्टासिस (ब्रेस्ट टिश्यू के भीतर दूध का रुकना) के कारण ब्रेस्ट में सूजन हो सकती है, दूध नलिकाएं बंद हो सकती हैं, मैस्टाइटिस और ब्रेस्ट में गांठें हो सकती हैं।
मिल्क स्टासिस का प्राथमिक उपचार सेल्फ-हेल्प रेमेडीज़ हैं, जैसे यह सुनिश्चित करना कि ब्रेस्ट पूरी तरह से खाली हो रहा है। लेकिन अगर स्थिति बिगड़ने लग जाए तो कृपया तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।”
आपकी प्रेगनेंसी चेकलिस्ट में शामिल करने के लिए ब्रेस्टफीडिंग सप्लाइज़:
- पंप: डिलीवरी के बाद, यदि बच्चा ठीक से लैच नहीं कर पा रहा है तो दूध की सप्लाई को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए पंप बहुत काम आते हैं। Amazon.in
- निप्पल शील्ड: यह प्रीमैच्योर बेबीज़ और इनवर्टेड या फ्लैट निप्पल वाली माओं के लिए बहुत उपयोगी हैं। Mothercare.in
- सोर निप्पल के लिए हाइड्रोजेल पैड: यह हर किसी के लिए आवश्यक नहीं है लेकिन निप्पल के घावों को भरने में मददगार है। Firstcry.com
- ब्रेस्ट पैड: ओवर सप्लाई वाली माओं के लिए। Mothercare.in