
कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान अपनी प्रेगनेंसी को कैसे संभाले
एक गायनोकोलॉजिस्ट ने घबराए हुए टू-बी पेरेंट्स के लिए कुछ पावरफुल टिप्स शेयर की
जहां एक तरफ आप इसे पढ़ने में लगे हैं, हम आशा करते हैं कि हेल्थ मिनिस्ट्री में बैठा कोई फैमिली प्लानिंग में एक ऐतिहासिक चैप्टर का ड्राफ्ट तैयार कर रहा होगा – जो कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी को समर्पित होगा। पिछले कुछ महीनों में, देशभर में फैले हज़ारों टू-बी पेरेंट्स (भावी माता-पिता) के लिए अपने रिश्तेदारों का “कॉंग्रेचुलेशन्स!” और “बधाई हो ” का म्यूजिकल कोरस धीरे-धीरे फियर फैक्टर के किसी एपिसोड में बदल गया है जहां सब कुछ अनिश्चित सा प्रतीत हो रहा है।
या शायद, ये ब्रह्मांड हमारी बरसों पुरानी प्रार्थनाओं का जवाब इस तरह दे रहा है। आपके बच्चे से मिलने के बहाने, घर में भारतीय रिश्तेदारों का घुसे चले आने का दुखड़ा आखिरकार किसी के कानों तक पहुंच ही गया।
बेशक, इससे फायदा यह हुआ कि पोस्ट-डिलीवरी फैमिली मेलोड्रामा तो अब पुरानी बात हो गई और असमय आ टपकने वाले जानकारों से भी पीछा छूटा।
लेकिन फिर भी, कहीं ना कहीं, हमारी टू-बी मॉम्स में इस सामाजिक बहिष्कार को लेकर अब कोई उत्साह नहीं बचा है।
शिल्पा वत्सल मचाडो कहती हैं, “मैं अपने दूसरे ट्राइमेस्टर में हूं और हम दोनों बिलकुल अकेले हैं। मुझे पिज़्ज़ा, चाइनीज़, चाट जैसे जंक फ़ूड की भयंकर क्रेविंग होती है और घर पर बनाए इनके विकल्पों से मन ही नहीं भरता। अगर डिलीवरी के बाद भी लॉकडाउन ऐसे ही लागू रहा, तो हमारी फैमिली और फ्रेंड्स हमें केवल ऑनलाइन ही देख पाएंगे। ऊपर से मालिशवाली मौसी भी नहीं मिलेगी। सोच कर भी डर लगता है।”
इस समय कड़े लॉकडाउन नियमों के तहत, कई हॉटस्पॉट क्षेत्र पूरी तरह से कंटेनमेंट में हैं और चारों ओर बहुत सी गलत जानकारी फैली हुई है। आमतौर पर जो पेरेंट्स हर परिस्थिति में शांत रहते थे, इस समय वे भी इस बीमारी को लेकर एंग्जायटी के मारे पागल हुए जा रहे हैं।
रिया जैन कहती हैं, “मेरी डिलीवरी अगले हफ्ते होने वाली हैं। मेरे पिछले नॉन-स्ट्रेस टेस्ट (एनएसटी) स्कैन को एक महीना हो गया। टेक्निकली, अपनी प्रेगनेंसी के अंतिम महीने में मुझे यह टेस्ट हर हफ्ते कराना चाहिए। हालांकि, मेरी डॉक्टर स्काइप वीडियो चैट के जरिए मेरा चेकअप करती रहती हैं लेकिन एनएसटी से मुझे मेरे बेबी की हार्टबीट और मूवमेंट्स पता लगते थे। अब, मैं केवल यह आशा कर सकती हूं कि सबकुछ ठीक हो।”
मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में कार्यरत गायनोकोलॉजिस्ट, डॉ ग्रीष्मा देसाई जिन्होंने पिछले महीने में 10 बच्चों की डिलीवरी कराई, इस डर से बखूबी वाकिफ हैं लेकिन फिर भी वह पॉज़िटिविटी फैलाने में विश्वास रखती हैं। उनका कहना है, “सभी चिंताएं और डर वास्तविक हैं, लेकिन उनमें से कुछ हमारे नियंत्रण से बिल्कुल बाहर हैं, जैसे कि अजीबोगरीब समय पर पानी पुरी या चाइनीज़ खाने की क्रेविंग। डॉक्टर्स होने के नाते, हम इस प्रक्रिया को ज़्यादा से ज़्यादा सरल बनाने की कोशिश में जुटे हैं।”
यहां उनकी कुछ गाइडलाइन्स दी हुई हैं:

कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी को संभालने के लिए डॉ देसाई की टिप्स
एक हॉस्पिटल के साथ खुद को रजिस्टर करें:
प्रेग्नेंट औरतों को किसी भी हेल्थ सेंटर के साथ खुद को रजिस्टर कराना चाहिए, चाहे वह प्राइवेट हो या गवर्मेंट। जितनी जल्दी ऐसा करेंगे, उतना ही आपके लिए बेहतर होगा। यह प्रक्रिया को सुनियोजित करता है और डॉक्टर्स को उनके पेशेंट्स की प्रोग्रेस पर नज़र रखने में मदद करता है। रजिस्टर्ड पेशेंट्स के डेटाबेस की मदद से हॉस्पिटल को यह पता रहता है कि कितनी औरतें प्रेग्नेंट हैं और जेस्टेशनल उम्र के अनुसार कौनसी महिला कब डिलीवर करेगी।
ट्रीटमेंट को लेकर मांओं को चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि हमारे यहां दिन के किसी भी समय में फ़ोन पर उनकी मदद के लिए टीम तैयार रहती है। लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी उतनी ही कुशलतापूर्वक हैंडल की जाती है जैसे की किसी अन्य समय पर की जाती थी।
समय से थोड़ा पहले एडमिट होने की सलाह:
अंतिम हफ्ते में यदि थोड़ा भी दर्द या तकलीफ महसूस हो तो मांओं को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट हो जाना चाहिए। हम उन्हें झिल्ली (मेमब्रेन्स) के फटने तक इंतज़ार करने की सलाह नहीं देते। हॉस्पिटल उन्हें लेबर का दर्द शुरू होने के प्रारंभिक संकेतों पर भी तुरंत एडमिट कर लेंगे।
हम नहीं चाहते कि उन्हें इमरजेंसी में ले जाना पड़े; आजकल वहां बहुत खतरा है, क्योंकि वहां ज़्यादातर बुखार, सर्दी/खांसी के पेशेंट्स रहते हैं।
हेल्पलाइन नंबर्स को हैंडी रखें:
पेशेंट्स को बार-बार एक ही डर सताता है कि कहीं वह लेबर में चले गए और अगर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी या वो हॉस्पिटल तक नहीं पहुंच पाएं तो क्या होगा।
एक डॉक्टर होने के नाते, मैं अपने पेशेंट्स को यह भरोसा दिलाती हूं कि मैं चौबीसों घंटे उपलब्ध हूं। जहां तक ट्रांसपोर्टेशन का सवाल है, हम यह मानकर चलते हैं कि हर फैमिली के पास उनका प्राइवेट व्हीकल होता है। अगर नहीं भी है तो हॉस्पिटल हेल्पलाइन आपके लिए एम्बुलेंस भेजेगी; आप सिर्फ 102 पर फ़ोन लगाएं। सबसे ज़रूरी बात, घबराइए मत।
डिजिटल चेकअप पर भरोसा रखें:
लॉकडाउन के दौरान किया गया सबसे बड़ा परिवर्तन है – हॉस्पिटल के दौरों की संख्या में कमी करना। इसके लिए हॉस्पिटल्स ने ऑनलाइन और टेलीफोनिक कंसल्टेशन शुरू कर दिए हैं। इसको लेकर पेशेंट्स में बहुत एंग्जायटी है।
ज़्यादातर पेशेंट्स ऑनलाइन रिसर्च करते हैं, और हेल्थकेयर व गवर्मेंट वेबसाइट्स पर स्पष्ट निर्देशों की कमी के कारण, बहुत सी गलत जानकारी प्रचलित हो रही है। वे हमारे पास भी जवाब ढूंढते हैं लेकिन दुर्भाग्य से इस समय हमारे पास भी सीमित जानकारी है। पर हम फिर भी लगातार अपने पेशेंट्स के संपर्क में बने रहते हैं।
हमें कुछ गाइडलाइन्स का पालन करने के लिए कहा गया है: मां को अपने बच्चे के मूवमेंट्स को नियमित रूप से ट्रैक करना चाहिए, हाथों या पैरों में होने वाली अत्यधिक सूजन का ध्यान रखें, सिरदर्द, किसी भी तरह की ब्लीडिंग, स्पॉटिंग या डिस्चार्ज पर नज़र रखनी चाहिए।
अगर पेशेंट को स्किन रैश या किसी आम तकलीफ से सम्बंधित कंसल्टेशन चाहिए, तो हम फ़ोन पर बात कर लेते हैं या उन्हें व्हाट्सप्प पर तस्वीरें शेयर करने के लिए बढ़ावा देते हैं। इसको लेकर शुरआत में हमें भी बहुत सी आशंकाएं थी, पर सच कहूं तो, कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी को संभालने में एक औरत की मदद करना इतना भी मुश्किल नहीं हैं।
रिस्क फैक्टर को समझें:
अपनी रिसर्च के आधार पर, कुछ पेरेंट्स को लगने लगता है कि उन्हें इस पेंडेमिक के बारे में मेडिकल प्रोफेशनल्स से ज्यादा जानकारी और ज्ञान हैं। हालांकि, मेडिकल सम्बंधित बातों के लिए आप पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर नहीं कर सकते। वैसे तो हम भी इस बीमारी के समाधान पर पूरी तरह निश्चित नहीं हैं, लेकिन यह ज़रूर कह सकते हैं कि कोरोनावायरस से एक गंभीर ऊपरी-रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन होता है।

अधिकांश लोग जो इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं, वह स्वस्थ भी हो रहे हैं। हमारी जीत की संभावना बहुत अधिक है। प्रेगनेंसी पर, हमारी और दूसरे देशों की अब तक की सीमित रिसर्च के आधार पर, यह कहना सुरक्षित है कि प्रेग्नेंट औरतों की रिकवरी रेट एक हेल्दी अडल्ट के समान ही पाई गई है।
अभी तक, फीटल इन्फेक्शन के भी कोई मामले सामने नहीं आए हैं। लेकिन फिर भी, प्रेग्नेंट औरतों में, खासतौर पर उनके अंतिम ट्राइमेस्टर में, इसके गंभीर लक्षण पाए जाने का खतरा ज़्यादा होता है।
वो इसलिए क्योंकि उनमे प्रेगनेंसी के दौरान कुछ इम्युनोलॉजिकल बदलाव आते हैं जो उन्हें इन्फेक्शन्स के प्रति थोड़ा ज़्यादा संवेदनशील बना देते हैं।
जमाखोरी ना करें:
यह एक नियम है जो सब पर लागू होता है। जैसा की पूरी दुनिया कर रही है – बेबी का ज़रुरत संबंधी सभी सामान स्टॉक करें, लेकिन उतना ही जितना आवश्यक हो। बेबी केयर प्रोडक्ट्स जैसे नैप्पीज़, टॉइलेट्री और बेबी फ़ूड थोड़ा एक्स्ट्रा रखें।
हॉस्पिटल में बेबी की डिलीवरी के बाद, जब बच्चे के लिए मां का दूध पूरा नहीं पड़ता तो पीडीअट्रिशन फॉर्मूला फीड शुरू करने की सलाह देते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि यह ज़्यादा मात्रा में स्टॉक कर लें।
नियमित रूप से सैनिटाइज़ करें:
हम हमेशा से ही मांओं को यह समझाते चले आ रहे हैं, और इस संकट के दौर में, लोग निश्चित रूप से सतहों को, बेबी और खुद को सैनिटाइज़ करने का ज़्यादा ध्यान रख रहे हैं। अपने हाथों को बार-बार धोएं, बेबी को छूने से पहले उन्हें सैनिटाइज़ करें। अजनबियों और मेहमानों से जितना हो सके दूरी बनाएं। वैसे भी वर्तमान परिस्थितियों में दूरी बनाएं रखना ज़्यादा आसान है।

पॉज़िटिव नज़रिया बनाए रखें:
इन दिनों, “पॉज़िटिव होना” सुनते ही, दिमाग में एक अलार्म सा बजने लगता है। पर यहां हम एक अलग तरह की पॉज़िटिविटी की बात कर रहे हैं। कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी का सफर तय करने के लिए, टू-बी मदर्स अपनी एक ऑनलाइन कम्युनिटी बना सकती हैं।
अपनी प्रीनेटल क्लासेज़ के दोस्तों के साथ संपर्क बनाए रखें। एक दूसरे के साथ बातें शेयर करना और प्रेरित करना अच्छा है। हो सकता है इस समय आप मेहमान, फ्रेंड्स या फैमिली की कंपनी एंजॉय ना करें लेकिन अपने करीबी लोगों के संपर्क में नियमित रूप से बने रहें।
जैन कहती हैं, “योगा क्लास की मेरी एक दोस्त ने पिछले महीने ही बेबी डिलीवर किया है। वह मुझे समझाती रहती है कि सब ठीक होगा, और मेरे पति को मुझे पैरों और कमर का मसाज देने के लिए सलाह भी देती हैं। उसने ज़रूरी सामान की अपनी लिस्ट मेरे साथ शेयर की। यह जानकार बहुत शांति मिलती है कि मेरे साथ इस कश्ती में और भी कई औरतें सवार हैं।”
लेकिन ध्यान रखें, लॉकडाउन के दौरान प्रेगनेंसी सम्बंधित कोई भी मेडिकल जानकारी हासिल करनी हो तो प्रोफेशनल्स की ही मदद लें। गलत जानकारियों और घरेलू नुस्खों से दूर रहें।