
सूरत में ही नहीं, सब जगह है मेरी नींद हराम
यदि आप एक इंसान के वेश में ज़ोंबी जैसा महसूस करते हैं, तो जल्द ही अपनी नींद को वश में करें
आधी रात को मेरे पड़ोस में कम से कम आठ लोग जाग रहे होते हैं- चौकीदार भैया, रेडियो चैनल के लव गुरू, मेरे ऑफिस के दो सहकर्मी, तीन बचपन के दोस्त और आप भी तो हैं। मेरे सहकर्मी और दोस्त न तो रेडियो जॉकी हैं और न ही गार्ड हैं। हम सभी बस एक ही चीज़ के मारे हैं – अनिद्रा। देखा जाए तो, नींद को अपनी पकड़ में लाना, ठीक वैसा ही है जैसे मॉनसून में एक समतल सड़क का मिल जाना।
अगर आपके पास कुछ भी करने को नहीं हैं और माँ का हल्दी वाला दूध आपके खराब पेट की वजह बन रहा है, तो आप यह सब सहने वाले अकेले नहीं हैं। फिटबिट के अनिद्रा से जुड़े आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया में दूसरा सबसे अधिक अनिद्रा से ग्रसित देश हैं।

नींद का अभाव और अनिद्रा
मेरे निशाचर मित्रों, ज़रूरी नहीं है कि अगर आपको नींद नहीं आ रही है, तो आप अनिद्रा (इंसोम्निया) के शिकार हो रहे हैं। कभी-कभी, आप केवल थके हुए या जेट-लैग्ड या शक्तिहीन भी होते हैं। एयर इंडिया की मेडिकल ऑफिसर डॉ निधि गुप्ता कहती हैं, “नींद न आने का कारण तनाव होता है। बच्चों को पेपर का, वयस्कों को काम और घर से जुड़ा तनाव हो सकता है। नींद के दौरान दिमाग के सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड टॉक्सिंस को बाहर निकालते हैं। इसलिये व्यक्ति के बेहतर स्वास्थ्य के लिये रात की अच्छी नींद का होना बहुत ज़रूरी है।”
नींद की कमी – बाहरी एवं स्थानीय कारणों और पर्याप्त नींद लेने के लिए समय की सामान्य कमी – का एक प्रभाव है। अनियमित काम करने और खाने-पीने की आदतें, लंबा सफर, अत्यधिक शारीरिक गतिविधि भी इसके कुछ कारण हो सकते हैं। स्थानीय कारणों में बिस्तर की चादरों का फैब्रिक, गद्दे के प्रकार, कमरे का तापमान जैसी कई बातें शामिल हैं।
अगर इन आम वजहों में से कोई भी नहीं है, और आप बेड पर जागते हुये सोशल मीडिया हैंडल्स को 34,223 बार चेक कर रहे हैं या अनिवार्य रूप से एरियाना हफिंगटन के बेहतर नींद के लिए छह नियमों को आजमा रहे हैं, तो आप अनिद्रा के योग्य उम्मीदवार हो सकते हैं।
अनिद्रा आम तौर पर तीन प्रकार की होती हैं- मेंटेनेस अनिद्रा, प्रारंभिक अनिद्रा और तीव्र अनिद्रा।

मेंटेनेस अनिद्रा: याद है वह रात जब आप नींद के बीच में यूरिन करने के लिए उठे थे, और आपकी रात का ‘द एंड’ हो गया था? यदि आपके साथ ऐसा शॉवर लेने से भी अधिक बार होता है, तो मेंटेनेस अनिद्रा के लिए अपने आप को जांच कराएं।। डॉ गुप्ता कहती हैं, “युवा मांएं अक्सर शिकायत करती हैं कि जब वह रात में बच्चे को चेक करने के लिये उठती हैं, तो फिर उन्हें रातभर नींद नहीं आती। यह नींद भंग होने वाली मेंटेनेस अनिद्रा का बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें आप अपनी नींद को सही तरीके से मेंटेन नहीं कर पाते।
प्रारंभिक अनिद्रा: क्या आप लेट-नाईट प्लान्स से जल्दी निकल लेते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि आपको हर दिन सोने में कम से कम कुछ घंटे लगते ही हैं। हां, आपके मित्र आपको धोखेबाज़ कहते हैं, लेकिन सुबह 4 बजे तक अपना किचन व्यवस्थित करने से तो उन्हें धोखा देना कहीं बेहतर है। यदि आपके लक्षण भी ऐसे हैं, तो आप प्रारंभिक अनिद्रा के एक प्रमुख संदिग्ध हैं।
तीव्र अनिद्रा: अक्सर लोग नींद की बीमारी और नींद की कमी के बीच भ्रमित रहते हैं। यह कुछ समय के लिए, सो ही नहीं पाना या नींद को बनाए रख पाने की असमर्थता है। यह समय एक रात से लेकर कुछ हफ्तों या महीनों तक भी हो सकता है। यह कोई आजीवन स्थिति नहीं है, और इसलिये, आजीवन दवाइयों की भी ज़रूरत नहीं होती।
इन निंद्राहीन रातों पर रोक कैसे लगाएं?

सही फैब्रिक का उपयोग: अपने नाइटवियर और बेड-लिनेन वार्डरोब में से सभी तरह की सिंथेटिक और रोंएदार चीज़ों से निजात पाएं। सूती सबसे बढ़िया विकल्प है। यह नरम और सांस लेने वाला फैब्रिक है।
गद्दों पर ध्यान दें: एक समय था, जब डॉक्टर्स सख्त गद्दे इस्तेमाल करने की सलाह देते थे। लेकिन बदलते समय के साथ, नींद से जुड़े विशेषज्ञों ने इस विचार में संशोधन किया है। सेमि-सॉफ्ट या सॉफ्ट गद्दे आपके शरीर के अनुरूप ढ़ल जाते हैं और आपकी रीढ़ की हड्डी का आकार ले लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप आपको रात को अच्छी नींद आती है। होटलों के सुपर सॉफ्ट गद्दे याद करें जिनमें घुस कर आप ऐसे सोते थे, जैसे बरसों से नहीं सोए हों। हां, बिलकुल वही आराम पाना आपका उद्देश्य होना चाहिए।
हर सुबह नियमित रूप से मल्टीविटामिन लें: बहुत से लोग मल्टीविटामिन को डिनर के बाद लेते हैं। यह दवाई दिमाग को हाइपर-एक्टिव कर देती है, जिससे दिमाग कम-से-कम अगले चार घंटे तक एक्टिव रहता है। यह नींद के चक्र में बाधा डालता है। गुप्ता कहती हैं, “मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि आपको उन्हें अपने नाश्ते के साथ लेना चाहिए।”

कैफीन से परहेज़ करें: शाम के 6 बजे के बाद कैफीन युक्त ड्रिंक्स और चॉकलेट्स से दूर रहें। ये आपके दिमाग की कोशिकाओं को एक्टिवेट कर देते हैं और फिर चाहे कुछ भी हो जाए नींद नहीं आती। इसके अलावा, सामान्य तौर पर भी, लोगों को रात में ब्लोटिंग से बचने के लिए डिनर में तैलीय, घी युक्त भोजन से बचना चाहिए।
जिम के घंटों को रिशैड्यूल करें: क्या आप डिनर के बाद वर्कआउट करते हैं क्योंकि उस वक़्त जिम खाली मिलता है? इसके खाली होने की भी एक वजह है। खाने के बाद जॉगिग, टहलने और वॉक करने से स्ट्रैस कम होता है, लेकिन भागने और उठक-बैठक लगाने से शरीर में लिपिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे सोने में तकलीफ होती है।
कोई बोरिंग किताब पढ़े: अब समय आ गया है, जब आप कोई ऐसी किताब उठाएं जिससे आप कॉलेज में पढ़ने से दूर भागते थे। किसी बोरिंग किताब को पढ़ने से भी नींद आ जाती है।
मंत्र का जाप करना: किसी भी मंत्र का जाप करना या 100 तक गिनती करना एक अच्छा ध्यान अभ्यास है। इसके अलावा, सुबह उठने से लेकर दिनभर की गतिविधियों को याद करिये, इससे याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलेगी।
– डॉ निधि गुप्ता के इनपुट्स के साथ
