
डॉक्टर भी मानते हैं, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को नींद की ज्यादा जरूरत होती है
साइंस कहती है, हमारा दिमाग ज्यादा कड़ी मेहनत करता है
यह आमतौर पर बहुत आहिस्ता से शुरू होता है। धीरे-धीरे, एक-एक करके, आपके शरीर की गांठें खुलने लगती हैं, मसल्स रिलैक्स होने लगती हैं। एक लम्बे और कठिन दिन के बाद, जब आप खुद को उसके गर्म आलिंगन में डूबने देते हैं, आपका शरीर एक ही समय में भारी और हल्का दोनों महसूस करने लगता है। जैसे ही आप खुद को मुलायम कपड़ों की परतों में लिपटने देते हैं, आपके दिमाग की तनी हुई नसें अपने आप ही शिथिल होने लगती हैं। सुनने में यह जरूर किसी इरोटिक नावेल का इंट्रोडक्शन लग रहा होगा, पर हम यहां उससे भी जरूरी चीज़ के बारे में बात कर रहे हैं। वो पल जब आप अपनी बेडशीट के नरम अहसास को महसूस करते हैं, अपने या अपने पार्टनर के साथ इंटिमेट होते समय नहीं, बल्कि एक अति-आवश्यक सेहतमंद नींद पाने के लिए।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को Zzzz की अधिक आवश्यकता होती है, और यही उन्हें नहीं मिल पाती है। यह भले ही कोई ढिंढोरा पीटने जैसे बात नहीं है कि रात में बच्चों को दूध पिलाना, बाथरूम जाने के लिए उठना और इस चिंता में मरे जाना कि अगले दिन स्कूल से पिक-अप के लिए वक़्त कैसे निकालेंगे या फिर शाम की टीम मीटिंग के लिए समय पर वापस आ पाएंगें कि नहीं, हमें रात में जगाए रख रहे हैं। लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि अच्छी सेहतमंद नींद की कमी हमारे जीवन के हर पहलू को कितना प्रभावित करती है।
और ये केवल आंखों के नीचे के काले घेरों के बारे में नहीं है (हालांकि उनका कारण हमेशा नींद की कमी नहीं होता) और ना ही यह सुबह के चिड़चिड़ाते मूड के बारे में है जो केवल एक डबल एस्प्रेसो से काबू में आता है।
इससे पहले कि कोई आरोप लगाए कि इसे भी महिला और पुरुष का मुद्दा बनाया जा रहा है, हम यह बताना चाहेंगे कि पढ़ने में यही आ रहा है। लॉफबोरो यूनिवर्सिटी के स्लीप रिसर्च सेंटर ने पाया कि औसतन महिलाओं को, पुरुषों की तुलना में, लगभग 20 मिनट ज्यादा सोने की आवश्यकता होती है। क्योंकि उनका दिमाग ज्यादा मेहनत करता है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ मुकेश आचार्य कहते हैं, मेडिकल कम्युनिटी में यह एक बहस का मुद्दा है कि क्या पुरुषों और महिलाओं के दिमाग अलग-अलग होते हैं। लेकिन, उनका कहना है, “हम इसे खारिज करते हैं क्योंकि महिलाओं की छवि खराब करने के लिए इस रिसर्च का दुरुपयोग भी हो चुका है।”
“मैं कहूंगा कि उन दोनों का दिमाग एक समान काम नहीं करता है। एक स्टडी कहती है कि पुरुषों के ब्रेन के प्रत्येक हेमिस्फीयर में अंदरूनी कनेक्शन अधिक होते हैं जबकि महिलाओं के ब्रेन के दोनों हेमिस्फीयर में आपस में कनेक्शन ज्यादा होते हैं।”
आचार्य का कहना है कि यही वजह है कि पुरुष किसी भी एक टास्क पर पूरी तरह फोकस करने के लिए अपने ब्रेन के एक हिस्से को काम पर लगा सकते हैं। महिलाएं अपने ब्रेन के विभिन्न हिस्सों को एक साथ काम में लेती हैं और इसलिए वे मल्टी-टास्किंग में माहिर होती हैं।

यदि पुरुषों को कोई काम सौंपा जाता है, तो उनका दिमाग केवल उससे सम्बंधित समस्याओं को हल करने में जुट जाता है। लेकिन, दुःख की बात यह है कि उस एक कार्य को संपन्न करने की होड़ में, वे कई चीजों को अनदेखा कर देते हैं जैसे दूसरे व्यक्ति की मनोदशा या उनके अन्य काम, जो उस वक़्त उनके हाथ में लिए काम को पूरा करने में बाधा प्रतीत होते हैं। इस मामले में, औरतों का दिमाग ज्यादा अच्छे से अपने कामों को बैलेंस करता है, “जिसे लोग अक्सर ‘महिलाओं की इंट्यूशन’ कहते हैं।”
और इसी काम्प्लेक्स ब्रेन एक्टिविटी के लिए उन्हें ज्यादा रिकवरी टाइम की आवश्यकता होती है।
आखिर सेहतमंद नींद है क्या?
जब आप अपने तकिए पर लेटे हुए लार टपका रहे होते हैं, तो असल में आपका शरीर अंदर ही अंदर बहुत कुछ कर रहा होता है। नींद आपके ब्रेन और एनर्जी लेवल के लिए रिकवरी पीरियड की तरह है। हमें हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए, शारीरिक थकान से उबरने के लिए और ऐसी बिमारियों से लड़ने के लिए, जो किसी भी क्षण घेरने के लिए तैयार बैठी हैं, अच्छी सेहतमंद नींद की बेहद आवश्यकता होती है।
आचार्य के अनुसार, स्वस्थ सेहतमंद नींद वो है जिसमें आप बिना किसी बाधा के आराम करते हैं। हम रात भर में नींद के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं – हल्की नींद या NREM (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट) से गहरी नींद या REM (रैपिड आई मूवमेंट) में जाते हैं, और फिर यह चक्र दोबारा शुरु हो जाता है। आचार्य कहते हैं, “जब आपकी नींद टूटती है, तो यह चक्र भी टूट जाता है और फिर से सोने के लिए इस चक्र से दोबारा गुजरना पड़ता है। ऐसे में, एक चक्र पूरा होने की संभावना कम हो जाती है जो हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है।”

नींद की हर स्टेज जरूरी है। NREM स्लीप में आपकी सांस धीमी हो जाती है, मसल्स अस्थायी रूप से पैरालाइज़ (लकवाग्रस्त) हो जाती हैं, आपका ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और आपके एनर्जी लेवल बढ़ने लगते हैं। REM स्लीप ब्रेन हेल्थ के लिए जरूरी है। हेल्थी REM स्लीप से हमारी लर्निंग, मेमोरी, मूड और क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलता हैं।
औरतों को सेहतमंद नींद पाने में मुश्किल क्यों होती हैं?
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि महिलाओं की नींद पूरी क्यों नहीं हो पाती? इसके पीछे बहुत से कारण हैं जो हमें रात में देर तक जगाए रखते हैं और सुबह जल्दी उठने पर मजबूर कर देते हैं। वैसे भी एक मल्टीटास्किंग ब्रेन को शांत करना मुश्किल होता है। आपका शरीर थक जाता है, लेकिन दिमाग फिर भी चलता रहता है। कभी आप देर तक जाग रही थीं, कभी डिनर के बाद सफाई करने में लग गईं, किसी दिन जरूरी ईमेल का जवाब देना था तो किसी दिन घर की सभी लाइटें बंद करने में देर हो गई। और सोने के बाद कुछ ही घंटों में, आपको फिर से जागना है ताकि आप बच्चों को समय पर जगाकर स्कूल के लिए तैयार कर सकें, दूधवाले के टाइम पर दरवाज़ा खोल कर दूध ले सकें, और साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपका पार्टनर अलार्म बंद कर के दोबारा ना सो जाए। और, यह तो तब, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं। यदि एक नवजात शिशु या छोटे बच्चे का ध्यान रखना हो तो नींद के सपने देखना छोड़ ही देना चाहिए।
अच्छी सेहतमंद नींद की कमी के पीछे केवल लाइफस्टाइल ही नहीं, बायोलॉजिकल फैक्टर भी होते हैं।
कई स्टडीज़ से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अनिद्रा (इंसोम्निया) की समस्या होने की 40% संभावना अधिक होती है। एक अन्य से पता लगा कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आवाज़ के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं, धीमी आवाज़ से भी उनकी नींद टूट जाती है। शायद हमारा विकास ही ऐसे हुआ है; पहले जब पुरुष शिकार करते थे, महिलाएं अपने और अपने बच्चों के लिए संभावित खतरों के प्रति कान लगाए बैठी रहती थीं। अब वही उत्सुक कान आपको प्लेट के टूटने या आपके नन्हे-मुन्नों के गिरने और घुटने खुरचने की पहली आवाज़ पर दौड़ने के लिए मजबूर कर देते हैं।

हार्मोन हमारे सबसे बड़े बायोलॉजिकल दोस्त भी हैं और दुश्मन भी, और ये हमारी नींद को बहुत प्रभावित करते हैं। मेंस्ट्रुएशन, प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी, महिलाओं में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (पैरों में बेचैनी) विकसित होने की संभावना अधिक होती है। मेनोपॉज़ के दौरान, हॉट फ्लैशेस और स्लीप एपनिया के कारण, एक आरामदायक सेहतमंद नींद प्राप्त करना अपनेआप में एक बड़ी चुनौती है।
खराब नींद महिलाओं की हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है?
रातों की नींद हराम हो रही हो तो अच्छे खासे व्यक्ति का जीवन उलट-पुलट हो सकता है। लेकिन अगर आप फीमेल हार्मोन के प्रभावों और इन विशिष्ट बीमारियों के प्रति हम औरतों की प्रवृत्ति पर विचार करें, तो इसका असर और भी खतरनाक हो सकता है।
इंसोम्निया (अनिद्रा) के परिणामस्वरूप महिलाओं में एंग्जायटी और डिप्रेशन होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। और इसके कारण अनिद्रा की समस्या और भी बदतर हो सकती है।
एक इंटरव्यू में, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट और स्लीप स्पेशलिस्ट, डॉ माइकल जे ब्रूस ने ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक स्टडी का हवाला दिया जिसमें पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक नींद की आवश्यकता होती है। नींद की कमी से फाइब्रिनोजेन बढ़ने लगता है जो “एक क्लॉटिंग फैक्टर है और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।” ब्रूस कहते हैं कि उन्होंने महिलाओं में गंभीर सूजन के निशान देखे हैं, जो तीव्र दर्द का कारण बन सकती है। आचार्य कहते हैं, सूजन में वृद्धि इम्यून सेल्स को नुकसान पहुंचा सकती है, जो आगे जाकर कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का कारण बनती है। इसके अलावा, खराब नींद के कारण थकान, खराब कॉग्निटिव फंक्शनिंग, माइग्रेन और हाइपोथायरायडिज्म का खतरा बढ़ जाता है।
सेहतमंद नींद के लिए एक्सपर्ट टिप्स
एक उपयुक्त बिस्तर का चयन करें
यहां हम आपके बिस्तर को आरामदायक नींद के लिए तैयार करने की बात कर रहे हैं। आपका गद्दा बहुत मायने रखता है; और आपकी रीढ़ की हड्डी की सेहत तय करती है कि आपको किस प्रकार का गद्दा इस्तेमाल करना चाहिए। एक अच्छी गहरी नींद के लिए आमतौर पर एक अर्ध-मुलायम गद्दा अच्छा है, लेकिन यदि आपको कोई रीढ़ की समस्या है या पीठ में दर्द रहता है, तो हल्के-सख्त या सख्त गद्दे चुनें जो आपको आवश्यक सपोर्ट प्रदान करेंगे ताकि हर करवट के साथ दर्द के मारे आपकी नींद ना टूटे।

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, रात में सोते समय गर्मी लगने की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं। अपनी बेडशीट के लिए कॉटन और लिनेन जैसे प्राकृतिक, हल्के कपड़े चुनें। सिल्क के तकिया-कवर आपके बालों और चेहरे पर अधिक कोमल महसूस होते हैं। लेकिन अच्छी क्वॉलिटी वाला कॉटन भी उतना ही अच्छा काम करता है।
मिलिट्री का तरीका ट्राई करके देखें
इस तकनीक का दावा है कि आपको 2 मिनट में नींद आ जाएगी। लॉयड बड विंटर की किताब रिलैक्स एंड विन: चैंपियनशिप परफॉर्मेंस में इस सैन्य पद्धति का वर्णन किया गया है, यह अमेरिकी सैन्य कर्मियों के लिए बनाया गया एक रूटीन है ताकि वे किसी भी स्थान या स्थिति में जल्दी से जल्दी सो सकें।
हो सकता है कि शुरू में कई बार यह काम ना करे, लेकिन लगातार इसका अभ्यास करके आप खुद को फटाफट रिलैक्स करने और सोने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं।
कोशिश करके देखिए:
1. धीरे-धीरे अपने पूरे चेहरे को रिलैक्स करें। अपनी आंखों के आसपास की मसल्स को आराम दें, और अपनी जीभ को नीचे की ओर रखें। धीरे-धीरे, गहराई से सांस लेते हुए अपने चेहरे, माथे, भौंहों और जबड़े सहित सभी मसल्स को ढीला छोड़ दें।
2. अपना ध्यान अपने कंधों और हाथों पर लेकर जाएं। हर सांस के साथ, अपनी मसल्स को ढीला छोड़ते हुए तनावमुक्त करने की कोशिश करें।
3. एक गहरी सांस लें। सांस छोड़ते समय, अपनी छाती को रिलैक्स करें और उसे बिस्तर में धंसने दें।
4. अपने दिमाग को खाली रखने की कोशिश करें। अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए जो भी विचार आपके मन में आ रहे हैं, उन्हें निकल जाने दें, उन पर चिंतन ना करें।
5. यदि कुछ और काम नहीं करता तो अपने दिमाग को खाली करने के लिए 10 सेकंड तक ‘कुछ मत सोच’ शब्दों को दोहराएं और अपनी सांस पर फिर से ध्यान केंद्रित करें। उसके बाद, जितनी जरूरत हो उतनी बार दोहराएं।
झपकी लेना भी एक कला है
जिन लोगों की रात की नींद आवश्यकतानुसार पूरी नहीं होती, उनके लिए दिन की झपकी बहुत जरूरी हो सकती है। आचार्य के अनुसार, 20 मिनट या उससे कम समय के लिए ली गई झपकी पर्याप्त होती है। इसे पॉवर नैप माना जाता है, इस दौरान आप NREM स्लीप लेते हैं जिससे आपको एनर्जी मिलती है और उठने के बाद आप अलर्ट महसूस करते हैं। उनका कहना है, लम्बी झपकी के लिए लगभग 90 मिनट चाहिए, इसमें एक स्लीप साइकिल पूरी होती है – जिसमें आप हल्की से गहरी NREM स्लीप में और फिर REM स्लीप में जाते हैं। जब बिना किसी बाधा के एक चक्र पूरा होता है तब आप ज्यादा अलर्ट, खुश और तरोताज़ा महसूस करेंगे नाकि ऐसा की जरूरत से ज्यादा देर तक सो गए हों।

अपने दिमाग को उलट-पुलट करें
मुंबई बेस्ड सायकोथेरेपिस्ट संजीवनी भाटिया की सलाह है कि आप एक मेंटल गेम खेलने की कोशिश कर सकते हैं।
आंखें बंद करके गहरी सांस लें, और छोड़ें। अपने मन में, कोई भी एक शब्द सोचें, और उसके बाद तुरंत कोई बिलकुल अलग शब्द दिमाग में लाएं। जैसे आपने सोचा – आसमान, जिसके तुरंत बाद एक बिलकुल असंबंधित शब्द – आलू गोबी।
इस तकनीक को कॉग्निटिव साइंटिस्ट ल्यूक ब्यूडॉइन ‘कॉग्निटिव शफ्फलिंग ‘ कहते हैं – जानबूझकर अपने विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना। इस विषय पर 2013 में, उनके द्वारा पब्लिश किये गए एक पेपर में, उन्होंने बताया कि हमारा दिमाग निरंतर हमारे आसपास की चीज़ों में कनेक्शन बनाकर उनको समझने की कोशिश में लगा रहता है, और हमें सोने नहीं देता, इसलिए हम इसे उलटी-पुलटी बातों से विचलित कर सकते हैं। इनका गेम भाटिया के मुकाबले थोड़ा अलग है, यह भी आपकी सोने में मदद करता है लेकिन यह एक फोन ऐप के रूप में उपलब्ध है, जो ‘माईस्लीपबटन ‘ के नाम से जाना जाता है।
सोने से एक घंटा पहले अपने दिन की समाप्ति करें
यह शायद सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार्य है। हमेशा आखिरी मिनट कुछ ना कुछ निकल ही आता है। लेकिन आचार्य की सलाह है कि जितना हो सके इसे नियंत्रित करें, सोने से एक घंटा पहले, दिन भर के अपने काम-काज पूरा करने की कोशिश करें। फिर, अगले दिन के कामों की लिस्ट बनाएं, सुबह के लिए अपने कपड़े बाहर निकालें और सुबह के खाने की तैयारी कर के खत्म करें। अपने पेरेंट्स को गुड नाईट का मैसेज करें, किसी नए पॉपुलर शो का एक एपिसोड देखें और अपने दिन को समाप्त करें। बेहतर होगा, अपने गैजेट्स को बेडरूम से बाहर छोड़ दें।
सप्लीमेंट्स को अपनाएं
मेलाटोनिन हमारे शरीर में बनने वाला एक हार्मोन है जो हमारे नींद चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आचार्य कहते हैं, यह आपको रिलैक्स करता है और आपको थोड़ा सुस्त कर देता है, बस इतना की आप केवल नींद में जाने लगे, नाकि नींद की गोली की तरह जो आपको एकदम बेसुध कर देती है।
मेलाटोनिन सप्लीमेंट अलग-अलग डोज़ में मिलते हैं। “आप मेलाटोनिन के आदी नहीं होते हैं। यह नींद की गोलियों की तरह नशे की लत नहीं है, लेकिन आपको अपनी सही डोज़ जानने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।”
आप चाहे तो इन सप्लीमेंट्स को गमीज़, स्प्रे और घुलने वाली स्ट्रिप्स के रूप में भी ले सकते हैं या केमिस्ट से एक साधारण स्ट्रिप भी खरीद सकते हैं। लोग अक्सर इस सप्लीमेंट से डरते हैं, लेकिन यह आपको आपकी सेहतमंद नींद और आराम पाने में अस्थायी रूप से मदद कर सकता है।