
समय से पहले मेनोपॉज़ के मामले बढ़ रहे हैं और डॉक्टर बताते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है
क्या एक औरत होना पहले से ही कम कठिन था, जो अब हमें इस नई गेंद से भी खुद को बचाना होगा
‘बेचारी, कुंवारी’ – अविवाहित या निःसंतान महिलाओं ने यह सब ना जाने कितनी बार सुना होगा। बच्चे पैदा न करने के निर्णय को लेकर, उन्हें जीवन के इस अहम अनुभव से वंचित रहने के लिए ताउम्र कटाक्ष सहने पड़ते हैं। कहना बहुत आसान है लेकिन लोग यह नहीं समझते कि एक यूटरस को संभालना बिलकुल वैसा है जैसे किसी टीनेजर को संभालना। दोनों ही तुनकमिज़ाज हैं और नखरे दिखाने में पीछे नहीं हटते। हॉर्मोन लेवल में हुई जरा सी भी ऊंच-नीच, इनकी काया पलट कर सकती है। कई बार तो ऐसी घातक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो बेहद दर्दनाक होती हैं। और क्या एक औरत के रूप में पैदा होना अपने आप में कम कठिन था, जो अब हमें एक नई गेंद का सामना करने के लिए खुद को तैयार करना पड़ेगा। क्योंकि, डॉक्टरों के अनुसार, आजकल समय से पहले मेनोपॉज़ के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है।
डॉ. राजश्री तायशेते भसाले, डॉ. सुरभि सिद्धार्थ और डॉ. अंजलि कुमार के अनुसार, बढ़ती संख्या में महिलाएं अपने तीसवें दशक में प्री-मेनोपॉज़ या पेरिमेनोपॉज़ को छू रही हैं। मदरहुड अस्पताल, खारघर में कंसलटेंट ऑब्स्टेट्रिशन और गायनाकोलॉजिस्ट डॉ सुरभि कहती हैं, “नवी मुंबई में, हमारे सामने एक ऐसा केस आया जहां एक 30 वर्षीय महिला प्रेगनेंट होने की कोशिश कर रही थी। वह अपने पति के साथ प्री-कंसेप्शन कॉउंसलिंग के लिए आई थी। कई स्कैन, टेस्ट और उसकी जेनेटिक हिस्ट्री की जांच करने के बाद, हमें एहसास हुआ कि वह समय से पहले मेनोपॉज़ में जा रही थी।” गुरुग्राम बेस्ड गायनाकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टेट्रिशन, एंडोस्कोपिक सर्जन और मैत्री की फाउंडर, डॉ अंजलि कुमार ने हमें एक ऐसी युवा महिला की कहानी सुनाई, जो अनियमित पीरियड की समस्या लेकर आई थी, यह सोचकर कि वह प्रेगनेंट है, “लेकिन वास्तव में वह समय से पहले मेनोपॉज़ से गुजर रही थी।”
तो, सोचने की बात यह है कि क्यों आजकल अधिकांश युवा महिलाएं इस तकलीफ़देह, हार्मोनल सफर पर समय से पहले निकल पड़ती हैं, जो एक अप्रत्याशित, असुविधाजनक और…पसीने से तर…मंजिल पर जाकर खत्म होता है? इसका उत्तर ऐसे अनेक कारकों के पेचीदा जाल में निहित है जिनमें कुछ हमारे नियंत्रण में हैं तो कुछ नियंत्रण के बाहर हैं। यहां, एक्सपर्ट यह पता लगाने में हमारी मदद करते हैं कि समय से पहले मेनोपॉज़ के केस क्यों बढ़ रहे हैं और महिलाएं इस सुपरफास्ट ट्रेन को धीमा करने के लिए क्या कर सकती हैं।

ध्यान दें: हर सुबह, डेडलाइन्स को घूरते हुए, भर-भर के कैफीन का सेवन करना तो जैसे आग में घी डालने वाली बात है।
समय से पहले मेनोपॉज़ के कारणों को समझना?
मेनोपॉज़ का महिलाओं के स्वास्थ्य पर अविश्वसनीय प्रभाव पड़ता है, और समय से पहले मेनोपॉज़ के कारणों पर भी कुछ अध्ययन चल रहे हैं। जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी रिसर्च की एक स्टडी के अनुसार, भारत में 25-39 वर्ष की, 302,557 महिलाओं में से 2.1%, ने समय से पहले मेनोपॉज़ का अनुभव किया था। यह प्रतिशत दिखने में कम है, लेकिन गौर से देखें तो हमारी जनसंख्या वर्तमान में 1.4 बिलियन (लगभग) है, और इस स्टडी में 2015-2016 के दौरान किए गए एक सर्वे के डेटा का उपयोग हुआ है।
मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में कंसलटेंट गायनाकोलॉजिस्ट, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और ऑब्स्टेट्रिशन डॉ भसाले बताती हैं कि मेनोपॉज़ का अर्थ है हमारे पीरियड्स का स्थायी रूप से समाप्त हो जाना, जो उम्र बढ़ने के साथ होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। वह कहती हैं कि भारत में मेनोपॉज़ होने की औसत आयु 48 से 50 के बीच है। “40 से 45 वर्ष की आयु में होने वाले मेनोपॉज़ को ‘अर्ली मेनोपॉज़’ (Early Menopause) कहा जाता है, और 40 से पहले होने वाले मेनोपॉज़ को ‘प्रीमैच्योर ओवेरियन इनसफिशिएंसी’ (Premature ovarian insufficiency) के रूप में जाना जाता है।”
इस हार्मोनल हलचल की तह तक जाने पर, कई जाने और अनजाने कारण सामने आते हैं। कई बीमारियों की तरह, जेनेटिक्स यहां भी एक बड़ी भूमिका निभाती है। यदि आपके परिवार में पहले भी महिलाओं ने समय से पहले मेनोपॉज का अनुभव किया है, तो आपके साथ ऐसा होने की संभावना बढ़ जाती है – और ऊपर से यदि लाइफस्टाइल खराब हो तो एक्सपर्ट्स के अनुसार यह खतरे की घंटी है। डॉ. कुमार के अनुसार, महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज़ होने के पीछे कुछ अन्य कारणों में बढ़ता प्रदूषण, लगातार बढ़ता तनाव और ख़राब खान पान भी शामिल है।
शांति से मेनोपॉज़ की प्रक्रिया से गुजरने की हमारी चाह में तनाव सबसे बड़ी बाधा बन सकता है। तनाव हमारे कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है, जिससे हार्मोन का नाजुक संतुलन और मेंस्ट्रुअल साइकिल बाधित होती है।

डॉ. सिद्धार्थ का कहना है कि एक्सरसाइज़ और धूप की कमी से भी हमारी मेनोपॉज़ की समय सीमा तेजी से घटने लगती है। “बॉडी मास इंडेक्स भी अर्ली मेनोपॉज़ के लिए जिम्मेदार हो सकता है क्योंकि एस्ट्रोजेन हमारे फैट टिश्यू में जमा होता है। जो महिलाएं पतली होती हैं उनमें एस्ट्रोजन का भंडार कम होता है जो जल्दी ही ख़त्म हो जाता है। समय से पहले मेनोपॉज़ एक ऑटोइम्यून बीमारी का लक्षण भी हो सकता है, जैसे कि थायरॉयड या रूमेटाइड अर्थराइटिस।
किसी भी तरह के तम्बाकू का सेवन न केवल मेनोपॉज को जल्दी ला सकता है बल्कि उसके लक्षणों को भी तीव्र कर सकता है। 17 अध्ययनों के विश्लेषण में पाया गया कि जो महिलाएं पहले स्मोकिंग करती थी, उनको स्मोकिंग ना करने वालों की तुलना में अर्ली मेनोपॉज़ का 15% अधिक खतरा है और जो स्मोकिंग करती हैं उन्हें दोगुना खतरा है।
हम क्या कर सकते हैं?
डॉ सिद्धार्थ कहती हैं कि कभी-कभी, दुर्भाग्य से, अर्ली मेनोपॉज़ हमारे नियंत्रण से बाहर होता है। लेकिन सही डॉक्टरों के मदद से अपने रिप्रोडक्टिव सफर को सरल बनाने का प्रयास जरूर करना चाहिए। डॉ सिद्धार्थ और डॉ भसाले दोनों का मानना है कि वैजाइनल हैल्थ पर नज़र रखने, असामान्यताओं की जांच करने और समय से पहले मेनोपॉज़ के परिणामस्वरूप होने वाली वैजाइनल खुश्की या जलन जैसी समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जांच बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ भसाले कैल्शियम से भरपूर भोजन, जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीज और नट्स, जैसे बादाम और तिल, और विटामिन डी 3, जैसे फैटयुक्त मछली और मशरूम को अपनी डाइट में शामिल करने की भी सलाह देती हैं। सुनिश्चित करें कि आपकी थाली में हर बार हरी सब्जियां हों, और कॉफ़ी और अत्यधिक मसालेदार भोजन जैसी चीज़ों से बचें, जो मेनोपॉज़ के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। भसाले कहती हैं, “सोयाबीन, अलसी और टोफू जैसे फाइटोएस्ट्रोजन से भरपूर आहार लेना, हेल्थी बॉडी वेट बनाए रखना और एक्सरसाइज़ करना, ये कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे आप अपने लक्षणों पर अंकुश लगा सकते हैं।”

जो औरतें बच्चे प्लान कर रही हैं, उनके लिए अर्ली मेनोपॉज़ बहुत तकलीफ़देह हो सकता है, क्योंकि इससे फर्टिलिटी का स्तर गिरने लगता है। स्वाभाविक रूप से प्रेगनेंट होना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन एडवांस फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ), एग फ्रीजिंग और डोनर एग्स के उपयोग जैसी रिप्रोडक्टिव तकनीकों की मदद से, अब बच्चे पैदा करना संभव है। गोद लेने का मार्ग भावनात्मक रूप से जितना चुनौतीपूर्ण है उतना ही फायदेमंद भी है, और इस बारे में हमारी यह गाइड आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है।
मेनोपॉज़ में प्रवेश करना ऐसा महसूस हो सकता है जैसे आपने पीक ऑवर के दौरान एक भीड़ से भरे रेलवे स्टेशन पर कदम रख दिया हो, लेकिन घबराने के बजाय सही दिशा और सही समय का अंदेशा लगाने की आवश्यकता है, जो आपके लिए सबसे उपयुक्त हो। ऐसे भी दिन आएंगे जब आपको धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ेगा, लेकिन हर उस दिन के बाद आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा।